कहानी प्रेम की
कहानी प्रेम की
"प्रेम बेटा, जा जरा, छोटी बुआ तो ज़रा मार्केट पहुँचा दे।"
"क्या माँ, घर में चैन से थोड़ी देर बैठ भी नहीं सकता।अच्छा, बस एक गेम खेलने दो, फिर चला जाऊँगा।"तभी शर्मा जी ने प्रेम को ये सब कहते सुन लिया।
फिर क्या क्लास लग गयी प्रेम की।
"हां, सही कहा तुमने। तुम्हें हम सब चैन से बैठने कहाँ देते हैं?दिन भर तो जैसे तू पढ़ाई करता रहता हैं और बचे हुए समय में घर के काम , हैं ना प्रेम कुमार जी।कितने प्यार से तेरा नाम हम सब ने प्रेम रखा था।लेकिन किसी चीज़ से तुझे प्रेम ही नहीं।ना पढ़ाई- लिखाई से और ना नहीं हमारे बिजनेस से।"
माँ ने किसी तरह कोई काम का बहाना कर के शर्मा जी चुप कराया।घर का इकलौता वारिस प्रेम।
बेचारा, दिन भर पिताजी की डांट सुनता रहता, लेकिन क्या करता।बारहवीं में वो फिर से फेल हो गया था। इसलिये चाह कर भी माँ का प्यार उसे अब शर्मा जी के गुस्से से नहीं बचा पाता था।
इधर बेचारा प्रेम, रोज भगवान के सामने मिन्नते करता,"भगवान जी, नाम प्रेम है, लेकिन जीवन में प्रेम की कमी है। इसलिए किसी काम को प्रेम से करने का मन नहीं करता। कोई मुझे भी प्रेम करने वाली मिला दो । मेरा नाम पूरा कर दो भगवान। फिर पढ़ाई क्या हर काम मन से प्रेम से करूँगा।"
भगवान ने भी देर सवेर प्रेम की पुकार सुन ली।
प्रेम के कोचिंग में परी पढ़ती थी। उससे जूनियर थी।मन ही मन प्रेम को पसंद करती थी, लेकिन बात करने में शर्माती थी।एक दिन बहुत तेज बारिश हो रही थी। परी बस का इंतज़ार कर रही थी। प्रेम भी खड़ा था।परी ने ही बात शुरू की।
"आपके पास छाता नहीं है तो हमारे साथ चलिये।आपके घर के आगे गली में मेरा घर है।"
प्रेम को जैसे बिना मांगे सब कुछ मिल गया। वो भी परी को पसंद करता था। बस बोल नहीं पाता था क्योंकि वो अपने फेल होने के कारण सोचता था, वो मना कर देगी। उससे दोस्ती भी नहीं करेगी।खैर, धीरे-धीरे बात आगे बढ़ने लगी।दोनों फ़ोन पर बातें भी करने लगे। प्रेम ने बताया कि वो पढ़ने की कोशिश करता है, लेकिन उसका मन ही नहीं लगता। इसलिए उसके पापा उससे गुस्सा रहते हैं।परी ने कहा "तुम मन लगा कर अच्छे से पढ़ाई करोगे तो जरूर पास होगे।अच्छा सुनो! एग्जाम तक मैं तुम्हें पढ़ा दिया करुँगी।"
परी की मेहनत और साथ से धीरे- धीरे प्रेम मन लगा कर पढ़ाई करने लगा और फाइनल एग्जाम में प्रेम ने स्कूल में टॉप किया।शर्मा जी भी बहुत खुश हुए। उसने प्रेम को गले लगाते हुए कहा कि बेटाआज तुमने अपने नाम को सार्थक कर दिया।प्रेम खुशी से परी के पास गया और अपने प्यार का इजहार करते हुए कहा कि "तुमने मेरी जिंदगी को प्रेम से भर दिया।क्या जिंदगी भर मेरा साथ निभाओगी?"
परी ने भी मुस्कुराते हुए हामी भर दी।