Gost Hunter

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कब्रिस्तान वाली 45 नम्बर का बंगला part 1

कब्रिस्तान वाली 45 नम्बर का बंगला part 1

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सब कहते है मुझे हमेशा गणेश तुम बहुत ही जिद्दी है तो में भी उन से कहता हूँ जब तक मेरा हर बिल में अपने पैसों से भरता हूँ तब तक मैं अपनी मर्जी का मालिक हूँ इसी लिए सब ने मना किया था घर खरीदने के लिए लेकिन मैंने खरीद लिया ऐसा मकान मुश्किल से मिलता है वो अलग बात है घर के पीछे कब्रिस्तान है तो किया अब मुर्दों के डर से हम जिंदा लोग भी जीना छोड़ दे मैंने जानबूझ के सारा सामान रोड से भेज दिया और में खुद कब्रिस्तान के पास कार से नीचे उतर के अपने कुर्ते के साथ पैदल चल दिया कब्रिस्तान के बीच से होता हुआ फिर आया अपनी मकान के बाहर एक छोटा सा लोहे का गेट कमर के पास से खोलता हुआ मेरे कुर्ते को नई जगह संभालना बहुत ही मुश्किल हो रहा था तो मैंने उसे खोल दिया और वो अन्दर के तरफ भागते भागते चला गया मैंने पलट के देखा जो गेट खोलने के बाद बंद करके आया था अब वो खुला हुआ था मैं अपने कुत्ते को संभाल नहीं पाया वो अब पूँछ हिलाते जैसे इतना खुश हो रहा था की जैसे उसका का मालिक मैं नहीं कोई और हो पूँछ हिलाते वहाँ के मिट्टी चाटने लग गया था कहते है जानवर अपना इलाज खुद ही कर लेते है


मैंने बहुत बार अपने कुत्ते को घास और मिट्टी चाटने देखता था इसी लिए मैं घर के अन्दर जाने लग गया यही सोच के की कुत्ते का मन जब भर जाएगा तब वो वापस आ जाएगा इसी सोच के मैं घर के अन्दर चला गया था घर के अन्दर गया तो एक चीज बहुत अजीब लगा जब मैं घर देखने आया था तो इतना साफ सफाई नहीं था अब इतना साफ सफाई किसने किया होगा और न जाने उस घर में सड़ी हुई लाश की बदबू आ रही थी, जैसे लग रहा था किसी ने जिंदा इंसान को इस घर में दफना दिया हो इतनी सड़ी हुई बदबू सन्नाटा तो था लेकिन वहाँ पे में अकेला नहीं था जैसे वहाँ पे कोई हो और वो मुझे घूर घूर के देख रहा हो, मैंने कुछ नहीं किया गाड़ी से अपना बैग ले के आया और फ्रेश हो के सो गया अगले दिन मैंने नए घर लिया था उस खुशी में मैंने अपने ऑफिस के दोस्तों को पार्टी दिया, वही घर में खुशी की बात ये थी की उस पार्टी में सब लोग आए थे पार्टी बहुत अच्छी थी पार्टी 11-12 बजे तक चला था मैं भी पार्टी इंजॉय किया और थोड़ा थक था तो मैं अपने रूम में जा के सो गया सुबह हुआ और मैं उठा तो मेरे पास में रखा टेबल पे एक कप चाय और पानी रखा था मैं उठा और देखा तो कोई वहाँ पे ताजा चाय बना के रखा हो मैंने वो चाय नहीं पिया और रूम से बाहर निकला तो घर पूरा साफ़ मैं सोचा ये सब कौन कर रहा में डर गया और वहाँ से बाहर निकल गया, तभी मेरे फ़ोन पे कॉल आता

