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Children Stories Drama Tragedy

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जूड़ा पिन और दादी

जूड़ा पिन और दादी

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यह कहानी उन गर्मी की छुट्टियों की है जब मैं अपनी दादी के घर कुछ दिनों के लिए रहने गई थी, चलिए पहले मैं आप सबको अपनी दादी के बारे में बताती हूं, मेरी दादी करीबन ६५ साल की महिला थी जो दादा जी के साथ रहती थी। वह थी तो ६५ साल की पर उनमे फुर्ती २० साल वाली थी, वह हमेशा अपना सारा काम खुद ही करना पसंद करती थी। उन्हें किसी पर भी निर्भर रहना पसंद नहीं था, इसलिए मैं उन्हें सूपर दादी बुलाया करती थी और वो भी मुझसे बहुत प्यार करती थी मेरी दादी की एक और ख़ास बात थी और वो थे उनके लम्बे घने काले बाल आप भी जानकर हैरान होंगे की उनके ६५ की उम्र में भी एक भी सफ़ेद बाल नहीं था सभी लोग उनसे उनके लम्बे काले घने बालो का राज़ पूछते रहते थे और उनका भी हमेशा यही जवाब होता था की वह अपने बालो के लिए कुछ अलग से नहीं करती हैं, बस अपनी दिनचर्या को समय से पूरा करती हैं तथा हमेशा सात्विक भोजन ही ग्रहण किया करती हैं और सबसे ज़रूरी दादी की सबसे प्रिय चीज़ यानी की वह चीज़ जिससे दादी अपने काले घने बालों को बाँधा करती थी, वो थी एक चन्दन की लकड़ी से बनी बड़ी खूबसूरती से तराशी हुई जूड़ा पिन वह जूड़ा पिन उनको इतनी प्रिये थी की वह उसे कभी भी अपने से अलग नहीं करती थी दादी हमेशा अपने बालो को बांधने के लिए केवल उसी जूड़ा पिन का इस्तेमाल किया करती थी और जब स्नान करने जाती तब भी जुड़ा पिन को साथ लेकर जाती और जो साड़ी नहाने के बाद पहनने वाली होती उसमे लगा देती दादी हमेशा अपने बालों में उस जुड़ा पिन को इस्तेमाल करते हुए यही बोला करती थी की इस जूड़ा पिन मे तो मेरे प्राण बसते हैं अगर यह जूड़ा पिन मुझसे अलग हो गयी तो मैं जीवित नहीं रह पाऊँगी । सरल शब्दों में कहा जाये तो दादी ने कभी अपने आप को उस जूड़ा पिन से अलग नहीं किया था और ना ही कभी इसके बारे में सोच सकती थी, चलिए तो अब आगे चलते हैं तो यह उन गर्मी की छुट्टियों की ही बात है वही हर रोज वाले दिन थे तेज कड़क गर्मी पड़ रही थी दादी हमेशा की तरह अपनी दिनचर्या के हिसाब से काम कर रही थी यह उनके स्नान का समय था इसलिए दादी स्नान करने चली गईं मैं बहार ही बैठी थी और अखबार पढ़ रही थी, दादा जी अंदर कमरे में सो रहे थे मैं अखबार पढ़कर उठी ही थी की दरवाज़े पे दूध वाले भैया आ गए और आवाज़ लगाने लगे की जल्दी दूध ले लो मुझे और भी जगह जाना है, मैं रसोई में जा ही रही थी की तभी दादी आ गयी और मुझसे कहा की तुम स्नान कर लो दूध मैं ले लूंगी दादी ने दूध लिया और पैसे देकर अंदर आ गयी दादी ने देखा की दूध वाले भैया ने ज़्यादा पैसे वापस कर दिए हैं दादी ने मुझसे कहा मैं अभी