ख़ूनी गुड़िया भाग 10

ख़ूनी गुड़िया भाग 10

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ख़ूनी गुड़िया

भाग 10


मंगेश के अगले आठ दिन पुलिस अस्पताल में गुज़रे। उसके हाथ में फ्रैक्चर हो गया था। कमर में भी काफी चोट आई थी। उसे लगने लगा कि कहीं अभिशप्त गुड़िया के कारण ही तो उसपर मुसीबत नहीं आ गई। अस्पताल का आर्थोपेडिक सर्जन गणेश नाईक मंगेश का दोस्त था उसे मंगेश ने अपनी समस्या बताई। उसी शाम गणेश, मंगेश को साथ लेकर विख्यात मनोचिकित्सक अहमद लाकडावाला के पास गया। डॉ.अहमद लाकडावाला लगभग सत्तर साल के बुज़ुर्ग थे और चिकित्सा की दुनिया में बहुत मकबूल थे। डॉ.अहमद ने मंगेश की पूरी समस्या सुनी और बोले, मेडिकल साइंस की दुनिया में इस मेंटल डिसऑर्डर को सीजोफ्रेनिया कहा जाता है। इस बीमारी में मानव मस्तिष्क डेपोमेन नामक रसायन का अधिक उत्पादन करने लगता है जिसके प्रभाव से मरीज़ को अजीबोगरीब घटनाएं घटित होती दिखाई पड़ती हैं। उसके मन में आत्महत्या या किसी की हत्या के विचार भी आ सकते हैं। इसे भूत प्रेत या किसी परलौकिक घटना से जोड़ना हास्यास्पद है।
लेकिन सर! मेरा एक्सीडेंट तभी ही क्यों हुआ जब शैतान गुड़िया मेरे पास थी और मैं उसकी तहकीकात कर रहा था? मंगेश ने पूछा
यह केवल संयोग है ऑफिसर, डॉ अहमद बोले। मंगेश सहमति में सिर हिलाने के सिवा और क्या कर सकता था?
अगले दिन मंगेश स्नेहा के घर गया। मिसेज शर्मा मर्डर केस की जांच मंगेश के एक्सीडेंट की वजह से लटक गई थी। मंगेश को देखते ही स्नेहा के चेहरे पर एक बार फिर भय उतर आया। उसे आठ दिन पहले की घटनाएं याद आने लगी। फिर भी उसने किसी तरह खुद पर काबू पाया और मंगेश के सवालों के जवाब देने लगी। थोड़ी देर बाद स्नेहा ने मंगेश से चाय के लिए पूछा और उसके हामी भरने पर किचन में जाकर चाय बनाने लगी। इतनी देर में मंगेश ने शैतान गुड़िया जेब से निकाल कर सोफे पर बैठा दी और प्रतीक्षा करने लगा। थोड़ी देर में हाथों में चाय की ट्रे लिए स्नेहा ने किचेन से बाहर कदम रखा और गुड़िया पर नज़र पड़ते ही मानो फ्रीज हो गई। गुड़िया तेजी से आँखे नचा रही थी और उसके मुंह से भयानक आवाज़ निकल रही थी। स्नेहा का चेहरा विकृत होने लगा। उसके हाथों से चाय की ट्रे छूट गई औऱ चाय के कप गिरकर फूट गए। स्नेहा ने विक्षिप्तावस्था में बगल में पड़ा सफाई करने का वैक्यूम क्लीनर उठा लिया और गुड़िया की ओर दौड़ी। मंगेश गुड़िया की बगल में बैठा ध्यान से स्नेहा को देख रहा था। स्नेहा ने पास आकर पूरी ताकत से वैक्यूम क्लीनर मंगेश के सिर पर दे मारा, लेकिन वह पूरी तरह सावधान था उसने झुकाई देकर खुद को बचा लिया और अपने सलामत हाथ का जोरदार घूंसा स्नेहा की कनपटी पर जड़ दिया। स्नेहा की आंखें उलट गईं। वह बेहोश होकर गिर पड़ी। अचानक दरवाज़ा खुला और राजू ने भीतर कदम रखा। भीतर के हालात देखकर उसे भारी धक्का लगा। वह मंगेश पर टूट पड़ा। लेकिन वह दुबला पतला नौजवान था और मंगेश पुलिस विभाग का बॉक्सर भी था। उसने दो मिनटों में ही राजू को काबू में कर लिया। राजू हांफता हुआ ज़मीन पर पड़ा था तब मंगेश बोला, ग़लतफ़हमी मत पालो राजू! स्नेहा ही मिसेज शर्मा की कातिल है। मैं और पुलिसबल बुलाने जा रहा हूँ तब तक शांत रहो फिर सारी स्थिति साफ हो जायेगी।
राजू ने सहमति में सिर हिला दिया और मंगेश फोन पर व्यस्त हो गया।


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