हेलो गणेश

यार मैंने तुम्हारे रूम के टेबल पे चाय बना के रखा था पी लिया न मैं बोला अरे यार गोलू तू कब आया था और चाय बना के चला गया हेल्लो हेल्लो मैं करता गया लेकिन उधर से कोई आवाज सुनाई नहीं दिया फोन तो कट चुका था मेरा दिमाग जैसे लग रहा था फट जाएगा लेकिन फिर मैं अपने कार निकाला और गोलू के घर जाने लग गया, गोलू के घर पहुंच के मैंने पूछा यार गोलू तू कब आया था मेरे घर गोलू बोलता है अरे यार में तो 2 दिन से यहां नहीं था अभी 10 मिनट हुआ है आया हुआ और तू भी आ गया, क्या हुआ कोई काम था क्या, मैं बोला क्या लेकिन तुम कल पार्टी में भी नहीं आया था, गोलू बोलता नहीं मैं तो अपने गांव गया था लेकिन हुआ क्या है? मैं बोला यार में जब से एक घर लिया हूँ तब से कुछ न कुछ अजीब होता है गोलू बोलता क्या लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है लगता है तुम्हारा भरम है तू ज्यादा ड्रिंक मत कर नहीं तो एक दिन मर जाएगा में चुप चाप वहाँ से निकल गया थके हरे में अपने घर पे आ गया और शावर ले के सो गया लेकिन नींद तो आना चाहिए था न मुझे नींद नहीं आ रहा था तो में छत पे जा के ताजी हवा खाने लग गया थोड़ी देर बाद मैंने कब्रिस्तान के पास एक लड़की को देखा जो की वो टहल रही थी में डर गया और कमरे में जा के एक कोने में बैठ गया की तभी दरवाजे पे खट खट खट की आवाजें आने लगाआवाजें आने लगा एक बार तो लगा वही लड़की तो नहीं आ गई लेकिन तीन चार बार दरवाजे पे दस्तक उस के बाद बंद हो गया की तभी फिर से मेरे फ़ोन पे कॉल आता है हेल्लो गणेश यार दरवाजे पे देख एक लड़की आई है जरा खोल के देख वो ठीक तो है न, मैं जोर से गुस्से में बोला कौन हो तुम और क्यू परेशान कर रहे हो की तभी फोन से आवाज आता अभी तो शुरू ही हुआ है आगे देखो होता है क्या में बोला अरे यार तुम हो कौन क्या बिगाड़ा है तुम्हारा जो परेशान कर रहा है / हेल्लो हेल्लो लेकिन फोन से कोई आवाज नहीं आता है की तभी मेरे जो कुत्ता था उसके भौंकने की आवाज आने लगा में डर की वजह से कमरे से बाहर नहीं निकल पाया एक बीड़ी निकला और जला के पीने लग गया की तभी फिर से आवाज़ आता है थोड़ा मुझे भी पिला दोलेकिन इस बार कमरे के अन्दर से आवाज़ आ रहा था और वो कोई लड़की थी में बीड़ी को वही पे फेंका और कमरे से बाहर निकलने लगा लेकिन दरवाजा खुल नहीं रहा था बहुत कोशिश करने के बाद आवाज आती है थक गए इतने ही कोशिश में, मैं बोला कौन हो तुम और क्यू परेशान कर रही हो मुझे मैं क्या बिगड़ा है तुम्हारा, तभी सामने आ के खड़ी एक बहुत ही खूब सूरत लड़की मेरे सामने आके खड़ी हो गई में जैसे ही उस लड़की को देखा तो वो वही लड़की थी कब्रिस्तान वाली मैं उसे देख के वही बेहोश हो गया सुबह हुआ जब मेरी आंख खुली तो मैं अपने बेड पे पड़ा था मैं उठ के देखा तो मेरा कपड़ा खुला हुआ था और बेड पे पूरा बाल बिखरा हुआ था झट से कपड़ा पहना और कमरे से बाहर निकला तो देखता हूँ मेरा जो कुत्ता था वो मेन गेट पे मरा पड़ा हुआ था मैं बहुत रोया और मैं समझ गया की यह और कोई नहीं बल्कि वही लड़की कर रही थी में झट से अपने कार में जा के बैठ गया और स्टार्ट कर रहा था लेकिन मेरा कार स्टार्ट नहीं हो रहा था में अपनी जान बचाने के चक्कर में कार वही पे छोड़ा और पैदल ही भागना स्टार्ट कर दिया

सुबह से शाम हो गया लेकिन में भाग के वापस वही पे आ गया में समझ चुका था मेरा यहां से भागना बेकार है में समझ चुका था अगर यहां से निकलना है तो हिमत से काम लेना परेगा में वापस घर के अन्दर आ गया तभी आवाज वही लड़की की आती आ गए वापस हा हा हा हा हा हा...... 

वही पे आ गया में समझ चुका था मेरा यहां से भागना बेकार है में समझ चुका था अगर यहां से निकलना है तो हिम्मत से काम लेना पड़ेगा, मैं वापस घर के अन्दर आ गया तभी आवाज वही लड़की की आती है आ गए वापस हा हा हा हा हा हा......

