Akanksha Gupta

Crime

3.6  

Akanksha Gupta

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कातिल ..हु नेवर मडरड भाग-6

कातिल ..हु नेवर मडरड भाग-6

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उस अंधेरे कमरे शैलेश बेहोश पड़ा था। उसके हाथ पैर पीछे की मुड़े हुए रस्सी से बंधे हुए थे। उसकी नाक से हल्का सा खून धीरे धीरे रिस रहा था। शरीर पर कही भी चोट के निशान नही थे। कुछ देर बाद शैलेश को होश आया तो उसने खुद को रस्सियों में बंधा हुआ पाया। बहुत देर से हाथ पैर मुड़े रहने से अब शरीर में भयंकर दर्द हो रहा था जिसकी वजह से शैलेश रह-रह कर कराह रहा था।

कमरे मे बिल्कुल ही अंधेरा था। उसे कुछ भी दिखाई नही दे रहा था। उसने पहले रस्सियों के फंदे से हाथों को बाहर निकालने की कोशिश की लेकिन जब काफी कोशिशों के बाद भी उसके हाथ नहीं खुले तो उसने चिल्लाना शुरू किया- “कोई हैं यहां? मुझे इस तरह से बांधकर क्यों रखा गया है? हिम्मत हैं तो मेरे सामने आओ।” 

उसे कोई जवाब नहीं मिला। शैलेश चिल्ला चिल्ला कर थक चुका था। थोड़ी देर बाद उसने फिर चिल्लाना शुरू किया- “हेलो, कोई सुन रहा है मुझे? प्लीज समबडी हेल्प मी। कोई मुझे यहां से बाहर निकालो। इज समबडी देअर? प्लीज......।” वो चिल्ला ही रहा था कि उसे दरवाजे खुलने की आवाज आई। कोई ताला खोल रहा था।

कुछ पल बाद दरवाजा खुलता है जिससे एक हल्की रोशनी शैलेश के चेहरे पर पड़ती हैं और उसकी आंखें चुँधिया गई। फिर एक साया धीरे धीरे चलकर आया और उसने दरवाजा बंद कर दिया। उसके बाद उसने कमरे की खिड़की का पर्दा हल्का सा खिसकाया जिससे सड़क किनारे पर लगे बल्ब की रोशनी छनकर अंदर आ रही थी। इस रोशनी में केवल शैलेश ही चमक रहा था क्योंकि रोशनी उसी पर पड़ रही थीं। फिर उस साये ने कमरे में पड़ी हुई एक कुर्सी को आगे खींचा और शैलेश के सामने बैठ गया।

“इटस ऑल ओके डॉक्टर ‘रमेश खन्ना?’ आपको यहां कोई तकलीफ तो नही हो रही?” उस साये ने शैलेश से पूछा।

उसके मुंह से अपना पूरा नाम शैलेश बुरी तरह डर गया था लेकिन उसने यह जाहिर नही होने दिया। वह एक सधी हुई आवाज में बोला- “देखो तुम्हें कोई गलतफहमी हुई हैं। मेरा नाम रमेश खन्ना नही शैलेश प्रजापति हैं और तुम उसके धोखे में मुझे यहाँ उठा लाये। खैर जो हुआ सो हुआ, अब जल्दी से मेरे हाथ पैर खोलकर मुझे यहां से जाने दो। आई प्रॉमिस यू किसी को कुछ पता नहीं चलेगा।” शैलेश किसी तरह से बचने की कोशिश कर रहा था।

उसकी बात सुनकर वो साया अपनी कुर्सी पर से उठा और शैलेश के हाथ पैर खोल दिए। शैलेश बहुत खुश था कि उसने इतनी आसानी से खुद को आजाद करवा लिया था। हालांकि उसके शरीर मे भयंकर दर्द हो रहा था लेकिन वह किसी भी तरह से यहां से निकल कर माधवी से मिलना चाहता था ताकि उसे सचेत कर सके और उन फोन कॉल्स के बारे मे पुलिस को क्या बताना है, यह भी सोचा जा सके।

