जूही की महक भाग 2
जूही की महक भाग 2
धीरज ने सबको परेशान होते देख समझाते हुए कहा मां तुम चिंता मत करो मुझे कुछ नहीं हुआ है हल्की फुल्की चोट आई है सब जल्दी ठीक हो जाएंगे।
तब तक उसकी छोटी बहन गुड़िया गर्म पानी लाकर दे दी। और जाते हुए बोली मैं सबके लिए चाय बनाकर लाती हूं।
धीरज की मां ने उसके जख्मों पर गर्म पानी से सिकाई की तो उसे बहुत आराम लगा और सो गया।
जूही ने उसकी मां को खुद ही अपना परिचय दिया मगर अपना पद नहीं बताया। इतना जरूर बताया उसकी नई नौकरी लगी है। मुझे कल ही हर हाल में ज्वाइनिंग लेनी है। फिर उसने स्टेशन से लेकर अब तक हुई घटना के बारे में बता दिया।
सुनकर धीरज की मां बहुत दुखी हुई और बोली मेरा बेटा वैसा बड़ा बहादुर है लोगों की मदद की इसकी आदत है।
गुड़िया चाय लेकर आ चुकी थी।धीरज की मां ने जूही को चाय देते हुए कहा लो बेटी तुम भी चाय पी लो और हाथ मुंह धोकर फ्रेश हो लो तब तक मैं खाना तैयार करती हूं।
धीरज ने अपने छोटे बेटे गुड्डू को कहा तुम जूही दीदी के साथ यहां रुको और अपने भईया को देखते रहना । मैं और गुड़िया रसोई में जाते है।
थोड़ी देर में धीरज की मां ने जूही को खाना खाने के लिए बुलाया उसे बड़ी जोर की भूख लगी थी खाना टेस्टी लगा तो जल्दी जल्दी खा कर धीरज के पास आ गई वो अभी तक सो रहा था।उसे उसकी इस हालत पर बड़ा दुख हो रहा था।
धीरज की मां ने उसे गुड़िया के कमरे में सोने के लिए गुड़िया के साथ भेज दिया।रात लगभग तीन बज चुके थे।
सुबह उठकर जूही ने अपना सामान उठाया और धीरज की मां को डेढ़ हजार रुपए देते हुए कहा आंटी इसमें से पांच सौ रुपए धीरज का भाड़ा और एक हजार रुपए उसके इलाज के लिए है। अब मैं चलती हूं। मुझे देर हो जायेगी। क्या इधर कोई ऑटो मिल जायेगा।धीरज की मां ने पैसे लेते हुए कहा धीरज अभी भी सो रहा है। उसके उठने पर मिल के जाती।
नहीं आंटी मुझे जाने दीजिए फिर उसने धीरज और उसकी मां का मोबाइल नंबर लिया।
धीरज की मां के कहने पर गुड्डू एक ऑटो रिक्शा बुला लाया था।
जूही जैसे ही अपने आवास पर पहुंची तो देखी गेट खुला हुआ था। दो चार और लोग वहाँ मौजूद थे। जूही को देखते ही सब लोग लपक के उसके पास आए उसका अभिवादन कर उसका सामान उठा लिया।
उसमें से एक ने कहा मैडम अच्छा हुआ वर्ना हमलोग स्टेशन जाने वाले थे। रात में काफी बारिश हुई और सड़क पर पेड़ गिर जाने की वजह से आपको लेने गई गाड़ी लौट आई थी। आपका फोन भी बंद था। हमलोग काफी चिंता कर रहे थे। यहां हम लोगों ने आपका रात बारह बजे तक इंतजार किया की शायद आप किसी तरह आ जायेंगी। आप नहीं आई तो हमलोग अपने घर चले गए थे। अभी एक घंटा पहले आए है। जूही ने उनकी बातों को ध्यान से सुना और जो हुआ सब बता दिया।
मैं दस बजे ऑफिस पहुंचूंगी। उसने पूछा यहां का ऑफिस इंचार्ज कौन है। जी मैं हूं मैडम मेरा नाम सोमनाथ मांझी है।
जूही ने सोमनाथ से कहा आप दस बजे ऑफिस के सभी स्टाफ को बुला ले। मुझे चार्ज लेने के साथ मीटिंग भी करनी है ।
उससे पहले एक काम करे अस्पताल फोन करके एक एंबुलेंस बुला ले और पता लीजिए धीरज नाम का जो लड़का रात में घायल हुआ है उसके घर का पता है। उसे फौरन अस्पताल भेजकर उसका बेहतर इलाज कराएं । मैं उसकी मां को फोन कर देती हूं। और हाँ मीटिंग में थाना प्रभारी को भी बुला ले। सब तैयारी कर मुझे एक घंटा में रिपोर्ट करे तब तक मैं तैयार हो जाती हूं।
