कागज का जहाज
कागज का जहाज


"ओ हो फिर गया ये लड़का छत पर कागज का जहाज उड़ाने, नीचे आ जा रवि धूप बहुत है", माँ चिल्लायी!
"आता हूँ माँ बस एक बार ये वाली एकदम सीधी उड़ जाये", रवि बोला!
" कितना मन लगता है तुझे इन कागज के जहाज में ", माँ झल्लायी!
" कागज के जहाज में भी और माँ, आसमान में उड़ान भरने में, खुले गगन में!
उसकी बात भी सच हुई वो बन गया एयर फोर्स पायलट! माँ-पापा कि छाती गौरव से फूल गया! रवि घंटो पायलट प्लेन उडाया करता, आकाश में कलाबाजियां खाता! मां ने कितनी बार मना किया था, पर वो बोलता माँ एक दिन तो सबको मरना है!
कारगिल का युद्ध था, जंग पर जाने से पहले रवि ने माँ को फोन किया माँ बोली, "जा बेटा दुश्मनों के छक्के छुड़ा कर आना!"
फाईनल वक्त पर सब एयर फोर्स वाले मिग-21 ले कर पहुंचे और बचे खुचे पाकिस्तानी सेना का सफाया कर दिया और फिर कारगिल पर एक बार फिर हिन्दुस्तानी तिरंगा लहराने रहा था!इंडिया के सारे अफसर का चेहरा खुशी से चमक रहा था!रवि वापस जा रहा था और बहुत खुश था कि माँ को बताऊंगा वो बहुत खुश होगी!
तभी अचानक प्लेन जोर-जोर से हिलने लगा!रवि चाहता तो उसी वक्त प्लेन से कूद जाता और बच जाता, पर प्लेन एक शहर में गिर जाता और बहुत लोगों कि जान चली जाती, पर रवि ने उसमें बैठे रहकर प्लेन का रूख मोड़ दिया, प्लेन में जोरो का ब्लासट हुआ और वो खेत में जा कर धुं-धुं करके जल गयी!रवि भी उसी प्लेन में वीरगति को प्राप्त हुआ!
इस तरह खुले आसमानों में उडने कि चाह रखने वाले रवि ने अपनी आखिरी सांस खुली हवाओं में ही ली!रवि की लाश को तिरंगे में लपेटा गया और सरकार ने उसकी माँ को उसके मेडल से सम्मानित किया!
माँ की आंखों के सामने वही नन्हा रवि कागज का जहाज उड़ा रहा था!