ख़ूनी गुड़िया भाग 7
ख़ूनी गुड़िया भाग 7
ख़ूनी गुड़िया
भाग 7
राजू जैसे ही लौटा उसका चेहरा देखकर स्नेहा बुरी तरह घबरा गई। उसने अपने हाथ में कातिल गुड़िया की एक टांग पकड़ रखी थी और वह उसके हाथ में निर्जीव सी लटक रही थी। उसके बाल नीचे की ओर लटके हुए थे। राजू आते ही चिल्ला पड़ा, शर्मा आंटी का खून हो गया है वो अपने कमरे में मरी पड़ी हैं और यही गुड़िया उनकी छाती पर पड़ी थी, और उसने गुड़िया को फर्श पर फेंक दिया। गुड़िया में कोई हरकत नहीं हो रही थी। स्नेहा सुबक सुबक कर रोने लगी। हे भगवान! अब क्या होगा? इस गुड़िया ने शर्मा आंटी को मार दिया। थोड़ी देर बाद स्नेहा हिम्मत करके राजू के साथ शर्मा आंटी के घर में गई। शर्मा आंटी अपने घर के सोफे पर चित पड़ी थी। उनके सिर पर किसी वजनी चीज़ से जबरदस्त वार किया गया था। पीतल का बना हुआ वजनी फूलदान बगल में ही गिरा हुआ था जिसपर खून के निशान थे। ज़रूर इसी से जोरदार वार करके मिसेज शर्मा की जान ली गई थी। कातिल गुड़िया ने अपना शिकार कर लिया था। स्नेहा दोनों हाथों में मुंह छुपाए जोर-जोर से रोने लगी। राजू खुद बुरी तरह घबराया हुआ था पर वह स्नेहा को सांत्वना देने की कोशिश करने लगा। यह गुलगापाड़ा सुनकर पड़ोस के फ्लैट का बूबना परिवार बाहर निकल आया। पड़ोसी राधेमोहन बूबना ने फ़्लैट में आकर जैसे ही शर्मा मैडम की लाश देखी वे उलटे पैरों लौट गए और थोड़ी ही देर में पुलिस हाजिर थी।
पी.एस.आई मंगेश कदम ने पहले आते ही सबको कमरे से निकाल दिया और बारीकी से घटनास्थल का मुआयना करने लगा। वजनी फूलदान के एक ही वार ने मिसेज शर्मा की जान ले ली थी मतलब कातिल खूब हट्टाकट्टा और बलिष्ठ होना चाहिए। सबसे पहले राजू ने लाश देखी थी तो उससे पूछताछ आरम्भ हुई। राजू बेहद दुबला पतला था तो वह ऐसा वार करने में मंगेश को सक्षम नहीं लगा पर मंगेश ने पहले भी ऐसे दुर्दांत हत्यारों को देखा था जो शक्ल से एक मक्खी मारने के काबिल भी नहीं लगते थे। राजू ने स्नेहा के फोन और अपने आने तक की सारी बातें बता दीं।
तुम कमरे में घुसे कैसे? मंगेश ने पूछा, भीतर तो शर्मा मैडम अकेली थी और तुम्हारे कथनानुसार वे मरी पड़ी थी तो दरवाज़ा किसने खोला?
सर मैंने बेल बजाई तो दरवाज़ा नहीं खुला तब मैंने यूँ ही दरवाज़ा ठेला तो यह भीतर की ओर खुल गया। शायद यह खुला हुआ ही था, राजू बोला।
गुड़िया का क्या चक्कर है? मंगेश ने पूछा, राजू ने उसे गुड़िया वाले एंगल के बारे में भी बता दिया था।
सर मैंने देखा था तब गुड़िया मिसेज शर्मा की छाती पर पड़ी हुई थी और मैंने बेध्यानी में गुड़िया वहां से उठा ली और स्नेहा के पास चला गया।
ये तुमने गलत किया, मंगेश बोला, मौका-ए-वारदात पर कभी किसी चीज को नहीं छूना चाहिए।
आई एम सॉरी सर! मुझे पता नहीं था।
ईट्स ओके, स्नेहा को भेजो, कहकर मंगेश ने उसे जाने को कह दिया।