ख़ूनी गुड़िया भाग 1

ख़ूनी गुड़िया भाग 1

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ख़ूनी गुड़िया
भाग 1


स्नेहा प्रजापति ने धीमे-धीमे पूरे घर को संवारना शुरू किया। हर तरफ अव्यवस्था फैली हुई थी। सामने टेबल पर केक के टुकड़े छितराये हुए पड़े थे। आस पास कई तरह के मास्क, कप, प्लेटें, मोमबत्ती इत्यादि बिखरे पड़े थे। स्नेहा का आज बर्थडे है। कल रात ही शोभना, अमित, गौरांग, प्रीति, राजू और मंदार जैसे दोस्तों ने आधी रात को ही आकर जबरदस्त हंगामा कर दिया। उन्होंने खूब मस्ती की, नाचे गाये। मंदार केक ले आया था। केक कटिंग के बाद ब्लूटूथ स्पीकर को मोबाइल से कनेक्ट करके खूब डांस हुआ। केक लेकर स्नेहा के मुंह पर मल दिया गया। फिर वे आखिरी बार विश करके चले गए। सभी ने गिफ्ट के छोटे-छोटे पैकेट दिए थे जो बगल की आराम कुर्सी पर यूँ ही पड़े थे। आज सन्डे होने के कारण स्नेहा को ऑफिस नहीं जाना था। वह बहुत खुश थी। उसने धीरे-धीरे सारी चीजें समेट लीं। कई सारे गिफ्ट के पैकेट थे। उसने उन सभी पैकेटों का पलंग पर ढेर लगा दिया और पालथी मारकर गद्दे पर बैठ गई और बारी-बारी से पैकेट खोलने शुरू कर दिए। सबसे पहले उसने अपनी प्रिय सहेली प्रीति का पैकेट खोला, उसमें से एक छोटी-सी चांदी की जंजीर निकली जिसमें खूबसूरत-सा दिल के आकार का अमेरिकन डायमंड लगा हुआ पेंडल लगा था। प्रीति को वह बहुत पसंद आया। उसने चेन चूम ली। फिर मंदार का दिया बोन चाइना क्रॉकरी सेट, शोभना की दी जींस, आदि देखते हुए उसे एक अजीब-सा पैकेट मिला यह पैकेट अनगढ़ आकार में था मानो बिना बॉक्स के कोई चीज चमकीले रंगीन पेपर में लपेट दी गई हो। उसे उलटने-पुलटने पर कोई नाम नहीं मिला। स्नेहा असमंजस में पड़ गई। उसने उस पैकेट को खोल दिया। भीतर से एक चटक लाल रंग की बैटरी चालित रबर की गुड़िया निकल आई। वह जल्दी-जल्दी आँखें झपका रही थी और उसके गले से अजीब-सी घर्र घर्र की आवाज़ निकल रही थी। स्नेहा ने उसे उलट-पलट कर देखा कि उसका स्विच बंद कर सके पर यह देखकर वह आश्चर्य से भर गई कि उसमें कोई स्विच था ही नहीं। उसे इस गुड़िया की आवाज़ परेशान कर रही थी तो उसने उसका बैटरी कवर खोल दिया। उसने सोचा कि इसकी बैटरी ही निकाल दूँ जिससे इसकी आवाज़ बंद हो जाए लेकिन यह देखकर उसकी आँखें आश्चर्य से फट पड़ी कि उसमें बैटरी थी ही नहीं।


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