परिवर्तन
परिवर्तन
बड़े प्यार से पाला-पोसा, पढ़ाया-लिखाया, मेरी पसंद के लड़के से शादी भी की समाज के खिलाफ जाकर, पर मम्मी के साथ पापा का व्यवहार कभी सही नहीं रहा, कारण -- मम्मी,पापा की उम्मीदों पर खरी नहीं थीं,
ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थीं, पापा लंबे और सुन्दर थे तो मम्मी का कद और कलर पापा की तुलना में कम था,ऐसा पापा का सोचना था।
पर मम्मी ने कभो कोई कमी नहीं की, पूरी निष्ठा और ईमानदारी से अपने फर्ज निभाए, पापा का ध्यान न पाने के बाद भी।
पर.....
शादी के बाद रुशिल के व्यवहार में वही सब जो पापा के व्यवहार में था, क्यों? मैं तो पढ़ी लिखी और सुन्दर भी थी, रुशिल उन्नीस तो मैं बीस ही थी, उसके बाद हमारी लव मैरिज भी थी उसके बाद रुशिल का बर्ताव मेरे प्रति बहुत अच्छा नहीं होता था।
पुरुष प्रधान देश जो है हमारा।
मैंने मम्मी से कहा:- ये सब मैं सहन करूँगी, और ये सब तो घर घर की कहानी है। आपने भी तो समझौते किए है न माँ ! मुझमें आपके ही संस्कार हैं,
"जिस घर में डोली जाती है वहीं से अर्थी भी उठनी चाहिए"।
झुकता वही है जिसमें फल होते हैं और झुकने से गृहस्थी बची रहती है।
माँ: -- नहीं बेटा ! तुम आज की सशक्त नारी हो, पढ़ी लिखी हो, मैं अज्ञानी थी इसलिए सब बर्दाश्त किया जबकि तब भी नहीं करना चाहिए था ।पर मेरी बेटी ये सब पुराने ख्यालों और रिवाजों को नहीं मानेगी।
कभी तो किसी को तो परिवर्तन लाना ही होगा, और ये तुम लाओगी बेटा !
तुम तलाक दो रुशिल को, कमी तुममें नहीं उसके व्यवहार में हैं, गाली गलोज, शक, हमेशा नीचा दिखाना, ये सब अब नहीं बेटा ! आगे बढ़ो, तुम्हारी जननी साथ है तुम्हारे।