यह सब सोचकर जैसे ही उसने उठने की कोशिश की उसे चक्कर आये और वह धड़ाम से जमीन पर गिर पड़ा। अब उसे महसूस हुआ कि उसके शरीर मे बिल्कुल भी शक्ति नही बची है। उसने महसूस किया कि उसके सिर में तेज दर्द हो रहा है जिससे अंदर ही अंदर उसके दिमाग की नसें फट रही हैं। उसने अपनी नाक को छूकर देखा जिसमें से रिसता हुआ खून अब तेजी से बह रहा था। यह देखकर वह एकदम डर गया और जमीन पर ही बैठ गया। 

यह देखकर वह साया जोर से हंसा। उसने शैलेश को तंज कसते हुए कहा- “क्या हुआ डॉक्टर रमेश खन्ना..... उफ आई एम सॉरी डॉक्टर शैलेश प्रजापति, खड़े नहीं हो पा रहे? सी आई डोंट वॉन्ट कि तुम बेवजह अपनी जिंदगी के कुछ आखिरी घंटे यूं बेकार की कोशिशों में गुजार दो इसलिए तुम्हें बता दूं कि अब तुम खड़े नहीं हो सकते। और वैसे भी जिसके पास अपनी नापाक जिंदगी के कुछ घंटे ही बाकी हो वो खड़े होकर क्या करेगा हह.....।”

“कौन हो तुम और यह सब क्यों कर रहे हो? आखिर हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा हैं?” शैलेश के दिलो-दिमाग पर डर हावी हो रहा था।

“अरे डॉक्टर साहब, हम तो आपके वेलविशर हैं। हम तो बस आपको आपके दोस्त के पास भेजना चाहते है। कितने महीनों से आप दोनों की मुलाकात नही हुई हमारी वजह से तो हमने सोचा कि इसकी थोड़ी भरपाई ही कर दे।” साये ने हंसते हुए कहा।

“इसका मतलब यह है कि अब तक जो कुछ भी हुआ उन सब के के पीछे तुम्हारा हाथ हैं लेकिन क्यों, क्यों कर रहे हो तुम यह सब? हमने बिगाड़ा क्या है तुम्हारा?” शैलेश बुरी तरह डरा हुआ था। उसने आगे कहा- “देखो अगर तुम्हारा कोई अपना इस दुनिया मे नहीं है तो इसमें मेरी कोई गलती नहीं है। सब कुछ पुरषोत्तम और माधवी का किया धरा है। अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए वे दोनों अपने राइवलस को अपने जाल में फंसा कर उनकी जिंदगी बर्बाद कर देते हैं। यकीन करो मेरा इन सब से कोई लेना देना नहीं है। प्लीज मुझे जाने दो। तुम चाहो तो मैं उनके खिलाफ गवाही दे सकता हूँ।” शैलेश ने कहा। उसने सोचा कि यह पुरषोत्तम की साजिश का शिकार हुए किसी बिजनेस फैमिली का कोई रिश्तेदार है जो पुरषोत्तम की गलतियों की सजा उसे भी देना चाहता है।

उसकी बात सुनकर वो साया जोर से हंसा। फिर ताली बजाते हुए बोला- “वाह क्या बात है, जब खुद की जान पर खतरा आया तो टीम ही बदल ली। वैसे तुम तीनों की दोस्ती भी तुम्हारी तरह खोखली हैं। उधर माधवी भी खुद को बचाने के चक्कर में तुम्हारे बारे में पुलिस को कुछ नहीं बता रही और इधर तुम खुद को बचाने के लिए उसकी बलि देने को तैयार हो गए।”

