जय हिंद
जय हिंद
आज सीमा से लगे गांव में ही नहीं वरन पूरे देश में जीत की खुशी के जश्न का माहौल था। ऐसा युद्ध जो हमारे सैनिकों और उस गांव के लोगों ने बिना आवाज और बिना खून-खराबा किए दुश्मनों को भ्रमित कर जीत लिया था। हुआ कुछ ऐसा कि सैनिकों ने गांव के जिम्मेदार लोगों के साथ मिलकर, गांव में एक नियत दिवस पर जश्न मनाने की योजना बनाकर, यह खबर चारों ओर फैला दी। और जो सोचा वही हुआ। दुश्मन सैनिकों ने मौके का फायदा उठाकर बर्बादी के इरादे से रात के अंधेरे में सभी प्रकार के हथियारों से लैस होकर सीमा लांघना शुरू किया। योजना के अनुसार हमारे सैनिकों ने जो कि, वहीं हथियारों के साथ छिपे हुए थे , दुश्मन सैनिकों का धर दबोच लिया, और गांव के लोगों की मदद से बंदी बनाकर, तिरंगे की शान को फिर एक बार बढ़ा दिया।पूरा गांव जय हिंद के नारों से गूंजने लगा।