Bhavna Thaker

Inspirational

1.0  

Bhavna Thaker

Inspirational

जीवनसाथी

जीवनसाथी

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सुबह सुबह रचना से जल्दी उठा नहीं जाता हंमेशा राजन ही अपने हाथों से चाय बनाकर लाता ओर बड़े प्यार ओर जतन से मेरी प्यारी रचू स्वीट मोर्निंग बोलकर रचना के कानों में गुनगुनाता, महारानी जी चाय तैयार है उठने का कष्ट करेंगी ? 

ओर रचना राजन को हाथ खिंचकर पास में लिटाकर गले लग जाती ओर कहती,

तुम इतने अच्छे क्यूं हो ? मुझे आप पर नाज़ है।

आज भी सुरम्य सुबह की पहेली किरण के साथ राजन का मसाला चाय के साथ गुड माॅर्निंग जानू कहना ओर रेडियो मिर्ची पर गाना बजना आए हो मेरी ज़िन्दगी में तुम बहार बनके मेरे दिल में यूँ ही रहना तुम प्यार-प्यार बनके,

कतने भाव जगा गए रचना के मन में।

राजन का रचना को एकटक प्यार से निहारना रचना की आँखें नम कर गया, वो हर एक बात याद करने लगी, क्या कुछ नहीं किया राजन ने मेरे लिये एक डरी सहमी ओर ज़िंदगी से हारी लड़की थी मैं कितने प्यार ओर सहुलियत से एक नाजुक फूल की तरह राजन ने मेरी परवाह करते एक गमख़्वार याद ओर दर्द से उभरने में मेरी मदद की, शायद कोई ओर इंसान होता तो ये रिश्ता यूँ इतनी आसानी ओर सहजता से नहीं निभाता सोचते सोचते रचना चली गई दो साल पीछे अतीत की गलियों में।

हर लडकी शादी के दिन दिल में कई सपने, कई अरमान और ऐक रोमांच लिए पति का हाथ थामे ऐक नयी ज़िन्दगी की शुरुआत करती है,और एक रचना थी की घबरायी, सकुचायी और अज्ञात भय को दिल में पाले राजन को अपनी ज़िन्दगी सौंप रही थी, एक डर दिल को खाए जा रहा था, शादी का शोर ख़त्म होते ही दोनों आ गए पंच तारक होटेल के आलिशान स्यूट में, जहाँ राजन ने रचना के साथ अपनी नयी ज़िन्दगी के सुहाने सपनो की सेज सजायी थी।

राजन फ़्रेश होकर रचना के पास आया ओर धीरे से पास आकर बैठा, प्यार से रचना का चेहरा जो शरम, संकोच और भय से कांप रहा था उसे उपर उठाया, पर राजन के छूते ही रचना ड़र से चिल्लायी दूर हटो मुझसे, मत छूओ मुझे, ओर सुबक-सुबक के रोने लगी।

राजन घबराकर पिछे हट गया पास सोफ़े पर बैठकर चुप-चाप रचना को असमंजस में देखता रहा।

रचना थकान और तनाव को लेकर कब सो गयी पता ही नहीं चला,पर राजन बहोत समझदार था, दूसरे ही दिन दोनों धर आ गए रात नज़दीक आ रही थी और रचना का ख़ौफ़ भी वैसा ही था डरी हुई सहमी सी रचना बेड पर बैठ गई राजन दरवाज़ा बंद करके जैसे ही पास आया रचना वापस सुबक पड़ी ओर राजन ने बिना कोई सवाल किए धीरे से उसे सुला दिया।

रोज़ का ये क्रम बन गया एक हफ़्ते बाद साइड टेबल पर राजन एक चिट्ठी छोड़कर दूसरे बेडरूम में जाकर सो गया, रचना काँपते हाथ और धडकते दिल से चिट्ठी उठाकर पढ़ने लगी तो राजन की महानता की छवि उसके सामने उभरने लगी कुछ यूँ लिखा था राजन ने।

मेरी प्यारी,

मैं नहीं जानता तुम्हारे अंतर्मन के अंदर क्या घुटन है, क्यूँ खुद से ही इतनी ख़फ़ा हो, ये भी नहीं जानता की मेरा कसूर क्या है, पर इतना जरुर जानता हूँ की सात फ़ेरे मेरे लिये सिर्फ़ एक रस्म ही नहीं थी,

तुम्हारा हाथ थामते ही मन में एक प्रण भी लिया था की अब से तुम्हारे सारे गम मेरे ओर मेरी सारी खुशीयों की मालिक तुम।

आज से मैं तुम्हारा हमख़याल,हमराज़,हमसफ़र ओर तुम्हारा रखवाला बनकर हर मंज़िल ओर हर मोड़ पर तुम्हारा साया बनकर साथ खड़ा रहूँगा, अगर तुमने भी सच में मुझे स्वीकार किया है तो मुझ पर भरोसा करके अपने अंदर के सारे गम सारे आँसू ओर सारे राज़ मेरे नाम करके दिल पे जो बोज़ लिये अंदर ही अंदर घूट रही हो,उससे आज़ाद होकर एक नयी मंज़िल पे मेरे साथ कदम मिलाकर रास्ते आसान करलो, चाहे जो भी वजह हो मैं तुम्हारे साथ हूँ।

तुम्हारा जीवन साथी।

चिठ्ठी बाजु पर रख रचना दौड़ी जहाँ राजन सोया था उस बेडरूम की ओर, ओर राजन से लिपटकर आँसुओं के ज़रिए सबकुछ उड़ेलती रही, सुबक-सुबक कर अपने साथ हुए हादसे को दोहराती रही...

कैसे १५ साल की उम्र में ही एक दिन जब मम्मी-पापा एक घंटे के लिए रचना को घर में अकेला छोड़कर किसीको देखने होस्पिटल गए थे,तब किसी अपने ने ही रचना का जीवन बर्बाद कर के रख दिया था,उस इंसान ने इतना डराया की आज तक किसीको कुछ बता ना पाई, एक दर्द के साथ ढोती रही खुद को,

मर-मर कर जीती रही।

आत्मा मर गई थी सिर्फ़ साँस लेने भर से ज़िंदा कहलाती थी, आज भी उस घिनौनी छुअन याद आते ही एक सिहरन दौड़ जाती है, बदन काँप उठता है।

उस हादसे ने ज़िंदा लाश बना दिया था तब से किसीका भी छूना काले साँप का ड़सना लगता था।

जब आपने मुझे छुआ तो फिर से वही घिनौने स्पर्श ने मुझे झकझोर दिया,और इतना बताकर रो रोकर रचना आधी बेहोश हो गई।

राजन ने मुँह पर पानी छिड़क कर पानी पिलाया और हौले से बड़े जतन ओर प्यार से अपनी बाँहों में लेकर सिर्फ़ इतना ही कहा, पागल बस इतनी सी बात की मुजे इतनी बडी सज़ा दी ? जो कुछ हुआ उसमें तुम्हारा क्या दोष तुम मेरे लिए आज भी उतनी ही पवित्र ओर मासूम हो जो उस हादसे के पहले थी, अब पुरानी हर एक बात को अपने दिमाग के डिवाइस से डिलीट कर दो, ओर दिमाग में मेरी चाहत का नया सिम ड़ालकर मेरा हाथ थामे नयी ज़िन्दगी की शुरुआत करो,अब तुम्हें कोई गम, कोई दु:ख, कोई दर्द छू भी नहीं पाएगा॥

उस पल रचना को मानों एैसा लगा जैसे बारिश के बाद आसमान हल्का ओर धरती धुली-धुली लगती है, ठीक वैसे उसके दिल का बोझ उतरते ही खुद को हल्का महसूस करने लगी,ओर मन में एक नयी उमंग ओर राजन के प्रति प्यार की कोंपलें फूटने लगी।

राजन की आगोश में जैसे कोई बच्चा माँ की गोद में खुद को महेफूज़ महसूस करता है, वैसे ही अपना पूरा अस्तित्व राजन को सौंपकर निड़र बनकर समा गई राजन के आलिंगन में, ओर निराकार से अलग होकर साध लिया एकाकार राजन के अस्तित्व के साथ।

   जब राजन ने हैलो मैडम कहाँ खो गई बोलकर गाल पे थपकी लगाई तो इतना ही कह पायी,

एक मुरझाये से पौधे को आपने नया जीवन दिया है,

मुजे आप पर नाज़ है।

आपने समझाये है प्यार, इश्क, मोहब्बत के सही मायने, आप मेरा पहला ओर आखरी प्यार हो आप इतने अच्छे क्यूँ हो ? काश की मेरी तरह प्रताड़ित हुई हर लड़की को आपके जैसा समझदार और परवाह करने वाला पति मिलता।


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