खतरों के खिलाड़ी

खतरों के खिलाड़ी

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"अरे ! तुम इस समय ?" अपने घर में आई कमला को देखकर चौंकने का अभिनय करने में सफल रहा हरेंद्र। होली की शाम थी वह घर में अकेला था।

"क्यों ? तुमने ही तो कहा था.. होली के दिन मेरे घर अबीर खेलने आना..! चलो अब अबीर मुझे लगा दो। घर में मुझे सब ढूँढ रहे होंगे..!"

"वो तो मैं आजमाया था कि तुम मुझसे कितना प्रेम करती हो।! तुम तो अव्वल नम्बर से पास हो गई..।"

"आजमाने में रिश्ते बना नहीं करते। आज के दिन अकेली लड़की का घर से दूर जाना कई खतरे राह में प्रतीक्षित होते हैं..। वक़्त बदला है समस्याएं नहीं बदली।!"

"मान लेता हूँ। मेरा दबाव गलत था। अबीर तुम्हें शादी के बाद ही समाज के सामने लगाउँगा..! चलो तुम्हें सुरक्षित घर छोड़कर आता हूँ।"


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