जूही की महक भाग 3
जूही की महक भाग 3
तीन चार दिनों में सुधीर बिल्कुल स्वस्थ हो गया मगर जबतक वो अस्पताल में भर्ती रहा जूही प्रतिदिन उसे देखने जरूर जाती थी । साथ में कुछ फल फूल जरूर लेकर जाती थी और उसका हाल चाल पूछती थी।
कुछ ही दिनो मे जूही एक ईमानदार वीडियो के नाम से काफी प्रसिद्ध हो चुकी थी। हर पंचायत में उसने जनता दरबार लगा कर गरीबों की समस्याएं सुनकर उनका निपटारा करती थी की उनको दूर दराज से ब्लॉक ऑफिस आकर पैसा न खर्च करना पड़े।उनको अपना काम धंधा हर्जा न करना पड़े ।सरकार की हर कल्याणकारी योजनाओं का सबको पूरा लाभ मिले इसका पूरा ख्याल रखती थी उसने अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले प्रखंड स्तर के सभी विभागों की नियमित मासिक बैठक तय कर दिया ताकि बैठक में सभी विभागों में आम लोगो की योजनाओं का निष्पादन किया जा सके।
अब आम लोगो को किसी भी काम के लिए बार बार ऑफिस का चक्कर नही लगाना पड़ रहा था।
धीरज स्वस्थ होते ही रविवार के दिन बाइक उठाया और अपनी चाय की दुकान खोलने स्टेशन पहुंच गया।
स्टेशन मास्टर ने तीन चार दिन नही आने का कारण पूछा तो उसने उस रात की सारी घटना बता दिया।मास्टर ने बड़ा अफसोस जाहिर किया और खुशी भी जताया की तुम बच गए।
सुधीर ने जब बताया कि उस रात जिसे वो अपनी बाइक पर ले गया वो और कोई नही नई वीडियो साहिबा थी।मगर उन्होंने उस रात किसी को बताया भी नहीं।
सुनकर स्टेशन मास्टर को बड़ा आश्चर्य हुआ।सुधीर ने आगे बताया कि जूही मेडम ने जिला प्रशासन को स्टेशन से लेकर शहर तक लाइटिंग के लिए पत्र लिख दिया है।साथ ही अब पुलिस रात में हमेशा निगरानी करेगी स्टेशन मार्ग की ।सुनकर स्टेशन मास्टर काफी खुश हुआ।
करीब दस बजे जूही ने सुधीर को फोन किया।सुधीर ने उसका अभिवादन किया ।जूही ने पूछा अभी कहा हो सुधीर।सुधीर ने बता दिया स्टेशन पर अपनी चाय की दुकान पर है।इतना सुनते ही जूही भड़क गई ।चाय की दुकान खोलने मना की थी न तुमको फिर क्यों खोला।तुम रुको मैं वही आ रही हूं।सुधीर कोई जवाब देता इससे पहले जूही ने फोन काट दिया।
करीब आधे घंटे बाद जूही अपनी सरकारी गाड़ी से वहा स्टेशन पहुंच गई और दनदनाते हुए सुधीर की दुकान पर पहुंच गई उसको देखते ही सुधीर अपनी टेबल से उठ खड़ा हुआ और टेबुल को साफ कर उसकी तरफ रख दिया और कहा बैठिए मैडम।
जूही ने गुस्से से कहा मैं बैठने नही आई हूं तुमसे बात करने आई हूं।मेडम बात भी कर लेंगे पहले आप बैठिए तो चाय पीजिए फिर बात करतें है।सुधीर ने बड़े अदब से जूही को सम्मान देते हुए कहा।
उस रात आपको पहचान भी पाया और न आपने बताया इसका मुझे बड़ा अफसोस है।।अगर आज आप एक वीडियो के रूप मे मेरी दुकान पर आई है तो मुझे अपनी सेवा करने का मौका दे मैडम ।
जूही ने उसकी बाते अनसुनी करते हुए गुस्से से कहा - जब मैने तुम्हे मना किया था दुकान नही खोलने तो फिर तुमने क्यों दुकान खोले।सुधीर ने हाथ जोड़कर कहा मैडम मुझे पता है आपने मना किया था मगर मेरे पास इसके कोई उपाय भी नही है ।आपको तो पता ही है मेरे परिवार की जिमीवारी मुझपर ही है।अगर धंधा नहीं करूंगा तो घर कैसे चलेगा मैडम।
जूही का गुस्सा अभी भी ठंडा नहीं हुआ - मुझे सब पता है मैं कोई पागल नहीं हूं जो तुमको यूं ही मना की थी कुछ सोचकर ही कहा था।
उसकी आवाज सुनकर स्टेशन पर इधर उधर घूम रहे लोग जमा होने लगे।स्टेशन मास्टर को जैसे ही पता चला नई वीडियो मैडम सुधीर की चाय दुकान पर आई है वो भी भागा भागा आया उसने जूही को प्रणाम किया मगर जूही ने उसकी तरफ कोई ध्यान नही दिया।
सुधीर ने हाथ जोड़कर कहा- "मैडम अपना गुस्सा ठंडा कीजिए सब लोग देख रहे है आप शांत हो ।आराम से बात करते हैं।"
"मेरा गुस्सा तभी ठंडा होगा जब तुम अभी के अभी अपनी दुकान बन्द करो और मेरे साथ चलो।
तुमको पुलिस ऑफिसर बनना है ।क्या तुमको लगता है चाय बेचकर बन जाओगे।कभी नही बन पाओगे।" जूही ने फिर गुस्सा जाहिर करते हुए कहा।
सुधीर को कुछ समझ में नही आ रहा था क्या करे क्या न करे। भिड़ भी जमा हो रही थी।उसने कुछ सोचा "ठीक है मैडम आप बैठिए चाय पीजिए मैं दुकान बंद कर आपके साथ चलता हूं ।आप शांत हो।" इतना सुनकर जूही थोड़ी शांत हुई और टेबुल पर बैठ गई।
"केवल चाय पिलाओगे बिस्कुट नहीं खिलाओगे।" जूही ने मुस्कुराते हुए सुधीर से कहा।
"जी जी मैडम लीजिए बिस्कुट भी खाइए।" सुधीर ने एक प्लेट में कुछ बिस्कुट उसकी तरफ बढ़ा दिया।
"तुम भी बिस्कुट खाओ और अपने लिए भी चाय ले लो मैं अकेले चाय नहीं पीऊंगी।"
"जी ठीक है मैडम मैं भी लेता हूं।" सुधीर ने फुर्ती से एक कप चाय अपने लिए भी कतेली से डाल लिया और बिस्कुट निकालने लगा।जूही ने उसे रोकते हुए कहा मेरी प्लेट से बिस्कुट लो।सुधीर ने संकोच करते हुए बिस्कुट उठा लिया। पता नही मैडम का गुस्सा फिर भड़क उठे।
चाय पीते ही जूही उठ खड़ी हुई और बोली "मैं बाहर गाड़ी में तुम्हारा इंतजार कर रही हूं तुम तुरंत अपनी दुकान बंद कर आओ।"