Sheel Nigam

Inspirational

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Sheel Nigam

Inspirational

ज्योति

ज्योति

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कई दिनों से खूब पानी बरस रहा था। आज अच्छी धूप निकली थी। छुट्टी का दिन था बहुत से बच्चे पार्क में खेलने आए थे।  

एक नौजवान भी अपने पिता के साथ वहाँ आया। वह चाहता था कि वह भी उन बच्चों के साथ खेले पर बच्चों ने उसे अपने खेल में शामिल नहीं किया। वह निराश नहीं हुआ। कभी चिड़ियों को चहचहाते हुए आश्चर्य से देखता, कभी तितलियों के पीछे भागता तो कभी वहाँ लगे फूलों के खुशनुमा रंग देख कर खुश होता और खुशी में ज़ोर ज़ोर से किलकारियाँ मारते हुए अपने पिता के पास आ कर अपनी खुशी ज़ाहिर करता।  

धीरे-धीरे सभी बच्चों का ध्यान उसकी तरफ़ गया। सब अपना खेल छोड़ कर उस नौजवान का व्यवहार देख कर उसका मज़ाक उड़ाने लगे। वह नौजवान अपने आप में मस्त था। अपने बेटे पर उन बच्चों को हँसते हुए देख कर उसके बुजुर्ग पिता से न रहा गया। उन्होंने सभी बच्चों को एकत्र किया और एक बड़ा सा गोल घेरा बना कर बैठ जाने के लिए कहा।  

बच्चों ने समझा कोई नया खेल होगा। सभी बैठ गए। फिर उन्होंने निर्देश दिया कि सभी अपनी आँखें बंद कर लें और तब तक न खोलें जब तक उन्हें आँखें खोलने के लिए कहा न जाए। बच्चों ने वैसा ही किया। काफी देर होने पर भी जब उन्हें आँखें खोलने का निर्देश नहीं मिला तो वे असहज हो कर तिलमिलाने से लगे और बोले,"नहीं खेलना ऐसा खेल। " सभी ने घबरा कर अपनी अपनी आँखें खोल दीं।

 तब बुज़ुर्ग ने उनसे कहा, " मेरा बेटा नितिन पच्चीस साल से 'अँधेरों' से गुज़र रहा था, उसका ऑपरेशन हुआ और आज ही उसकी आँखों में ज्योति आई है। हम सब को और प्रकृति को वह पहली बार अपनी आँखों से महसूस कर रहा है। तुम लोग ज़रा सी देर में ही अपनी आँखों में अँधेरा देख कर परेशान हो गए। सोचो, नितिन ने कैसे गुज़ारे होंगे अपने जीवन के पच्चीस साल ?" 

बच्चों की आँखें शर्म से झुक गईं और उन्होंने नितिन को अपने खेल में शामिल कर लिया।  


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