Prince Manish

Romance Tragedy

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Prince Manish

Romance Tragedy

जब वो मेरे पास थी !

जब वो मेरे पास थी !

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कहानी की शुरुआत होती है राहुल नाम के एक लड़के से, जो मुंबई जैसे विकसित और व्यस्त शहर में रहता था। वह दूसरी जगह से मुंबई सिर्फ काम की तलाश में आया था।


कुछ महीनों की कोशिश के बाद उसे एक बैंक में नौकरी मिल जाती है। राहुल इतने बड़े शहर में अकेले रहता था, इसलिए वहां दिनभर व्यस्त रहता था। क्योंकि सुबह उसे बैंक जाना होता था, लेकिन उससे पहले अपने लिए नाश्ता बनाना पड़ता था।

वह एक किराए के फ्लैट में रहता था, तो उसे साफ सफाई भी खुद करनी पड़ती थी, जिसके कारण उसी दिन भर अपने लिए थोड़ा भी समय नहीं मिल पाता था।

राहुल बड़ा ही मेहनती लड़का था, वह बैंक में जिस पद पर था वह उस पद से बड़े पद पर जाना चाहता था। इसके लिए वह बैंक की पढ़ाई भी करता था। ताकि वह बड़े पद पर पहुंच सके और पैसे भी ज्यादा मिले।


राहुल ने यह सोच कर रखा था कि 1 दिन वह बहुत बड़े पद पर होगा। खुद का एक बहुत बड़ा घर होगा, बड़ी और महंगी गाड़ियां होगी, घर में काम करने के लिए नौकर चाकर होंगे और बहुत सारे पैसे राहुल की जमा पूंजी में होंगे। राहुल दिन भर बस यही सपने देखता था और अपने सपने को पूरा करने के लिए मेहनत किया करता था।

वह अपने सपने के पीछे इतना पागल हो चुका था कि उसे और कुछ दिखाई नहीं देता था। वह चाहता था कि वह जल्दी से जल्दी बड़े से बड़े पद पर पहुंच सकें, ताकि वह अपने सारे सपने पूरे कर सकें।


राहुल बैंक जाकर अपना पूरा ध्यान अपने सिर्फ काम में ही लगाता था। जब वह काम कर रहा होता था तब उसे बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ता था कि उसके आगे पीछे क्या चल रहा है? बैंक में काम करने वाले दूसरे लोग हंसी मजाक करके अपना काम किया करते थे, लेकिन राहुल चुपचाप बस अपने ही काम करता रहता था।

लेकिन उसी बैंक में एक लड़की भी काम करती थी जिसका नाम था शांति। वैसे तो शांति है भी अपना पूरा ध्यान अपने काम में ही लगाई रहती थी, लेकिन वह मन ही मन राहुल को चाहती थी। लेकिन यह बात वह राहुल को बता नहीं पाती थी।


उसे डर लगता था कि कहीं राहुल मुझसे नाराज ना हो जाए। वाह राहुल से बात तो करना चाहती थी परंतु राहुल तो अपने काम में ही लगा रहता था, तो शांति उससे बात भी नहीं कर पाती थी।

राहुल का हमेशा अपने काम में लगे रहना और आसपास की चीजों को ध्यान नहीं देना शांति को बहुत अच्छा लगता था। लेकिन कभी-कभार जब बैंक के काम से राहुल से बातचीत भी हो जाती थी, तब भी सिर्फ बैंक के काम की ही बात होती थी।


एक दिन देर से उठने के कारण राहुल को अपने लिए नाश्ता बनाने का समय नहीं मिला, जिसके कारण राहुल को ऐसे ही बैंक जाना पड़ा। राहुल ने रास्ते से कुछ तो खा लिया ताकि कुछ देर तक भूख ना लगे।

लेकिन जब बैंक में लंच ब्रेक हुआ तब राहुल को जोरों से भूख लग रही थी, लेकिन आज तो उसने अपना टिफिन लाया ही नहीं था। तो राहुल चुपचाप बैठ कर सभी को खाते हुए देख रहा था। राहुल की किसी से अच्छे से बातचीत होती नहीं थी, जिसके कारण उसे दूसरों से मदद मांगने में झिझक सी हो रही थी।

लेकिन शांति राहुल को देखकर साफ-साफ समझ गई थी कि राहुल ने आज अपना टिफिन नहीं लाया है और उसके चेहरे से साफ दिखाई दे रहा है कि उसे जोरों से भूख लग रही है। तब शांति अपना टिफिन लेकर राहुल के पास जाती है और राहुल से कहती है कि मुझे पता है राहुल कि आज तुमने अपना टिफिन नहीं लाया है।

