Rachna Bhatia

Abstract

4.8  

Rachna Bhatia

Abstract

जिम्मेदार कौन

जिम्मेदार कौन

2 mins
320


"सर, मेरा बैलेंस चेक करके बताइए, जरा कितना है ? मेरा बैलेंस इतना कम क्यों कैसे हो गया ? मैंने तो 3 महीनों से कुछ भी नहीं निकाला है ! कोई ट्रांजैक्शन नहीं की! आप मुझे बताएं कि मेरा पैसा किसने निकाला ?और, किस के खाते में गया ?" परेशान तपस्या बस प्रश्न पर प्र्श्न किए जा रही थी।

"मैडम, हम आपको डिटेल्स बता देंगे, लेकिन आप मैनेजर से परमीशन दिलवा दें।"

तपस्या ने जल्दी-जल्दी एक एप्लीकेशन लिखी।

मैनेजर ने भरोसा दिलाया कि चोर को पकड़ने के लिए एफ. आई.आर. भी करवा देंगे।

 तपस्या के हाँ कहते ही बैंक का पूरा स्टाफ छानबीन में लग गया कि आखिर किस अकाउंट में पैसे जा रहें हैं ? देखने पर पता चला कि एक ही अकाउंट में लगभग हर हफ्ते पैसे ट्रांसफर हो रहे हैं, जैसे ही उन्होंने नाम बताया तपस्या के होश उड़ गए। सिर्फ इतना कहा, " मुझे चोर को नहीं पकड़ना है, न ही एफ. आई.आर. नहीं लिखवानी है !"

बैंक में उपस्थित सभी लोग हैरान थे कि अभी तक हाय, तौबा मचाने वाली तपस्या को आखिर सांप क्यों सूख गया? 

सबने अलग-अलग तरीकों से समझाने की कोशिश शुरू कर दी "मैडम चोर को पकड़िए।"

"देखिए, फोन नंबर भी आ रहा है, बहुत आसान है, ट्रेक हो जाएगा।

" वरना, दोबारा आपके साथ ऐसे ही करेगा "।

"कमाल करते हो, अगर कुछ करना नहीं था तो शोर क्यों मचाया ?"

" यह क्या बात है? कि पता भी करना है, चोर कौन है ?और, उसके खिलाफ कार्यवाही नहीं करनी है !"

"मैडम, पुलिस मदद करेगी।"

" आप,एफ. आई.आर. से डर क्यों रही हैं? चोर आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। उसको नहीं पता चलेगा बैंक कार्यवाही अपने तरीके से कर लेगा।आप केवल हां बोले।"आदि आदि..

तपस्या बिना कोई जवाब दिए जल्दी से बैंक से बाहर आ गई। और करती भी क्या, कैसे कहती कि उसका अपना बेटा जिस पर उसने भरोसा किया, ऑनलाइन की सारी डिटेल्स जिसके साथ शेयर की, वही उसे धोखा दे रहा है, नौकरी के नाम पर उसके ही अकाउंट से पैसे निकाल कर उसे दे रहा है। वह ठगी गई है, अपने ही बेटे से। समझ नहीं पा रही थी कि उसका अपना ही बेटा सब देखते जानते हुए भी अपने पिता की राह पर आखिर क्यों चल पड़ा। आखिर दोष दे भी तो किसको? किस्मत को, औलाद को, पति को, अपने भरोसे को, या समाज को ? जिसने यह पूछ पूछ कर कि क्या अभी नौकरी नहीं लगी ? घर भर का जीना हराम कर दिया था।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract