STORYMIRROR

ख़नक

ख़नक

1 min
15.8K


लाल और हरी चूड़ियाँ अपने अपने रूप पर इतरा रही थी। लाल चूड़ी इतरा कर बोली,

"अगर मैं हूँ तो दुल्हन का शृंगार है। माता के पूजन में मुझे ही चढ़ाया जाता है।"

और अदा से बज उठी।

यह सुन कर हरी चूड़ी बोली,

"सावन में जब दुल्हन मायके आती हैं और चारों ओर हरियाली छाती है तब उनके हाथों में मैं ही खिलती हूँ। तब गोरी के हाथों पर चार चाँद लग जाते हैं।"

इतना कह दोनों खनक उठी, तभी उनकी नजर पास पड़ी टूटी चूड़ियों पर गई और वह दोनों हिकारत से बोली,

"ये टूटी-फूटी चूड़ियाँ कहाँ से आ गईं? छि:, कितनी खराब दशा है इनकी।"

टूटी हुई चूड़ियाँ यह सुन कर दुःखी हो गई और उनकी आँखो सजल हो गईं। तभी पास रखा सिंदूर बोला, "इनकी कीमत तुमसें कई गुना है क्योंकि यह एक शहीद की पत्नी की चूड़ियाँ हैं ,जो इसलिए टूट गई ताकि तुम खिलखिलाती रहों..।"


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational