बस तुम नहीं हो......
बस तुम नहीं हो......
आज सुबह से ही सविता का मन कुछ उदास सा था। इस बार की छुट्टियों में रवि के ना आने पर उसने वादा किया था कि सविता के जन्मदिन पर अवश्य आएगा। पर अब वह आस भी धूमिल होती नजर आ रही थी। अब तक उसका कोई फोन भी नहीं आया था।
ट्रिन ट्रिन ट्रिन ट्रिन, मोबाइल की घंटी से सविता अपने ख्यालों से निकली। दौड़ कर मोबाइल उठाया, वह समझ गई थी लंदन से रवि का ही वीडियो कॉल होगा।
रवि उनका इकलौता बेटा था। पति के हार्टफेलियर के बाद सविता ने नौकरी करके, अकेले ही बेटे को पढ़ाया लिखाया था। रवि आज अच्छी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजिनियर के पद पर है।
कॉल कनेक्ट होने पर स्क्रीन पर सीमा और उसकी गोद में ढाई वर्षीय सौरभ दिखाई दिए
"हैप्पी बर्थडे मम्मी"
"हैप्पी बर्थडे दादी"
"थैंक यू मेरे प्यारे बच्चो" कैसे हो तुम सब?
"हम सब ठीक है मम्मी.....
"हैप्पी बर्थडे मम्मी"
अब स्क्रीन पर रवि दिखा
"थैंक यू बेटा, कैसे हो तुम?"
"बस ठीक हूँ मम्मी आप कैसी हो?......
मम्मी, बोलो इस बार आपको क्या बर्थडे गिफ्ट चाहिए?"
"बेटा मुझे कुछ नहीं चाहिए, सब कुछ तो है मेरे पास..... बस तुम नहीं हो....."
"हाँ मम्मी, वो तो है...... अच्छा सुनो,
आपके अकाउंट में एक हजार पाऊंड ट्रांसफर कर रहा हूँ। अपने लिए नया एंड्रॉयड स्मार्ट टीवी खरीद लेना..... पैसे कम पड़ें तो बता देना...."
"बेटा क्या करना है, पहले वाला भी ठीक ही है......"
"और सुनो, कंजूसी मत करना, आने जाने के लिए मोबाइल ऐप से कैब बुक कर लेना।
"बेटा मुझे कुछ नहीं चाहिए, टीवी रहने दो बस तुम लोग आ जाओ..... तुम सबसे मिलने का मन करता है...."
"मम्मी काम बहुत है, छुट्टियों में आने की कोशिश करेंगे.... अच्छा मम्मी फोन रखता हूँ। बस खाना खाकर सोएंगे हम लोग.... गुड नाइट मम्मी...."
"गुड नाईट बेटा, खुश रहो..." उदास मन से सविता बोली
फोन डिस्कनेक्ट होने के बाद सविता सोच रही थी, कब समझेंगे बच्चे कि इन हृदय विहीन, भावना शून्य निष्क्रिय सामानों में वो खुशी कहाँ जो अपनों के सानिध्य में है...