ख़ूनी गुड़िया भाग 6
ख़ूनी गुड़िया भाग 6
ख़ूनी गुड़िया
भाग 6
स्नेहा के अनुरोध पर शर्मा आंटी गुड़िया को ले गई। अब स्नेहा का ऑफिस जाना कैंसिल हो गया था क्यों कि काफी देर हो चुकी थी। उसने फोन करके तबीयत खराब होने की बात बता दी और पलंग पर पड़े-पड़े कल से हो रही अजीब घटनाओं के बारे में सोचने लगी। आखिर रमेश की लाश कहाँ गायब हो गई? उसने साफ़-साफ़ रमेश की लाश देखी थी। स्नेहा ने अपना मोबाइल उठाकर रमेश का नम्बर डायल किया और तब वह हैरान रह गई जब सामने से रमेश की आवाज़ आई, बोलिये मेमसाब!
कभी कभी दूध की ज़रूरत न होने पर या अतिरिक्त दूध के लिए स्नेहा रमेश को फोन करती थी।
तुम आज सुबह कितने बजे आये थे? उसने पूछा,
रोज के ही टाइम आया था मेम साब, रमेश बोला, क्या बात है?
तुम्हे कोई मिला था क्या मेरे घर के सामने? स्नेहा रुक-रुक कर सोचती हुई बोली, उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह रमेश से क्या कहे।
नहीं मेमसाब! रमेश बोला, मैं तो डोलची में दूध की थैली डालकर चला गया था, मुझे कोई नहीं मिला। सारे फ्लैटों के दरवाज़े बंद थे।
ओके ठीक है कहकर स्नेहा ने फोन रख दिया फिर वह उठकर बाहर निकल आई और ध्यान से अपने दरवाज़े के बाहर निरीक्षण करने लगी। वहाँ उसे खूनखराबे के कोई निशान नहीं मिले। फिर उसने शर्मा आंटी की कॉल बेल बजाने के लिए बटन पर ऊँगली रखी लेकिन कुछ सोचकर हटा ली और अपने घर में लौट आई।
एक कुर्सी पर बैठकर स्नेहा ने अपने दोस्त राजू को फोन लगाया। बाकी सभी मित्र जॉब करते थे लेकिन राजू फिलहाल बेरोज़गार था। राजू एम.बी.ए करके एक नए स्टार्टअप में साल भर काम कर चुका था लेकिन वहाँ कोई ग्रोथ न देखकर उसने रिजाइन कर दिया था और अब किसी बेहतर जॉब की तलाश में था।
हाय स्नेहा! कैसी हो बर्थडे गर्ल? उसने पूछा
यार बहुत बड़ी प्रॉब्लम हो गई है। स्नेहा बोली, मैं बहुत बीमार हूँ क्या तुम प्लीज़ मेरे यहाँ आ सकते हो?
अभी आया कहकर राजू ने फोन काट दिया और पंद्रह मिनटों में वह स्नेहा के घर पर हाजिर था।
स्नेहा उसे देखते ही उससे लिपटकर सिसकियाँ लेने लगी।
राजू उसका सिर सहलाता रहा। कुछ देर बाद संयत होकर स्नेहा ने सारी कहानी राजू को बताई तो उसकी आँखें आश्चर्य से फैल गई।
कहाँ है वो गुड़िया? ऐसा कैसे हो सकता है? राजू चीख पड़ा।
बगलवाली शर्मा आंटी ले गई हैं स्नेहा बोली
मैं देखकर आता हूँ कहकर राजू बगल में चला गया और जब लौटा तो मानो पहाड़ टूट चुका था।