कब बदलेगा ये समाज ?
कब बदलेगा ये समाज ?
दुर्गा अष्टमी है, चलो सभी कन्याओं को निमंत्रण देकर आती हूँ भोजन के लिए, कहते हुए सरला अपने घर से निकली।
बहुत सारा सामान खरीदा था उसने कन्याओं को उपहार में देने के लिए।नौ दिन कठिन तपस्या की उपवास रखे, ताकि देवी माँ इस बार उसकी मनोकामना पूरी कर दें।दान दक्षिणा भी बहुत दी थी पंडितों को।
दो पोतियों के बाद तीन बार गर्भपात करवा चुकी थी अपनी बहू का।
कन्या रूप में देवियों के भोजन की तैयारी कर रही सरला ने ये एक बार भी क्यों न सोचा की देवी से वह ये मांगने वाली है की मेरे घर देवी न आए अब।