खुला प्रेम पत्र
खुला प्रेम पत्र
डिअर मेरी वाली,
कॉलेज आते जाते तुम्हे देखता हूँ, हर बार एक अलग रूप होता है तुम्हारा। कभी दोस्तों साथ खिलखिला के हँसती, कभी किताबो को बेतरतीब ढंग से संभालती, कभी कैंटीन में नैपकिन के कोने से होठो को साफ़ करती, कभी कॉलेज की लिफ्ट में साँसे थामे , ख़ामोशी के समन्दर में उतार देती सारे माहौल को, ऐसे में मुझे मेरी भाग दौड़ में बड़ी धड़कन तक सुनाई दे जाती है। जब अक्सर हमारी नज़र टकरा जाती,तुम लजा कर पलके झुका लेती, कई बार सोचा की कह दू..-"आई लव यू, डू यू लव मी ??"कभी हिम्मत नहीं हुई तुमसे कुछ कहने की??
अब सोचता हूँ, कह भी दूँ तो क्या फायदा???
प्यार की उम्र ही कितनी होती है..
प्यार जिसमे स्पर्श होता है, वो के वक़्त साथ धुल जाता है।कहाँ किसी के हाथों को खुश्बू उम्र भर मिलती है....और वैसे भी प्यार जैसी चीज़े सिर्फ उनके है जो अमीर है,हम मिडल क्लास वालों की आँखों में सपने ही मिलेंगे..इन्ही सपनो में से एक सपना प्यार का भी है,और तुम भी तो बस सपना हो ,खुली आँखों का अधूरा सपना, "जो अधूरा है इसलिए प्यारा है, या प्यारा है इसलिए अधूरा है कुछ कहा नहीं जा सकता!"
.....
तुम्हारा
जो कभी हो नहीं पाया