Sunita Shukla

Children Stories Inspirational

3.6  

Sunita Shukla

Children Stories Inspirational

छू लो आसमान

छू लो आसमान

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एक बेटे ने पिता से पूछा-पापा.. "ये 'सफल जीवन' क्या होता है ??"


पिता, बेटे को पतंग उड़ाने ले गए। बेटा पिता को ध्यान से पतंग उड़ाते देख रहा था...थोड़ी देर बाद बेटा बोला-

"पापा.. ये धागे की वजह से पतंग और ऊपर की ओर नहीं जा पा रही है, क्या हम इसे तोड़ दें !! तो ये आजादी से और ऊपर चली जाएगी....!"


पिता ने धागा तोड़ दिया ..!


पतंग थोड़ा सा और ऊपर गई और उसके बाद लहरा कर नीचे आयी और दूर अनजान जगह पर जा कर गिर गई...बेटे के चेहरे पर एक मायूसी सी छा गई। 


तब पिता ने बेटे को जीवन का दर्शन समझाया...


"बेटा.. 'जिंदगी में हम जिस ऊंचाई पर हैं.. वहाँ से और ऊपर जाना चाहते हैं।पर हमें अक्सर लगता है कि कुछ चीजें, जिनसे हम बंधे हैं वे हमें और ऊपर जाने से रोक रही हैं। ये कुछ भी हो सकती हैं जैसे- 


-घर....

-परिवार....

-अनुशासन....

-माता-पिता.....

-गुरू.....और....

-समाज.....


और हम उनसे आजाद होना चाहते हैं...लेकिन वास्तव में यही वो धागे होते हैं जो हमें उस ऊंचाई पर बना के रखते हैं..और ऊँचे आसमान तक ले जाते हैं।

'इन धागों के बिना हम एक बार तो ऊपर जायेंगे परन्तु बाद में हमारा वो ही हश्र होगा जो बिना धागे की पतंग का हुआ...!!"अतः जीवन में यदि तुम ऊंचाइयों पर बने रहना चाहते हो तो, कभी भी इन धागों से रिश्ता मत तोड़ना.. धागे और पतंग जैसे जुड़ाव के सफल संतुलन से मिली हुई ऊंचाई को ही 'सफल जीवन' कहते हैं..इस संतुलन से ही हम आसमान की ऊँचाइयाँ छू सकते हैं।"


       


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