STORYMIRROR

Namita Sunder

Inspirational

4  

Namita Sunder

Inspirational

जोत नेह की

जोत नेह की

2 mins
297

अरे कौन है भाई। आ रही हूं। इतनी भरी दोपहर को कौन इतनी जोर-जोर से कुंडी खटखटाता चला जा रहा है। किसी तरह अपने पैरों को घसीटती शकुन्तला दरवाजे की ओर बढ़ती बुदबुदाती जा रही थी।

दरवाजा खोलते ही एक लम्बा चौड़ा नौजवान उसके पैरों पर झुका , पहचाना हमें माताराम ।

माताराम...

हां, हमारी तो माता भी तुम राम भी तुम ।

अपनी कमजोर नजर सामने के चेहरे पर गड़ाती हुई बोली, .... यह यह बोल तो मंदिर वाला रमुआ कहा करता था.... तुम

हां, माताराम, हम तुम्हारे रमुआ ही हैं । आज के श्री रामप्रसाद। और अपना क्या हाल बना लिया है तुमने।अकेले इस तरह, इस छोटी सी कोठरी में।

और कौन होगा रे, है ही कौन मेरा ।

पर हम जब मोहल्ले में पूछ रहे थे तो बाबू जी का घर तो सब ने यही बताया था और इसी जगह ही तो था।


हां रे, घर तो वही है पर अब बाबू जी इसमें नहीं रहते। वो अपने नये घर में अपने बीबी बच्चों के साथ हैं। हम उन्हें औलाद जो नहीं दे पाये।


रमुआ दो मिनट अवाक खड़ा रहा। कैसी राम-सीता सी जोड़ी थी दोनों लोगों की। कैसे काट के अलगाय दिया बाबू जी ने। फिर बोला, माताराम तुम बाबू जी को औलाद नहीं दे पायीं पर इस अनाथ को मां तो तुम्हीं ने दी। मंदिर की सीढ़ीयों पर भीख मांगने से उठा स्कूल का रास्ता तुम्हीं ने दिखाया था न। और तुमने मेरी माताराम फीस  कहां से जुटाई थी यह भी मैं समझ गया था, दूसरे दिन तुम्हारे गले में चेन न देख कर। जानती हो माताराम, भगवान ने शायद तुम्हें इसीलिये अपनी कोख से जना बच्चा नहीं दिया क्योंकि उसने तुम्हें केवल मेरी ही मां बनाया है। अब तुम मेरे साथ चलोगी। मेरे साथ रहोगी. मैं बहुत बड़ा अफसर हो गया हूं।


शकुन्तला की आंखों से झरझर आंसू बह रहे थे और रामप्रसाद उन्हें अपनी बलिष्ठ बाजुओं में समेटे हुआ था। इस बार जो शकुन्तला ने आंसू पोंछ मुंह ऊपर उठाया तो लगा पहले से ज्यादा साफ दिख रहा है उसे।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational