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जेनेरेशन गैप

जेनेरेशन गैप

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मेरा दस वर्षीय पुत्र बाहर खेलते- खेलते अचानक मेरे पास दौड़ कर आया और पूछने लगा, "मम्मी मम्मी ये जेनेरेशन गैप क्या होता है?"

मुझे अचानक उसके मुँह से ये प्रश्न सुन कर थोड़ी हैरानी तो हुई। पर मैं समझ भी गई कि ये बाहर जिन बडे़ कॉलेज के लड़कों के साथ खेल रहा था, वहीं से सुनकर आया होगा। बच्चे ने पूछा था, तो जवाब देना भी अनिवार्य था।

मैं गैस बंद करके उसका हाथ पकड़ कर बैठक में ले आयी और उसे अपनी गोद में बिठाते हुए बोली "बेटा जब हम छोटे थे, तो हमारे माता पिता अंधेरा होने के बाद हमें बाहर नहीं खेलने देते थे। हमें जो भी खाना होता, हमारी माँ घर पर ही बना देती थी। रोज़ रोज़ पिज़्ज़ा बर्गर न खा कर हम घर की बनी हुई दाल सब्ज़ी रोटी खाना पसंद करते थे। सिनेमा देखने भी हम अपने माता- पिता के साथ ही जाते थे। और वो जो हमारे घर में दादा- दादी होते थे, उन्हें कहीं नहीं जाना पड़ता था। वो भी वहीं हमारे साथ हमारे घर में ही रहते थे।

"मम्मी, वो जो चिंटू के पापा उसके दादा जी को एक दूसरी जगह छोड़ आये हैं, जहाँ बहुत सारे बूढ़े रहते हैं। तो क्या उनके बीच भी जनरेशन गैप हो गया है?"

मैंने मुस्कुराते हुए कहा "हाँ बेटा"

वो फिर बोला, "मम्मी पर मैं तो रोज़ आपके हाथ का बना हुआ ही खाता हूँ।"

"तुम तो मेरे प्यारे बेटे हो"

"अब से मैं शाम को बाहर नहीं खेलूंगा"

मैं मुस्कुराते हुए बोली "बहुत अच्छी बात है"

अब वो बड़ी मासूमियत से मेरे गले में बाँहे डाल कर बोला "और जब आप दादा- दादी की तरह बूढ़े हो जाओगे तब भी मैं आपके साथ ही रहूँगा"

अब उसे प्यार करने की मेरी बारी थी....


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