खुशी की तलाश
खुशी की तलाश
वह धनाढ्य महानुभाव आज सुबह अपने बंगले में गोल्ड कोटेड मार्बल की डाइनिंग टेबल पर बैठे थे.
सामने चांदी की प्लेट व बाउल में, अनसाल्टेड स्प्राउटस्, बिना शक्कर की चाय पी रहे थे.
फिर कुछ देर बाद......... अनसाल्टेड ओकरा की सब्जी और बिन घी तेल की दो चपाती और गर्म खनिज पानी था।
11,000 करोड़ रुपये का घर, दस नौकरों को नाश्ता मिल रहा था, पचासों एसी चल रहे थे, गारेगर हवा दे रहे थे। इमारतों के नीचे से प्रदूषण का धुआं निकल रहा था।
ऐसे माहौल में नाश्ता कर रहे थे वह बहुत बड़े बिजनेसमैन...
वहीं दूर खलिहान में दूर कुएं की मेढ़ पर एक खेतिहर मजदूर बैठा था।
वो छोले की तरी वाली सब्जी के साथ रोटी, हल्दी-मसाले में पकी भिंडी व साथ में अचार भी खा रहा था।
मीठे में गुड़ और पीने के लिए बर्तन में ठंडा पानी था।सामने हरे - भरे खेत, शुद्ध हवा में लहराती फसलें, ठंडी हवाएं, चिड़ियों की चहचहाहट।और वह आराम से खा कर रहा था।
500 रुपए कमाने वाला एक खेतिहर मजदूर वह खा रहा था जो 7 अरब रुपए का मालिक नहीं खा पा रहा था।
अब बताइए इन दोनों में क्या अंतर था?
वह धनाढ्य महाशय 60 साल के थे और मजदूर भी 60 साल का था।
नाश्ते के बाद वह बड़े बिजनेसमैन मधुमेह और बीपी की गोली ले रहे थे और एक खेतिहर मजदूर चूने के साथ पान खा रहा था।इसीलिए कोई हीन नहीं, कोई महान नहीं।
खुशी की तलाश न करें, सुख को महसूस करें।
संसाधनों के अभाव को अधिक महत्व न दें...बल्कि....जिन्दगी को अतुलनीय आनंद के साथ जिएं...!!