Alfiya Agarwala

Classics

4.3  

Alfiya Agarwala

Classics

खूबसूरत सच

खूबसूरत सच

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कल रात मैंने अपने झरोखे से आसमां में एक खूबसूरत चीज देखी जिसके आस पास हजारों की तादाद में कुछ छोटी छोटी टिमटिमाती हुई सी चमकीली सी चमक नज़र आ रही थी।

वो चीज़ दूर से कितनी खूबसूरत नज़र आ रही थी। उस नीले आसमान के तले दूधिया सी चमक लिए हुए वो गोल सी चीज़ मानो जैसे अपने आप में कायनात की सारी खूबसूरती समेटे हुए हो उसके आगे हर चीज़ फीकी सी नज़र आ रही थी।

मैं उसे इस तरह निहार रही थी मानो मैंने इससे पहले इतनी खूबसूरती देखी ही न हो लेकिन तभी मेरे मन में ख्याल आया कि जिसे मैं देख रही हूं क्या वो पास से इतना ही खूबसूरत होगा शायद उससे भी कहीं ज्यादा खूबसूरत हो लेकिन मैं कुछ कशमकश में पड़ गयी क्योंकि मैंने कभी भी उसको पास से नहीं देखा था, मैं कभी भी उसकी गहराइयों में समाई नहीं थी तो फिर मैं क्या कहूँ !

और मुझे उसके अंदर से क्या करना क्योंकि आज वैसे भी बाहरी दिखावे और ऊपरी खूबसूरती का जमाना है और लोग उसे ही पसंद करते हैं फिर जिसे मैं देख रही थी वो तो और कुछ नहीं वो तो एक चाँद था वो तो एक चाँद था।


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