ख़त जो लिखा मगर
ख़त जो लिखा मगर
"एक ऐसा ख़त जो लिखा तो बड़े जोशो- खरोश से पर भेजा नहीं, वैसे मौका मिलता तो भेज ही देती पर अच्छा हुआ कि मौका नहीं मिला वरना सारी उम्र पछताती "। मीनल ने अपने बचपन की सहेली नंदनी को बताते हुए कहा।
" अच्छा तो बता दे क्या लिखा था उस खत में और किसे लिखा था ?
मीनल- रुक दिखाती हूं मैंने संभाल कर रखा है ..यह देख ..
नंदिनी ने उस को हाथ में लेकर पढ़ना शुरू किया ..
"देखिए मानव जी ! मुझे नहीं पता कि आपको शादी की इतनी जल्दी क्यों पड़ी है ? शक्ल से तो पढ़े लिखे और समझदार लगते हो। अरे क्या जरूरत है शादी के लिए हां कहने की इतनी जल्दी। एक बार मुझसे भी तो पूछा होता। सच कह रही हूं हमारा दिमाग तो उस समय चाय से भी ज्यादा गरम हो गया था और मन किया कि पूरी केतली आपके सर पर उड़ेल दू, वह तो हमारे पिताजी थोड़े गुस्सैल हैं तो आप बच गए।
अब बात मुद्दे कि, मुझे ज्यादा घुमा फिरा कर बताना पसंद नहीं तो आप शादी के लिए चुपचाप ना कर दो। हमें अभी पढ़ना है बस। अभी हमें 2- 3 साल और लगेंगे आप और किसी से शादी कर लो। पिताजी तो हमारी सुनते नहीं है जाने कौनसी घुट्टी पिलाई है, आपके ही गुणगान गाते रहते हैं।
वैसे भी अगर आपने हमारी बात नहीं मानी और शादी के लिए हां कर दी तो याद रखना जो भी होगा आप जिम्मेदार होंगे। ऐसा तांडव करेंगे आपके घर में कि पगला जाएंगे फिर हमें दोष मत देना। इसलिए चुपचाप यहां से चलते बने और हां ज्यादा होशियारी दिखाने की कोशिश ना करना, हम पर कोई बात नहीं आनी चाहिए वरना इलाके से गुजरना दूभर कर देंगे। बाकी तो आप खुद ही समझदार लगते हैं।
जय सियाराम
मीनल।
पत्र खत्म होते-होते नंदिनी का हंस हंस के बुरा हाल हो गया। बड़ी मुश्किल से उसने अपनी हंसी को रोका और बोली कि तुम्हारी शादी कैसी हुई फिर मानव से ?
" अरे यार मैंने सोचा था वह लेटर मानव को दूंगी तो वह मेरे पागलपन से घबरा कर शादी के लिए ना कर देगा पर 1 सप्ताह बीत जाने के बाद भी मुझे वो खत मानव तक पहुंचाने का मौका नहीं मिला।
और फिर 1 दिन पिताजी ने कहा बेटी हम तेरी शादी नहीं करेंगे तुम पहले पढ़ाई कर लो और जब कहोगी तब शादी करेंगे। मैं हैरान थी पिताजी के फैसले से और वह समझदार मानव भी लापता थे।
मुझे पढ़ने का मौका मिल गया है इसलिए ज्यादा जासूसी नहीं की पर जैसे ही मेरी पढ़ाई पूरी हुई और मेरे सिलेक्शन का रिजल्ट आया और मैं यह खुशखबरी देने घर पहुंची तो देखा मानव अपने पूरे परिवार के साथ वहां बैठे थे। मैं हैरान थी पर जाने क्यों मानव को देखकर खुशी भी हुई। तभी पता चला कि मानव और मेरी बातचीत के बीच में ही मानव ने मेरे पढ़ाई के जुनून को भाप लिया था पर वो शादी भी मुझसे ही करना चाहते थे इसलिए उन्होंने ही पिताजी से कहा कि वह इंतजार करेंगे जब तक की पढ़ाई खत्म नहीं हो और यह भी कहा कि मुझे इस बारे में कुछ ना बताया जाए।
नंदिनी- सच में जीजू तो बहुत समझदार निकले।
" हां नंदनी ..सारी बातें जानने के बाद और मानव का मेरे लिए इतना प्यार देखकर मेरे पास हां करने के सिवाय कोई चारा नहीं था।
हां शादी के कुछ दिन बाद मैंने उन्हें वह खत दिखाया तो वह भी हंस पड़े और बोले "खत मिलता तो मैं सच में ही डर जाता, शुक्र है तुमने भेजा नहीं और फिर हम दोनों हंस पड़े।