खुशी की तलाश....
खुशी की तलाश....
एक गांव में एक बुजुर्ग अंकल रहते थे। वो बड़े दुखी रहते थे। उनके चेहरे पर खुशी का नामोनिशान ना था।। वो सबसे चिढ़ा करते थे। धीरे धीरे उनका व्यक्तित्व ऐसा ही बन गया। वो हर समय अपने चेहरे पर उदासी की चादर ढके रहते थे। और दूसरों में भी उदासी भर देते थे। यही कारण था की कोई उनसे बात कर कर खुश नहीं होता था। यदि कोई कोशिश भी करता तो बुजुर्ग से गालियां ही खाता था। उन्होंने अपने आप को दुनिया का सबसे दुखी इंसान बना रखा था, और इसकी शिकायत भी सब से करता था।। कई बार लोगों से बहस होने पर वो खीझ जाया करते थे। उदासी के कारण उनका चेहरा भी मुरझा सा गया था। ऐसे ही समय बीतता गया, और समय के साथ उनकी उदासी बढ़ती गई, और उस बुजुर्ग के शब्द पहले से भी अधिक ज़हरीले होते गए। कुछ समय पश्चात, जब बूढ़े की उम्र 85 के करीब हुई, तब एक अविश्वसनीय घटना घटी। हर तरफ ये शोर मच गया की पता नहीं बूढ़े अंकल को क्या हो गया है। अब वे खुश दिखाई देते हैं। किसी से कोई शिकायत भी नहीं करते, और उनका चेहरे जो दुःख में मुरझा गया था , वो भी नई ताजगी से भर गया है। अब बुजुर्ग को जिंदगी से कोई गिला शिकवा नहीं था। कुछ लोग हिम्मत कर कर उनके पास गए और उत्सुकता पूर्वक पूछा की " आप पहले तो दुखी रहते थे पर अब क्या मिल गया जो आप अब खुश रहने लगे। बुजुर्ग ने कहा "" बात यह है, पहले मैं पागल था जो खुशी के पीछे भागता था, और इसलिए दुखी रहता था। लेकिन अब मैं ऐसा नहीं करता, अब मैं खुशी के पीछे नहीं भागता और अब अपनी जिंदगी जीने का लुत्फ ले रहा हूं। इसलिए खुश हूं। सभी को ये सुनकर अच्छा लगा। ये सच है की हम जितना जिस चीज के पीछे भागते हैं, वो चीज उतनी हमसे दूर भागती है। और जितना जिस चीज से बचकर भागते हैं, वो चीज उतना हमारे सामने भाग कर आती है। इसलिए किसी चीज से बचकर भागने का यत्न नहीं करना चाहिए।