फिर उसने अपनी जैकेट की जेब मे से शैलेश का फोन निकाला और शैलेश को दिखाया जिसमें माधवी की सिर्फ बीस मिस्ड कॉल थी। फोन दिखाते हुए उस साये ने शैलेश से कहना शुरू किया- “तुम्हारा फोन स्विच ऑन है लेकिन पुलिस अब तक यहां नही पंहुची। अब तुम इसका मतलब तो समझ ही सकते हो। माधवी ने पुलिस को तुम्हारे गायब होने के बारे में कुछ नहीं बताया।”

फिर उसने फोन अपनी जेब मे रखा और शैलेश के सामने कुर्सी पर बैठ गया। शैलेश के सिर में भयंकर दर्द हो रहा था और अब उसकी नाक से तेज खून बहना बंद हो गया था लेकिन उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थीं। अब उसे बोलने में भी मुश्किल हो रही थी तो उसने इतना ही पूछा- तुम बताते क्यों नहीं कि......।” इसके आगे उससे कुछ बोला नही गया और वह जमीन पर निढाल हो गया।

“अरे डॉक्टर, आपको ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं। मै आपको क्लू देता हूँ ना मुझे पहचानने के लिए।” इतना कहकर उसने अखबार की एक कटिंग अपनी जेब से निकाली और शैलेश के सामने फेंक दी।

शैलेश ने बड़ी मुश्किल से उठकर अखबार की कटिंग में छपी खबर और उसके साथ छपी हुई फोटो देखी। उस फोटो को देखते ही शैलेश के होश फाख्ता हो गए। उसकी आंखों के सामने बीस साल पहले का वो मंजर घूम गया जहाँ एक जलता हुआ कॉटेज, कॉटेज के अंदर बेहोश पड़े हुए एक दम्पति। उन दम्पति का हँसता हुआ चेहरा, उनका एक मासूम बच्चा।

वो मंजर याद आते ही डर से शैलेश की आंखे फैल गई। उसे पसीना आने लगा। उसकी सांस ओर तेज चलने लगी। उसने बड़ी ही मुश्किल से कहा- “ये लोग तो..... आखिर तुम हो कौन?” इस बार शैलेश ने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी।

“बिल्कुल यही सवाल तुम्हारे दोस्त ने भी किया था मुझसे जब वो उस फ्लाईओवर पर अपनी कार में बेबस और लाचार पड़ा था। बेचारा इतना बड़ा बिजनेसमैन और अपनी फैमिली को अपने आखिरी वक्त में फोन भी नही कर पाया।” 

“लेकिन मैं लास्ट तक उनके साथ उनको कम्पनी दे रहा था। कितना मजा आया उसे इस तरह तड़पता हुआ देख कर। बोर हो गए थे कार में पड़े-पड़े, हिल नही पा रहे थे ना तो मैने सोचा कि कोई कहानी ही सुना दूं। वो तो तुम अपनी गाड़ी लेकर आये ही नही, नही तो तुम्हें भी वो कहानी सुनने का मौका मिल जाता। खैर कोई बात नहीं, तुम अपने दोस्त से ही सुन लेना। बस कुछ देर और उसके बाद तुम्हारा इंतजार हमेशा के लिए खत्म हो जायेगा और तुम अपनी तकलीफों से आजाद हो जाओगे हमेशा के लिए।” इतना कहकर वो साया जोर से हंसा और कुर्सी छोड़ कर खड़ा हो गया।

“तो तुम्हें क्या लगता हैं कि यह सब करके तुम बच सकते हो। एक ना एक दिन पुलिस तुम तक जरूर पहुंचेगी।” शैलेश हांफते हुए बोल रहा था। उसकी मौत उसके नजदीक आ रही थी।

“एसीपी अर्जुन को इसके लिए ज्यादा इंतजार नही करना पड़ेगा। उसे उसका कातिल मिलेगा जरूर लेकिन एक अफसोस के साथ।” और वो साया एक ठंडी सांस लेता है। अब शैलेश इस दुनिया को छोड़ चुका था।



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