कहानी शब्दों की
कहानी शब्दों की
अपनी कहानी छोड़ जा
शर्म आती है मगर आज ये कहना होगा
कुछ तो निशानी छोड़ जा
अब हमें आपके क़दमो मे ही रहना होगा
जमाने की हिचकियाँ है की तीखी मिर्चियाँ
मालूम नहीं मालूम नहीं
शबनम की चुभन पाँव में छाले उफ़्फ़ ये ईश
मालूम नहीं मालूम नहीं ।