Hoshiar Singh Yadav Writer

Drama

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Hoshiar Singh Yadav Writer

Drama

खिलौना

खिलौना

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रानी चिल्लाई- पिता जी, मेरा जन्म दिन है और आप यह कैसी गुड़िया लेकर आए हो। यह तो हवा भी नहीं उड़ रही है। इसके पंख सही नहीं है। उड़ती है तो पंख आपस में छू जाते हैं और यह गिर जाती है। मेरे दोस्तों को मैं क्या मुंह दिखाऊंगी। पाप इसको जल्दी ठीक करो वरना मैं नाराज हो जाऊंगी। इतना सुनकर सन्नाटा छा गया।

उनके पिता रमलू जल्दी से एक कैंची उठाकर लाया और कहा-रानी एक मिनट ठहरों नाराज मत ना होना। अभी मैं इसके पंख ठीक कर देता हूं। सभी बच्चे एकटक गुड़िया को देख रहे थे कि रमलू ने उसके पंख काटे और गुड़िया लुढ़क गई। अब तो रानी रोने लगी। सन्नाटा बढ़ता ही चला गया। तभी रमलू ने कहा देखो रानी एक ओर प्रयास करता हूं और उन्होंने गुड़िया के पंख कैंची से ठीक से काटे और जोर से एक आवाज आई और गुड़िया कमरे में उडऩे लगी। उदास चेहरों पर मानों मुस्कान छा गई। रानी जोर से हंसी और सारा कमरा तालियों की गडग़ड़ाहट के संग 'हैप्पी बर्थ डे टू यू रानी' कहने लगा।


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