मैं बोला तू तू तुम कहाँ से बोल रही हो और मुझे जाने क्यों नहीं दे रही हो देखो मुझे जाने दो ये घर भी तुम रख लो लेकिन मुझे जाने दो लेकिन कोई आवाज नहीं आया मेरा रो रो के हालत खराब हो गया था में अपना फ़ोन निकाला किसी से हेल्प मांगने के लिए तो मेरे फ़ोन में नेटवर्क ही नहीं था मैं थक हार के अपने रूम में चला गया सुबह से भूखा था नहीं कुछ खाने के लिए था नहीं पीने के लिए में अपने कमरे में जा के आराम से सो गया, लेकिन सुबह कब हुआ कुछ पता नहीं चला सुबह हुआ सोचा कुछ बना लेता हूँ खाने को लेकिन घर में कुछ नहीं था तो फिर न जाने क्यू में टहलता हुआ घर से बाहर निकला मन बहुत भारी सा लग रहा था अजीब सा लग रहा था में सोचा ये अजीबो गरीब चीजे मेरे ही साथ क्यू हो रहा था क्या उस घर में कुछ था या फिर मेरा कुत्ता के साथ कब्रिस्तान से होते हुए इस घर तक आ गया में इसी उधेड़ बुन में चलता हुआ न जाने कब्रिस्तान के पास कब पहुंच गया पता भी नहीं चला की तभी आवाज़ आता है जनाब अगर मैं गलत नहीं हूँ तो आप ही आए है 45 नम्बर बंगले में मैंने पलट के देखा तो ठीक ठाक देखने बाला एक आदमी था मुझे पुकार कर सिगरेट का कश खींच रहा था मेरे तरफ भी बढ़ाया उस ने लेकिन मैंने माना कर दिया, जान न पहचान पता नहीं कौन हो मैंने उन से पूछा की हाँ मैंने ही खरीदा है ये मकान पर आपको कैसे पता उसने एक लम्बा सा कश खींचा और कहा अरे सर अपना चेहरा तो देखिए परेशानी साफ दिख रही है क्या हुआ बच्ची दिखी या उस की माँ मुझे ऐसा लग रहा था की किसी ने बिजली का झटका दे दिया हो ये सुनने की सपने में भी उम्मीद नहीं किया था मैंने पलट के उससे ही सवाल पूछ दिया, आप आप को कैसे पता उनके बारे में उस घर में मां बेटी रहती है पहले भी ऐसा हुआ था क्या उस आदमी ने सिगरेट फेंका और एक लंबी सी सास लेते हुए उस ने कहा वहाँ पहले डिकोस्टा फेमिली रहती थी कुछ सालो पहले एक रात घर की साफ सफाई करने के वक्त डिकोस्टा को एक चिट्ठी मिला पता चला की उसकी जान सी प्यारी बेटी टीना उसकी नहीं बल की डिकोस्टा की पत्नी और उस का ब्वॉयफ्रेंड सूरज की बेटी थी डिकोस्टा चिट्ठी पढ़ के जैसे पागल हो गया हो डिकोस्टा फिर अपनी पत्नी का पीछा किया तो पता चला की उस की पत्नी सूरज के बीच चक्कर चल रहा था मैं तो दो प्यार करने वाले वही करते है जो डिकोस्टा ने किया डिकोस्टा ने अपने पत्नी को भागा के शादी किया था कहते है न सियासत में ईमानदारी और प्यार में बैमानी ऊपर वाला भी बर्दाश्त नहीं करता डिकोस्टा ने अपनी पत्नी और सूरज और बच्ची तीनों को मार के यही दफना दिया और खुद डिकोस्टा भी फांसी लगा के मर गया तभी से यहां उन चारों की आत्मा भटक रही है में ये कहानी सुन के जैसे आंखों के आगे अंधेरा ही छा गया हो मैंने ज्यादा कुछ कहा नहीं मैंने बस इतना ही कहा की आप को इतना सब कैसे पता उस आदमी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया और सर यही पास में ही रहता हूँ वैसे अगल बगल की खबर तो रखनी पड़ती है आप भी चले जाओ यहां से नहीं तो मारे जाओगे

मैंने कहा लेकिन यहाँ से बाहर कैसे जाए यहां तो सब भूल भुलाया जैसे है वापस यही आ जाते है वो आदमी हंसते हुए बोलता है सब उस की शक्ति

का कमाल है आप ये रोड पकड़ के चले जाओ और हाँ भगवान का नाम लेना नहीं भूलिए गा और हाँ वो चाय जो आप के टेबल पे रखा हुआ था वो डिकोस्टा बना के गया था मैं शुक्रिया बोल के आगे बढ़ा उस का नाम पूछने के लिए पलटा तो वो चलते ही जा रहा था मैंने दूर से ही पूछा अरे भाई आप अपना नाम नहीं बताए क्या नाम है आप का तो वो आदमी हंसते हुए बोला डिकोस्टा मैं वापस घर जाने के लिए पलटा तो मुझे कुछ याद आया की वो वही डिकोस्टा है मैंने उसे देखा तो वो कब्रिस्तान के तरफ जा रहा था मैं भी भगवान के नाम लेते हुए वहाँ से भागते भागते मेन रोड पे आ गया और वहाँ से लिफ्ट ले के वापस मुंबई चला गया फिर बाद में मैंने वो घर ब्रोकर के हाथों से वो मकान बेच दिया और मुंबई में एक नया फ्लेट ले लिया मेरा कोई भी दोस्त मकान या बिल्डिंग में फ्लेट खरीदने जाता है तो में हमेशा यही पूछता हूँ की नए घर के पास में कोई कब्रिस्तान तो नहीं आप भी जरा ध्यान रखिएगा


उम्मीद करता हूं दोस्तो इए कहानी आप सब को अच्छा लगा होगा


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