और तुम्हें जोरों से भूख लग रही होगी, तो तुम मेरा टिफिन खा सकते हो। राहुल को जोरों से भूख लग रही थी और सामने खाना देखकर उससे रहा नहीं गया। उसने शांति का टिफिन कुछ ही देर में खाली कर दिया। शांति यह देखकर समझ गई कि राहुल काफी भूखा था।


शांति ने पूछा कि राहुल आज तूने अपना टिफिन क्यों नहीं लाया था, तब राहुल ने अपनी सारी कहानी बता दी। और तब शांति को पता चला कि राहुल मुंबई शहर में अकेला रहता है। तब राहुल के लिए चिंता और प्यार शांति के मन में और ज्यादा बढ़ गई।

अब धीरे-धीरे इसी तरह शांति और राहुल की बातें शुरू हुई। दोनों अब अच्छे से एक दूसरे से बात करते थे। और एक दूसरे की मदद भी करते थे। शांति राहुल का मन उसके काम से थोड़े समय के लिए दूर करने की कोशिश करती थी लेकिन राहुल फिर भी अपने काम में ही लगा रहता था।

लेकिन फिर भी दोनों के बीच प्यार बढ़ता गया, और दोनों ने सोचा कि हम दोनों को अब शादी कर लेनी चाहिए। शादी की बात शांति ने पहले की थी। क्योंकि शांति को राहुल की चिंता लगी रहती थी क्योंकि राहुल अकेला रहता था।


अकेले रहने के कारण राहुल को भी कई परेशानियां होती थी जिसके कारण उसे शांति से शादी करने में कोई परेशानी नहीं थी। राहुल ने सोचा था कि शादी होने के बाद वह अपने काम पर ही पूरा तरीके से ध्यान लगा सकेगा। और अपने सपनों के लिए और अच्छे से मेहनत कर पाएगा।

शांति के घरवाले इस रिश्ते के लिए मान जाते हैं और राहुल भी अपने घरवालों को यह बात बता देता है। कुछ समय बाद दोनों की शादी मुंबई में ही हो जाती है। राहुल शांति से कहते हैं कि अब तुम्हें काम करने की कोई जरूरत नहीं है अब मैं ही काम करूंगा! और दोनों खुशी से एक साथ रहने लगते हैं।


उनकी जिंदगी अच्छी चल रही होती है, राहुल अपने सपनों के लिए दिन रात मेहनत कर रहा होता है और शांति राहुल का ध्यान रखती थी। शांति राहुल से बहुत ज्यादा प्यार करती थी इसलिए वह राहुल को उसके सपनों को पूरा करने मैं जितना हो सके उतना मदद किया करते थी।

एक दिन जब राहुल अपने काम पर गया था तब घर में काम करते समय शांति की तबीयत अचानक से खराब हो जाती है। शांति को सांस लेने में परेशानी हो रही थी। शांति को कुछ समझ नहीं आ रहा होता है कि वह क्या करें? तभी वह तुरंत राहुल को फोन करती है। और राहुल से कहती है कि मेरी तबीयत खराब है।


इससे ज्यादा वह राहुल से कुछ कह नहीं पाती है क्योंकि उसे सांस लेने में परेशानी हो रही थी। राहुल को बस यही बात समझ आती है कि शांति की तबीयत खराब है। राहुल सोचता है कि तबीयत खराब है तो मैं शाम को घर जाते वक्त उसके लिए दवाई लेकर चला जाऊंगा।

क्योंकि अगर अभी मैं काम छोड़ कर घर गया तो मेरी 1 दिन की कमाई मुझे नहीं मिल पाएगी। इधर शांति की है तबीयत खराब होती जा रही थी। फिर भी उसने जैसे तैसे करके खुद को संभाला और डॉक्टर को फोन किया।


कुछ देर बाद जब डॉक्टर घर आया तब डॉक्टर ने शांति का इलाज किया। डॉक्टर को कुछ सही नहीं लगा इसलिए उसने शांति को यह सलाह दी कि वह किसी अच्छे हॉस्पिटल में जाकर अपना एक बार चेकअप करवा ले। ताकि यह पता लग जाएगा कि आखिर कोई तुम्हारे शरीर में परेशानी तो नहीं है?

शाम को जब राहुल घर आया, तब वह अपने काम के कारण यह भी भूल चुका था कि उसे शांति के लिए दवाई लानी है। उसने शांति से कहा कि मैं आज बहुत ज्यादा व्यस्त था जिसके कारण मैं दिन में नहीं आ पाया। शांति ने कहा कोई बात नहीं !


फिर शांति ने डॉक्टर की कही हुई बात राहुल को बता दी। फिर शांति कहती है कि क्या हम कल पास के हॉस्पिटल में जा सकते हैं। राहुल कहते हैं कि - शांति, हॉस्पिटल तो पास में ही है तो तुम खुद ही चले जाना, कल मुझे काम है! यह कहकर वह इस बात को टाल देता है। लेकिन शांति को इस बात का बुरा नहीं लगता है।


अगले दिन जब शांति हॉस्पिटल से अपना चेकअप करवा कर आती है जब उसकी रिपोर्ट में यह बताया जाता है कि शांति की फेफड़ों में की किसी तरह की एक बीमारी है, जिसके कारण शांति को सांस लेने में परेशानी होती है। और इसीलिए शांति को कभी कबार सांस लेने में परेशानी होती थी।

शांति बहुत ज्यादा घबरा जाती है। और वह तुरंत राहुल को फोन करती है लेकिन राहुल ने अपना फोन बंद करके रखा हुआ था। जब राहुल शाम को घर वापस आता है तब शांति उसे यह बात बताती है।


यह बात सुनते ही राहुल शांति से कहता है कि - शांति, तुम्हें डरने की जरूरत बिल्कुल नहीं है ऐसी छोटी-मोटी परेशानियां आजकल हर लोगों को होती है। इससे डरने की जरूरत नहीं है। और ऐसे ही कई बातें करके राहुल शांति को समझाता है और उसका डर भगा देता है।

फिर से उनकी जिंदगी वापस से वैसे ही चलने लगती है जैसे पहले चल रही थी। शांति वापस अपने घर के कामों में मन लगाती है और राहुल अपने सपनों को पूरा करने में लग जाता है।

राहुल को शांति की आदत लग चुकी थी। शांति राहुल के बिना कहे ही उसके कई काम कर देती थी जिससे राहुल बिना परेशानी के अपने काम में मन लगा सकता था। राहुल की बातों के कारण शांति अपनी सांस लेने की परेशानी को नजरंदाज करती थी।


एक दिन जब राहुल घर में था तब उसी समय शांति की हालत फिर से अचानक खराब हो जाती है। उसे सांस लेने में फिर से परेशानी हो रही थी। राहुल डॉक्टर को फोन करता है और डॉक्टर जब आता है तब शांति की हालत देखकर और उसकी रिपोर्ट देखकर डॉ राहुल से कहता है की - शांति की फेफड़ों की यह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है।

और जल्द से जल्द इसका इलाज कराने की जरूरत है वरना यह परेशानी और बढ़ जाएगी और फिर पता नहीं कि क्या हो सकता है? डॉक्टर अपनी सलाह देकर वहां से चला जाता है। राहुल कुछ देर वही रुकता है और फिर जब शांति की हालत थोड़ी सी अच्छी दिखाई देती है तब हां काम पर जाने लगता है।


शांति राहुल से कहती है की आज आपको मेरे साथ हॉस्पिटल चलना चाहिए, क्या पता कि सच में इलाज की जरूरत होगी ? इसलिए क्या आज आप मेरे साथ हॉस्पिटल चलोगे? राहुल काम का बहाना बनाकर और यह कहकर कि डॉक्टर लोगों का तो काम ही छोटी सी बात को बढ़ा चढ़ाकर कहना होता है।

तुम्हें डरने की जरूरत नहीं है तुम हॉस्पिटल जाओ और तुम्हें इलाज की जरूरत बिल्कुल नहीं है। मुझे काम है इसलिए मैं तुम्हारे साथ नहीं आ सकता! और हॉस्पिटल भी तो पास में ही है! तो तुम अकेली जा सकती हो! यह कहकर वह अपने काम पर चला जाता है।


शांति को थोड़ा सा बुरा लगता है, लेकिन फिर भी वह राहुल से कुछ नहीं कहती है। जब वह खुद हॉस्पिटल जाती है तब उसे डॉक्टर कहता है कि तुम्हारे फेफड़े दिन-ब-दिन खराब होते जा रहे हैं। तुम्हें इलाज की सख्त जरूरत है। और इस इलाज के लिए पैसे भी ज्यादा लग सकते हैं।

