खुशियों का असली ख़जाना तो परिवार ही है!!! #Prompt 26
खुशियों का असली ख़जाना तो परिवार ही है!!! #Prompt 26
साकेत की मोबाइल स्क्रीन चमकी। उसने स्क्रीन स्क्रॉल डाउन की तो, स्नेहा का नाम व्हाट्सऐप पर दिखा। स्नेहा ने फिर मैसेज किया है, पिछले एक घंटे में यह स्नेहा का शायद दसवां मैसेज था।
"कहाँ हो तुम ? रिद्धिमा की डांस परफॉरमेंस लगभग आधा घंटे में शुरू हो जायेगी। जैसे ही गेट पर पहुँचो, मुझे कॉल कर देना, मैं तुम्हें लेने बाहर तक आ जाऊंगी" स्नेहा ने मैसेज किया था।
मैसेज देखते ही एक महत्वपूर्ण मीटिंग में बैठे हुए साकेत के चेहरे पर थोड़ा दुःख और परेशानी न चाहते हुए भी आ गयी थी। आज उसकी 5 वर्षीय बेटी रिद्धिमा पहली बार अपने स्कूल के एनुअल फ़ंक्शन में परफॉर्म कर रही थी। पिछले 15 दिनों से रिद्धिमा इस डांस को लेकर बहुत ही उत्साहित थी। वह प्रतिदिन साकेत को कहती थी, "डेडू, 26 दिसंबर को मेरा फंक्शन है। आप भूल मत जाना।"
वह खुद भी तो अपनी बेटी की डांस परफॉरमेंस देखने के लिए कितना उत्साहित था। लेकिन अभी कुछ दिन पहले ही नए बॉस ने ऑफिस ज्वाइन किया था और बॉस अपने अनुशासन और समयबद्धता के लिए जाने जाते हैं। अगर 27 दिसंबर का यह महत्वपूर्ण प्रेजेंटेशन नहीं होता तो वह बॉस से आधे दिन की छुट्टी ले लेता,वह अपने स्तर पर सारी तैयारियाँ कर चुका है, लेकिन फिर भी उसकी बॉस से छुट्टी मांगने की हिम्मत नहीं हो रही थी। बॉस अभी नए -नए हैं। ऐसे में छुट्टी लेने से कहीं बॉस पर उसका इम्प्रैशन ख़राब न हो जाए।
"एनी प्रोबलम, साकेत ?",मिस्टर सिन्हा ने प्रेजेंटेशन और फाइल से नज़रें हटाकर साकेत की तरफ देखते हुए पूछा।
"यू हैव डन वैरी गुड वर्क। सो व्हाट द प्रॉब्लम ?",मिस्टर सिन्हा ने अपना चश्मा हटाते हुए कहा।
मिस्टर सिन्हा से प्रशंसा पाकर साकेत अपनी बात कहने की कुछ हिम्मत जुटा सका, "सर, आज बेटी का एनुअल फंक्शन है। पहली बार वह स्टेज पर परफॉर्म कर रही है। अपना कल का प्रेजेंटेशन भी बहुत महत्त्वपूर्ण है। अतः समझ नहीं पा रहा कि बेटी को कैसे समझाऊंगा और क्या कहूँगा ?"
"साकेत, तुम यहाँ क्या कर रहे हो ?तुम्हें तो अपनी बेटी के फंक्शन में होना चाहिए था। परिवार हमारे लिए सबसे आवश्यक और महत्त्वपूर्ण है। हमारी असली ख़ुशी अपने परिवार की ख़ुशी में है। तुम्हारी बेटी की ज़िन्दगी में यह दिन दोबारा नहीं आएगा। हम काम भी तो परिवार के लिए करते हैं। परिवार है तो सब कुछ है। ",मिस्टर सिन्हा की बातें सुनकर वहाँ मौजूद सभी व्यक्ति उन्हें बड़े आश्चर्य से देखने लगे।
"मैं समयबद्धता और अनुशासन की बातें इसीलिए ही करता हूँ कि आप ऑफिस में अपना समय बेकार की बातों में जाया न करें। समय से अपना काम करके, सही समय पर बिना किसी तनाव के घर जाएँ और अपने परिवार के साथ अच्छा समय बिताएं। परिवार में ख़ुशी होगी तो आप भी खुश रहेंगे। आप खुश रहेंगे तो आपकी दक्षता बढ़ेगी और अंतिम रूप से कंपनी को फ़ायदा होगा। अपने परिवार की इन छोटी -छोटी खुशियों के पल को कभी मत खोना। यह समय फिर कभी लौटकर नहीं आएगा। "मिस्टर सिन्हा की बात ख़त्म होते ही वहां मौजूद प्रत्येह शख्स उनकी तरफ प्रशंसा भरी नज़रों से देखने लगा।
"अरे भई, साकेत अभी तक यहीं बैठे हो। देर नहीं हो रही। मेरी मोटिवेशनल स्पीच तो फिर कभी। ", मिस्टर सिन्हा ने मुस्कुराते हुए साकेत से कहा।
"जी सर,बस निकलता हूँ।" साकेत ने कहा।
साकेत जैसे ही ऑडिटोरियम के दरवाज़े पर पहुंचा, उसने स्नेहा को वहाँ अपना इंतज़ार करते हुए पाया। साकेत पर नज़र पड़ते ही, स्नेहा का मन मयूर नाच उठा। स्नेहा की आँखों की चमक और चेहरे की मुस्कान ने मिस्टर सिन्हा की कही एक -एक बात को सच साबित कर दिया।
"चलो, जल्दी -जल्दी, रिद्धिमा का परफॉरमेंस अभी 5 मिनट में शुरू हो जाएगा। ",स्नेहा ने साकेत से कहा।
"मैं थोड़ा जल्दी आ गयी थी, आगे से तीसरी पंक्ति में जगह मिल गयी है, वहाँ से रिद्धिमा को आसानी से देख पायेंगे। ",स्नेहा ने चलते -चलते कहा।
साकेत और स्नेहा अपनी-अपनी जगहों पर जाकर बैठ गए। उनके बैठने के कुछ मिनट्स बाद ही रिद्धिमा स्टेज पर आ गयी थी। अपनी मम्मी के साथ पापा को देखकर रिद्धिमा ख़ुशी से चिल्ला उठी। साकेत ने उसकी हौंसला अफजाई की। साकेत अपनी बेटी को खुश देखकर खुद भी बहुत ही खुश था।बेटी के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान को देखकर साकेत का भी मन मयूर नाच उठा था। वह सोच रहा था कि ज़िन्दगी में इससे बेहतर भी भला कुछ और हो सकता है। ख़ुशी हमारे आसपास ही होती है और हम पता नहीं उसे कहाँ -कहाँ तलाशते हैं ;कभी बड़े घर में ,कभी बड़ी गाड़ी में ,कभी बड़े पद में।
अपने परिवार के साथ एक अच्छा दिन बिताकर साकेत ने समझ लिया था कि खुशियों का असली ख़जाना तो परिवार ही है, बाकी सब तो इस ख़जाने को पाने की कुंजी भर है।
अगले दिन साकेत का प्रेजेंटेशन भी बहुत अच्छा हुआ। साकेत ने मिस्टर सिन्हा को उनकी सलाह के लिए धन्यवाद दिया।