दस बजे जूही अपने प्रखंड कार्यालय में प्रखंड विकास पदाधिकारी की कुर्सी पर चार्ज लेकर बैठ चुकी थी।
मीटिंग शुरू होती ही उसने अपने कार्यालय के सभी पदाधिकारियों और कर्मचारियों का परिचय लेने के बाद उस क्षेत्र के थाना प्रभारी से रात की घटना का जिक्र करते हुए कहा सबसे पहले स्टेशन से लेकर शहर तक के रास्ते में रात में एक दो बार गश्त शुरू करा दे ताकि कोई आपराधिक घटनाएं न घटे।उसके बाद रात में जिन लुटेरों ने हम दोनों पर हमला किया था उन्हें हर हाल में गिरफ्तार करे। ठीक है मैडम मैं अभी इसके लिए उचित कार्रवाई करता हूं।थाना इंचार्ज ने जूही के आदेश का पालन करते हुए कहा है और उसका अभिवादन करके चला गया।
जूही ने अपने ऑफिस इंचार्ज सोमनाथ को बुलाकर आदेश दिया -प्रखंड अंतर्गत जितनी भी योजनाएं जी ग्रामीण क्षेत्र के विकाश और गरीबों की कल्याणकारी योजनाएं है उनकी पूरी रिपोर्ट मुझे तैयार कराकर आज ही दे जिसमें राज्य सरकार और केंद्र सरकार की भी योजनाएं शामिल हो। यह भी उल्लेख करे किस योजना का कितना काम हो चुका है और कितना बाकी है। बड़े बाबू सोमनाथ ने हा में सिर हिलाकर जाने लगा तभी जूही ने कहा बड़े बाबू सुधीर को एंबुलेंस द्वारा अस्पताल भेजवा दिए थे की नहीं। जी मैडम बड़े बाबू ने जवाब दिया। ठीक है मैं शाम को उसे देखने अस्पताल जाऊंगी आप मेरे ड्राइवर को गाड़ी लेकर तैयार रहने बोले और बाकी स्टाफ को मैंने जो कहा है वो रिपोर्ट तैयार करने बोल दे।
इधर ऑफिस के सारे स्टाफ में हड़कंप मचा हुआ था। सब आपस में खुसर फुसर कर रहे थे नई वीडियो मैडम तो बड़ी कड़क और तेज तर्रार है भाई आते ही बड़ी तेजी से भिड़ गईं है काम में अब सारी फाइल खंगलवा रही हैं फिर पैसे का भी हिसाब मांगेगी। देख लो भाइयों सब हिसाब किताब भी ठीक कर लो।
तभी चपरासी ने आकर बड़े बाबू से कहा मैडम आपको अभी बुला रही हैं। ठीक है चलो मैं आता हूं।
जूही के ऑफिस में आते ही बड़े बाबू ने देखा जूही मैडम के पास दस पन्द्रह महिलाएं खड़ी है। जूही ने कहा बड़े बाबू इन महिलाओं की शिकायत है उन्होंने विधवा और वृद्धा पेंशन हेतु कई महीने पहले आवेदन दिया था मगर अभी तक इनकी पेंशन शुरू नहीं हो पाई है। आप इन सबको जो पेंशन का काम देखते है उनके पास ले जाए और जांच करवाए अब तक इन सबका काम क्यों नहीं हुआ ।
एक काम और करे हमारे प्रखंड के अंतर्गत सबसे पिछड़ा और नजदीक का क्षेत्र जहां हो मैं उसका आज ही भ्रमण करना चाहती हूं। आप इन सबको भेजकर क्षेत्र भ्रमण की तैयारी करे साथ में जेई साहब को भी ले ले ।पंचायत के मुखिया और ग्रामीणों को खबर करे मैं आ रही हूं सबकी समस्याये सुनने। ऑफिस के कंप्यूटर ऑपरेटर को बुलाए जिला मुख्यालय में एक पत्र भेजना है।
सबके जाते ही ऑपरेटर भागता हुआ आया जी मैडम आपने बुलाया था। जूही ने उसे लगा डी डी साहब को एक पत्र लिखकर रेलवे स्टेशन से लेकर शहर तक भेपर। लाइट लगाने हेतु फंड और स्वीकृति मांगनी है। तुरंत तैयार कर लाओ और मुझसे साइन कराकर तुरंत भेजो।
शाम सात बजे जूही सरकारी अस्पताल अपनी सरकारी गाड़ी d
