जिंदगी की मार्गदर्शक माँ
जिंदगी की मार्गदर्शक माँ
जब बच्चे छोटे होते हैं खास तौर से बेटियां तो माँ उन को समझाने की बहुत कोशिश करती है। मगर समझा ही नहीं पाती है क्योंकि बच्चे समझना हीं नहीं चाहते और जब तक वह इंसान हमारे सामने होता है, तो उसका प्यार हम समझ नहीं पाते हैं ।और हमको समझ में नहीं आता कि हम इतने जुड़े हुए हैं इनसे। उस समय उनकी हर बात तकलीफ वाली लगती है। और उनके जाने के बाद ऐसा लगता है कि हमारा दिल से उनसे आत्मिक रिश्ता था जो हमारे संस्कारों में डाला हुआ है और कमी बहुत खलती है।
मेरी कहानी====
एक बेटी का मां से दिल का रिश्ता बेटी की जबानी
जब आप पूरा समय मुझको कुछ ना कुछ सिखाते रहते, और धर्म ध्यान में समय व्यतीत करते और पूरे दिन काम करते रहते। और हम को भी काम के लिए कहते। कभी हम को पढ़ने के लिए, कभी हमको कुछ नया सिखाने की कोशिश करते। तब मुझको बहुत ही तकलीफ होती थी। मैं सोचती कि यह मां मुझे खेलने क्यों नहीं देती हैं। मुझे मेरे मनपसंद काम क्यों नहीं करने देती है। खुद तो दिनभर धर्म ध्यान में व्यस्त रहती है। और वहां से निकलती हैं ।और काम करने लगती हैं। और सामाजिक कार्य में भी रुचि रखती हैं। मगर इतना होते हुए भी वह हमारे लालन-पालन में कहीं कमी नहीं रखती हैं। हमारी पसंद की कितनी चीजें बनाती हैं । कम पैसे में भी घर में इतना अच्छा कुछ करती हैं। सब की जरूरत है पूरा करती हैं।
कभी खुद के लिए कुछ नहीं करती। मगर दिनभर कुछ ना कुछ सिखाती ही रहती है। क्या है यह सब ।
तब समझ में नहीं आता था ।कुछ भी त्यौहार का दिन होता तो मां बोलती आओ मेरी मदद करो। आज यह बनाना है ।आज ही माताजी का आला मांडना है। तब मुझे इतना गुस्सा आता था, कि त्यौहार पर सब लोग बाहर मजे कर रहे हैं। और आप मेरे को काम में लगा रहे हैं। इसी तरह पढ़ने के लिए हमेशा एक फिक्स समय आप पढ़ने के लिए बिठा देते थे ।बाकी समय भले कुछ भी करो पर वह समय पढ़ने का ही होता था। उस समय इतनी तकलीफ होती थी, कि सब लोग बाहर मस्ती कर रहे हो और आपने हमको पढ़ने के लिए बिठा दिया। इसी तरह धीरे-धीरे में बड़ी हुई, और आपकी हर बात को नेगेटिविटी में लेने लगी। मुझे लगता आप परेशान ही करते हो, मगर कुछ बातों पर ध्यान जाता था, जो आप बहुत सिखाते थे ।जो अच्छी होती थी। ऐसा नहीं था कि आप हमको प्यार नहीं करते थे। मगर इतने सारे बोझ के तले ।
सब को संभालने के साथ में सबसे छोटी बेटी के ऊपर ध्यान देना ,और उसको अच्छे संस्कार देना भी आपका ही फर्ज था ।वह आप कर रहे थे। वह सारी बात अब समझ में आती है ।जब हम भी बड़े हो गए शादी हो गई ।बच्चे हुए बच्चों के संस्कार बच्चों के लालन-पालन में आपके सिखाएं हुए सारे नियम कानून और सब कुछ काम लग रहे हैं ।
और आपके सिखाएं सारे दिए संस्कारों से ही जिंदगी अच्छी चल रही है। मैंने सोचा नहीं था कि आप हम को अचानक कि छोड़कर चले जाओगे ।आपके जाने के बाद में हर बात में हर चीज में आपकी याद आती है। मैं ही नहीं आपके दामाद भी आपको हमेशा याद करते हैं ।आप की अच्छी बातों के लिए हर चीज जो आपने सिखाए ।
वह ऐसी लगती है जैसे मेरी आत्मा में बस गई है और आपकी कमी हमेशा खलती रहती है। कभी तो आपके उठते ही झाड़ू हाथ में लेकर के घर में सफाई करने का और साथ में गाना गुनगुनाने का भजन गुनगुनाने का ऐसा लगता है कि कान में गूंज रहा है। और एकदम से उठ जाती हूं। आप मेरी आत्मा में बस गए हो मां ।मैंने अपनी जिंदगी में बहुत गलतियां करी हैं ।हो सके तो मुझे माफ कर देना ।और आप जहां कहीं भी हो स्वर्ग में ही होंगे। देख रहे होंगे कि आपकी बेटी अपना घर और बच्चों को कैसे संस्कार दिए हैं ।और कैसे रही है और ससुराल में कितना नाम रौशन कर रही है आप का। आपके इतने अच्छे मार्गदर्शन में भी मैं अपनी और अपने बच्चों की जिंदगी रोशन कर पाई । मेरा आपसे रूहानी आत्मा का रिश्ता हमेशा रहेगा।
आपकी प्यारी बेटी जो पहले आपको समझ नहीं पाई और अब आपको भूल नहीं पा रही।