कहानी जो आपको सफलता की ओर ले जाएगी
कहानी जो आपको सफलता की ओर ले जाएगी


एक बार की बात है , एक छोटा बच्चा था ऋत्विक उसके आस पास के सभी लोग उससे पूछा करते थे की वह बड़ा होकर क्या बनेगा? क्योंकि तब वह छोटा था, इसलिए उसने भी बाकी बच्चों की तरह बोल दिया की वह बड़ा होकर डॉक्टर या इंजीनियर ही बनेगा। उस समय तो उसने बोल दिया की वह डॉक्टर या इंजीनियर बनना चाहता है पर जब वह ग्यारवी क्लास में आया उस वक़्त भी यही बात उसके दिमाग में थी और वह पढ़ने में भी काफी होशियार था तो उसने उसी को आधार बना के साइंस स्ट्रीम (पीसीएम) का चुनाव किया। चलिए यहाँ पर भी कोई दिक्कत नहीं आयी उसने ग्यारवी क्लास की फिर जब वह बारवी में आया तो पूरी बारहवीं क्लास करने के दौरान कई बार उसके दिमाग में आया की " पता नहीं मैं ये सब क्यों पढ़ रहा हूँ, क्युकी अगर कोई मुझसे ग्यारवी क्लास का कुछ पूछ ले तो शायद मैं उसका सही और सटीक उत्तर देने में असफल रहूँगा इसी तरह अगले साल मुझसे बारहवीं क्लास का किसी ने कुछ पूछ लिया तो उस वक़्त भी मेरा यही हाल रहेगा क्योंकि ये सारा सिलेबस मैं बस एग्जाम देने के लिए तो पढ़ रहा हूँ, फिर इसका आगे क्या होगा ये तो मैं भी नहीं जनता।" ये सब सोचते सोचते बारहवीं क्लास भी बीत गयी अच्छे खासे मार्क्स भी आ गए।
अब ऋत्विक को कुछ कुछ समझ आने लगा था की हमारा एजुकेशन सिस्टम कैसा है यहाँ पर सिर्फ मार्क्स ही इम्पोर्टेंस रखते हैं। चलिए कहानी में आगे बढ़ते हैं अब बात आयी की ऋत्विक ने बारहवीं तो कर ली अब वह आगे क्या करेगा? इस मोड़ पर भी उसके दिमाग में डॉक्टर और इंजीनियर बनने की बात कहीं न कहीं थी, इसलिए एक बार फिर उसने पता नहीं कैसे पर उसी के हिसाब से उसने जी मेंस और जी एडवांस्ड की परीक्षा देने का सोचा पर अफ़सोस की वह जी मेंस की परीक्षा में पास नहीं हो पाया, इसलिए वह जी एडवांस्ड की परीक्षा भी नहीं दे पाया। चलिए कोई नहीं मैथ्स उसका पसंदीदा विषय होने के कारन अब उसने मैथ्स से ही बीएससी कर ली। अब बीएससी के लास्ट साल में सवाल उठा की अब वह आगे क्या करेगा ? कुछ लोगो ने कहा की कॉम्पिटिटिव फॉर्म्स भर लो किसी न किसी
में तो नंबर आ ही जायेगा, कुछ ने कहा मैथ्स में हायर स्टडीज कर लो। इसी तरह सब लोग कुछ न कुछ कह रहे थे पर यहाँ पर ऋत्विक समझ गया था की ये सब लोग जो जो करने के लिए बोल रहे हैं ज़्यादातर लोग वही करते हैं। इसलिए इन सब चीज़ों में कम्पटीशन बहुत ज़्यादा है और इन सब चीज़ों के लिए डेडिकेशन की ज़रुरत होती है, जो ऋत्विक को पता था की वह ऐसी चीज़ को डेडिकेशन नहीं दे सकता जिस चीज़ को करने के लिए उसका मन खुश नहीं है। बस अब ऋत्विक ने सोचना शुरू किया अपना दिमाग, अपनी सोच को बड़ा किया और उसने ऐसी चीज़ के बारे में सर्च करना शुरू किया जिस चीज़ चीज़ में वह मन लगाके काम कर सके और आप लोग यह सुन कर हैरान होंगे की उसने पाया की हमारा दिमाग ही एक ऐसी चीज़ है जिसे आज तक कोई नहीं समझ पाया, यहाँ तक की पूरी दुनिया के साइंटिस्ट्स भी दिमाग यानि माइंड के बारे में सिर्फ चार से छे प्रतिशत ही जान पाये हैं, और काफी कम लोग हैं जो जी जान से दिमाग के काम करने के रहस्य को सुलझाना चाहते है। बाकि तो हार मान चुके है। अब बस यही वो चीज़ थी जो ऋत्विक के इंटरेस्ट की थी और कही न कही इसको करने में ऋत्विक की बारहवीं और बीएससी की पढ़ाई काफी हद तक काम आएगी। तो बस ऋत्विक इस काम में जुट गया उसने बीएससी पूरी की फिर वह फिजिक्स और मैथ्स को लेकर माइंड के बारे में नयी खोज और रहस्य सुलझाने में लग गया। इस काम में इसका इंटरेस्ट इतना था की वह इस फील्ड में लगातार सफलता पाने के चलते उसे कही बार फॉरेन जाकर अपने देश का नाम रोशन करने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ और आज ऋत्विक अपने उस वक़्त के डिसिशन को लेकर गर्व महसूस करता है ।।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की हमेशा जो लोग कह रहे हैं या जो अधिकतम लोग कर रहे हैं हमें उससे अलग जाकर भी सोचना चाहिए, और बिना लोग क्या कहेंगे इस बारे में सोचे हमें अपने ऊपर विश्वास रखते हुए आगे बढ़ना चाहिए। आखिर हम भी खतरो के खिलाडी से काम है के।।