काकू
काकू
काकू रायपुर के छोटे से गाँव उल्बा में पैदा हुआ था. उसके माँ बाप किसान थे उसकी छोटी सी प्यारी सी बहन बरखा थी। काकू अपने बहन बरखा से बहुत प्यार करता था. उसके लिए कुछ भी कर सकता था। एकबार उसने अपने बहन के लिए आग से कंगन बाहर निकाल दिया उसमे काकू का हाथ तो जला लेकिन उसकी बहन के दाहिने हाथ में भी निशान पड गया। काकू को यह निशान मरते दम तक याद रहेगा की यह उसकी गलती से हुआ, कौन बचची को गर्म कंगन देता है जिससे उसके बहन के हाथ में जलने का निशान आ गया.
उसके माता पिता बहुत ज्यादा गरीब थे, एक समय का खाना भी मुश्किल से मिलता था उसके घर के सामने सब्जी बेचने वाला रहता था उनमे बहुत लड़ाई होती थी , जमीं को लेकर एक दिन काकू के पापा के साथ सब्जीवाला का लड़ाई हो गई और सब्जीवाला बाजार चला गया सब्जी बेचने और काकू के पापा को यह सहन नहीं हुआ उन्होंने जहर खा लिया और काकू को खेत से आने में देर हो चुकी थी ,उसका पापा मरने वाला था उसके पापा ने मरते वक्त काकू से कहा की गरीबी में नहीं मरना और दम तोड़ दिया फिर काकू को बाद में पता चला की सब्जीवाले ने उसके पापा को भिखारी कहा. वह गुस्से से बाज़ार की तरफ निकला और बीच बाजार में सब्जी वाला मिल गया. काकू उससे पूछने लगा की उसने क्यों उसके पापा को भिखारी कहा. फिर सब्जीवाले ने कहा तू भिखारी की औलाद मै तुझे सफाई दूंगा भाग जा वरना इसी बाजार में घसीट के मारूंगा साले। फिर क्या काकू भी कहा पीछे रहने वाला था 14 साल का था फिर भी खून तो जवान का ही था न जिस हथियार से सब्जीवाला कटहल काट रहा था उसी हथियार से सब्जी वाले का गर्दन काट दिया।
और वहां से भाग कर रायपुर शहर में चला गया उधर गाँव में भी यह खबर फ़ैल गया की काकू ने सब्जीवाले के गर्दन को काट दिया फिर सभी उससे डरने लगे डर के कारन कोई उसके खिलाफ शिकायत नहीं करता मुजरिम कहकर लोग उसे काम नहीं देते थे फिर वह शहर के कुछ गुंडों से मिल गया और उनके साथ धीरे धीरे डराना धमकाना जैसे काम करने लगा. पूरा शहर काकू के नाम से डरने लगा. उसके नाम से बड़े बड़े काम होने लगा। अब काकू बच्चा कहाँ जवान हो चुका था जो और गुस्सा तो और ज्यादा बढ़ चुका था.
काकू की बहन भी बड़ी हो चुकी थी उसके माँ ने बड़ी मेहनत से बड़ा किया उसके पति के मरने के बाद और काकू के शहर भाग जाने के बाद उसकी बहन अब डॉक्टर बन चुकी थी जो गरीबों का ईलाज करती थी.
एक दिन काकू अपने गैंग के साथ शहर में किसी को डराने जा रहा था गाड़ी से उतरा ही था की सामने से एक गाड़ी उसे रौंदने ही वाली थी इतने में किसी लड़की ने उसे पीछे खींच लिया लेकिन खुद चपेट में आ गया। काकू को बचाने वाले को काकू यूँ ही थोड़े छोड़ देता। उसे अस्पताल ले गया जब इलाज के बाद उसे को होश आने वाले था और काकू उसके पास बैठा था, फिर उसकी नजर हाथों में पड़ी उसे वो सब जो बचपन में था सब याद आने लगा उसे पता चल गया कि ये उसकी बहन है इतने में लड़की को होश आ गया वो सोंचने लगी ये क्यों रो रहे हैं मेरे हाथ को पकड़ कर फिर उसने सुना की वो उसकी बहन है लेकिन उसने उस समयहोश न आने की एक्टिंग करी बाद में जब काकू चुप हो गया फिर वो होश में आगई फिर काकू उसे अपने घर में ले गया
वह लड़की उसे भैया बोलने लगी और अपने बारे में बताने लगी काकू को फिर काकू के बारे में पूछ तो काकू के आँखों में आंसू आने लगे कुछ बता नहीं पाया फिर बहन ने भाई उसके पैर छुआ और कहा भाई मैंने सब कुछ सुन लिया था अस्पताल में उसने बताया की माँ भी है जो अब बहुत बूढी हो चुकी है तुम्हे बहुत ही ज्यादा याद करती है तुम्हे की तुम कभी तो आओगे घर तुम्हारे हर एक चीज को सम्हाल कर रखी उसने फिर काकू के दिल में माँ से मिलने लिए तड़प होने लगी.
सभी गुंडा गर्दी के जिंदगी को छोड़ कर वापस अपने घर चला गया अपने माँ और बहन के पास..................
