जुनून सवार हुआ
जुनून सवार हुआ
छत्तीस साल नौकरी की। मेरा काम और व्यवहार सभी को पसंद आया पर सबसे ज्यादा आत्मसंतोष मुझे तब मिला जब मैं नक्सल प्रभावित आदिवासी पिछड़े जिला उमरिया में डायरेक्टर के रूप में पदस्थ हुआ। भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय और बैंक के संयुक्त तत्वावधान में गरीब युवक युवतियों के स्किल डेवलपमेंट के लिए पूरे देश भर के लीड डिस्ट्रिक्ट में ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी) खोले गए जिसमें मुझे डायरेक्टर हेतु चुना गया। उमरिया जाकर लगातार संघर्ष के बाद आर से टी की स्थापना हुई। दूरदराज गांव के गरीबी रेखा से नीचे परिवार के युवाओं को अलग गांव से उनकी रुचि के अनुसार अलग अलग ट्रेड पर प्रशिक्षण दिये गये। साफ्ट स्किल डेवलपमेंट के साथ हार्ड स्किल डेवलपमेंट से आदिवासी बच्चों में आत्मविश्वास पैदा हुआ। संस्थान में उनके रहने खाने नाश्ते का उच्च स्तरीय प्रबंध किया जाता रहा। तीस प्रकार के ट्रेड पर दो ढाई साल में ढाई हजार युवक युवतियों को ट्रेनिंग दी गई और उनको रोजगार से लगाया गया। उनके अंदर सकारात्मक सोच पैदा की गई। उन्हें अच्छा नागरिक बनाने का मन भर प्रयास किया गया। सब तरफ से तारीफ मिली ,गांव गांव में इज्जत मिली। मीडिया ने आर से टी के कामों की तारीफ की। भारत सरकार ग्रामीण विकास मंत्रालय के ग्रामीण विकास मंत्री ने दिल्ली के विज्ञान भवन में बुलाकर सम्मानित किया। बहुत अच्छा लगा। काम करने का जुनून सवार हुआ।