मन की अनुभूतियों के उद्गार शब्दों में उकेरने की कला ही लेखनी बन कर व्यक्ति और समाज को नई राह दिखाती है
खुशी की तलाश न करें, सुख को महसूस करें। खुशी की तलाश न करें, सुख को महसूस करें।
मैं तुमसे टीवी कम देखने के लिये कहती हूँ, और फिर माँ और बेटी दोनों नींद के आगोश में सो मैं तुमसे टीवी कम देखने के लिये कहती हूँ, और फिर माँ और बेटी दोनों नींद के आगोश ...
नारद मुनी सकपकाए और अपनी असमर्थता को व्यक्त करने का प्रयत्न किया। नारद मुनी सकपकाए और अपनी असमर्थता को व्यक्त करने का प्रयत्न किया।
उन्होंने धीरे से दरवाजे को खोला तो अंदर का दृश्य देख वह पानी-पानी हो गये। उन्होंने धीरे से दरवाजे को खोला तो अंदर का दृश्य देख वह पानी-पानी हो गये।
समझ आया तो माँ ही नहीं रही। काश.... तुम मुझे एक और मौका देती माँ.....! समझ आया तो माँ ही नहीं रही। काश.... तुम मुझे एक और मौका देती माँ.....!
.अब वह भी एक सितारा बन गई थी ऊपर आसमान में... चली गई दूर कहीं अंतरिक्ष में......। .अब वह भी एक सितारा बन गई थी ऊपर आसमान में... चली गई दूर कहीं अंतरिक्ष में.........
अगली बार फिर तुम्हारे साथ अपनी यादें ताजा करूँगी। अगली बार फिर तुम्हारे साथ अपनी यादें ताजा करूँगी।
घर के अंदर का दृश्य देख मुँह से एक चीख निकली । घर के अंदर का दृश्य देख मुँह से एक चीख निकली ।