पैसे लौटकर आती हूं और बाहर जाने लगी , मैंने अखबार समेटा और मैं स्नान करने जा ही रही थी की मैंने देखा की दादी की जूड़ा पिन जो की साड़ी में लगी हुई थी वो दरवाज़े से अटककर नीचे गिर गयी है मैंने दादी को आवाज़ लगाई पर शायद उन्होंने सुना नहीं मैंने जुड़ा पिन उठा ली और तभी मुझे वो बात याद आयी की दादी हमेशा कहती हैं की अगर कभी भी यह जूड़ा पिन मुझसे अलग हुई तो मैं जीवित नहीं रह पाऊँगी मुझे कुछ अजीब महसूस हुआ तो मैं फटाफट सब कुछ छोड़कर बाहर भागी तो मैंने देखा की दादी पड़ोस वाली आंटी से बात कर रही थी और बिलकुल ठीक थी अब मैं आराम से उनकी तरफ जाने लगी की तभी मैंने देखा की एक पागल सांड दादी की तरफ ही भागते हुए आ रहा था पड़ोस वाली आंटी ने दादी को जल्दी से अंदर आने को कहा पर जब तक वो अंदर जा पाती सांड ने उनके सींग मार दिया था और दादी ज़मीन पर गिर गयी थी सांड को तो आस पड़ोस के लोगो ने जैसे तैसे सम्भाला पर दादी के हाथ में सांड ने इतनी ज़ोर से मारा था की खून लगातार दादी के हाथ से बह रहा था और ज़मीन पर गिरने की वजह से उनके सर पर भी काफी चोट लगी थी । दादा जी और पड़ोस वाली आंटी के घर से सभी लोग दादी को अस्पताल ले गए मैंने भी अपने मम्मी पापा को पास वाली दुकान से खबर पहुंचा दी थी तो मेरे मम्मी पापा भी वहां पहुंच गए थे और बाकी रिश्तेदार भी धीरे धीरे आ ही रहे थे अस्पताल में डॉक्टर ने इलाज तो कर दिया था पर उन्होंने बोला की इतना खून बह गया है की अब इनके बचने की कोई उम्मीद नहीं है आप सब उन्हें देख लीजिए और उन्हें ले जाइये , तभी मुझे दादी की उस जुड़ा पिन का ख्याल आया जो मैंने अपनी जेब में रख ली थी मैंने तुरंत उस जूड़ा पिन को दादी के हाथ के ऊपर रख दिया की तभी दादी की आँखें धीरे धीरे खुलने लगी मानो मेरे सामने कोई चमत्कार सा ही गया हो अचानक से सब मुझसे पूछने लगे की तुमने क्या किया, फिर मैंने बताया की मैंने तो बस वही जूड़ा पिन दादी के हाथ पर राखी थी जिसे वो कहती रहती थी की उनके प्राण इस में बसते हैं। डॉक्टर्स भी यह देखकर अचंभित थे की एक जूड़ा पिन की वजह से दादी की तबियत कुछ ही घंटो में सामान्य हो गईं बस घाव में थोड़ा दर्द था बाकी तो दादी पूरी तरह से पहले जैसी हो गयी थी, अब हम लोग दादी को घर ले आये थे अस्पताल से आए हुए एक ही दिन हुआ था की दादी फिर से पहले जैसी हो गईं थी वही रोज़ की दिनचर्या के हिसाब से काम करना और अपनी प्रिय जूड़ा पिन को बालों में लगाना ।।

मैंने तो बस साइंस में ही लॉ ऑफ अट्रैक्शन पढ़ा था पर सोचा नहीं था कि उसका ऐसा उदाहरण देखने को मिलेगा मेरी उन गर्मी की छुट्टियों मे जो भी हुआ हो पर मुझे बहुत कुछ ऐसा देखने को मिला जो सच में अदभुत था और क्योंकि आखिर में सब कुछ ठीक हो गया था इसलिए मुझे उन गर्मी की छुट्टियों से कोई शिकायत भी नहीं है ।।।


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