से पहुंची साथ में बड़ा बाबू भी थे। गाड़ी से उतरते ही जूही लपकते हुए अस्पताल की तरफ भागी पीछे पीछे बड़ा बाबू भी भागते चल रहे थे। जूही ने बड़ा बाबू से पूछा सुधीर कहा भर्ती है बड़े बाबू उसे सुधीर के बेड के पास ले गए। सुधीर चुपचाप बेड पर लेटा हुआ था। सिर और हाथ में पट्टी बंधी हुई थी।उसकी मां उसके सिरहाने बैठकर उसे दवा खिला रही थी। जूही के आते ही उसकी मां उठकर खड़ी हो गई और दोनों हाथ जोड़ दी। जूही ने उसे रोकते हुए हुए कहा क्या कर रही है आंटी आप मुझे हाथ जोड़े जैसे घर पर मुझे मेरे नाम से बुला रही थी मेरे नाम से उसी तरह बुलाए मुझे अच्छा लगेगा।
तुमने मुझे बताया नहीं बेटी तुम यहां की वीडियो साहिबा बनकर आई हो। कोई भूल हुई हो तो क्षमा करना बेटी।
अरे नहीं आंटी आप सबसे कोई गलती नहीं हुई है। बल्कि आप सबने मेरी मदद ही किया है।
जूही को देखकर सुधीर ने भी हाथ जोड़ दिया और उठने की कोशिश करने लगा मगर जूही ने ही आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ कर लेटे रहने को कहा और उसकी बगल में बेड पर ही बैठ गई। सुधीर ने धीरे से कहा मैडम आपने एक बार भी मुझे अपना परिचय नहीं दिया की आप हमारे प्रखंड की प्रखंड विकाश पदाधिकारी बन कर आई है।
बता देती तो तुम क्या करते मेरी मदद नहीं करते या गुंडों से नहीं लड़ते या ज्यादा भाड़ा लेते जूही ने मुस्कुराते हुए कहा। सुधीर कुछ बोल नहीं पाया।
तब तक जैसे ही अस्पताल में प्रभारी डॉक्टर को पता चला वीडियो मैडम खुद आई हुई है वो भागता हुआ आया ।जूही को प्रणाम किया और अपनी पूरी टीम के साथ खड़ा हो गया। जूही ने पूछा कोई चिंता वाली बात तो नहीं है डॉक्टर साहब।
प्रभारी ने कहा चिंता वाली बात तो नहीं है मेडम मगर अंदरूनी चोट ज्यादा लगी है जिसे ठीक होने में थोड़ा समय लगेगा।
अगर जरूरत पड़ी तो हम इसे जिला के सदर अस्पताल भी भेज सकते हैं जूही ने कहा।
जी मैडम इसकी नौबत नहीं आयेगी मैं पूरी कोशिश करूंगा बेहतर इलाज हो जाए। आप चिंता न करे।
जूही ने सबको बाहर जाने को कहा मुझे सुधीर से थोड़ी बात करनी है। इतना सुनते ही सब लोग कमरे से बाहर चले गए।
सबके जाते ही जूही ने सुधीर से कहा मैंने थाना को सूचित कर दिया है उन गुंडों की धर पकड़ करने और रात में गश्ती करने के लिए। और जिला मुख्यालय को भी लिख दिया है सड़क के किनारे भेपर लाइट लगाने के लिए।
अब तुम ठीक हो जाने के बाद चाय नहीं बेचोगे और न जान जोखिम में डालकर अपनी बाइक पर सवारी ढोने का काम करोगे।
सुधीर चुपचाप जूही की बात सुन रहा था।
तभी उसने अपनी जेब से जूही का दिया हुआ पन्द्रह सौ रुपए उसके हाथ में थमाते हुए कहा इसे रख ले मैडम मुझे शर्मिंदा न करे।
जूही ने लौटाते हुए कहा यह तुम्हारा है रखो नहीं तो मैं दुबारा नहीं आऊंगी।
पहले ठीक हो लो फिर बात करेंगे। अब तुम आराम करो मैं चलती हूं दिन भर भागम भाग करके थक गई हूं। रात में सोई भी नहीं ठीक से यह लो मेरा नंबर जब जरूरत पड़े मुझे फोन कर लेना इतना कहकर उसने एक निगाह सुधीर पर डाला और हाथ में पकड़े थैले को उसके बगल के स्टूल पर रखते हुए कहा यह फल है खा लेना। इतना कहकर जूही उसके कमरे से निकल गई।
शेष अगले भाग 3 में।
क्रमशः