शांति फिर बहुत ज्यादा घबराने लगती है, वह राहुल को फोन करती है लेकिन राहुल को फोन तो लगता ही नहीं है! तब शांति अपने माता पिता को फोन करती है और सारी बातें बता देती है। शांति के माता-पिता उसके घर आ जाते हैं, उनके बीच कुछ देर बातें होती है और वे सभी राहुल के आने का इंतजार कर रहे होते है।


जब राहुल घर पर आता है तब उसको यह बात पता चलती है कि शांति की हालत खराब है और उसको इलाज की जरूरत है। इसके लिए काफी सारे पैसों की भी जरूरत पड़ने वाली है।

राहुल के पास एक अच्छी जमा पूंजी हो गई थी, लेकिन जब उसे पता चलता है कि शांति के इलाज के लिए पैसों की जरूरत है जब उसे शांति के ऊपर गुस्सा आता है! वह शांति के ऊपर गुस्सा करने लगता है कि तुम डॉक्टरों की बेकार की बातों पर भरोसा कैसे कर सकती हो?

डॉक्टर तो कुछ भी कहते रहते हैं उनको बस पैसों से मतलब होता है! और इसी तरीके से राहुल शांति के ऊपर सभी के सामने गुस्सा कर रहा होता है। लेकिन शांति के माता-पिता और शांति ही राहुल को समझाते हैं और अंत में राहुल मान जाता है।


राहुल को समझा कर शांति के माता-पिता वापस चले जाते हैं। राहुल शांति के ऊपर गुस्से में रहता है। लेकिन अगले दिन बैंक वालों की तरफ से राहुल को एक फोन आता है जिसमें एक बहुत बड़ी खुशखबरी राहुल को पता चलती है।

राहुल की मेहनत का फल आज उसको मिलने वाला था आज वह अपने पद से बड़े पद पर जाने वाला था यानी उसका प्रमोशन हो रहा था! वह इस बात से बहुत ज्यादा खुश था। बैंक वाले राहुल को पार्टी के लिए कैसे भी करके मना लेते हैं।


अगले दिन राहुल अपने घर में एक छोटी सी पार्टी रहता है जिसमें वह अपने साथ बैंक में काम करने वाले लोगों को बुलाता है। पार्टी का सारा काम शांति अकेले करती है। शांति की तबीयत खराब होती है फिर भी वह बिना कुछ कहे सारा काम करती रहती है।

इसके अगले दिन राहुल और शांति हॉस्पिटल जाने वाले थे शांति के इलाज के लिए! लेकिन उस रात को शांति की तबीयत खराब रहती है। उसे सांस लेने में थोड़ी-थोड़ी परेशानी होती रहती है लेकिन शांति यह सोचती है कि आखिर हम लोग कल तो इसका इलाज करवाने ही वाले हैं।


तो आज थोड़ी सी परेशानी है मैं सह लेती हूं! अगले दिन सुबह राहुल को बैंक से फोन आता है उसे कई सारे नए नए काम मिलते हैं। राहुल कहता है कि आज मैं नहीं आ पाऊंगा मैं कल से आऊंगा। बैंक वाले राहुल से कहते हैं कि प्रमोशन के पहले दिन ही तुमको छुट्टी नहीं लेनी चाहिए।

राहुल सोचता है कि आखिर मैं पैसे तो शांति को दे दूंगा और हॉस्पिटल तो पास में ही है तो वह खुद ही चली जाएगी और अपने इलाज करवा लेगी। नहीं छोटे से काम के लिए अपना नया दिन क्यों खराब करूं। यही बात वह शांति को बताता है।


शांति राहुल से कहती है कि - नहीं राहुल आपको आज मेरे साथ आना ही पड़ेगा क्योंकि आज मेरा इलाज होने वाला है और वहां कई तरीके के काम हो सकते हैं जो कि मैं अकेले नहीं कर पाऊंगी! इसलिए आज आपको मेरे साथ आना ही पड़ेगा।

दोनों के बीच में कुछ देर तक बहस होती है और राहुल गुस्से में शांति के हाथ में पैसे देकर वहां से अपने काम के लिए चला जाता है। शांति रोने लगती है लेकिन फिर भी अपने आप को संभालती है और अकेले ही अपने इलाज के लिए हॉस्पिटल चली जाती है।


कल रात से ही शांति की तबीयत खराब थी और हॉस्पिटल जाते जाते उसकी तबीयत और बिगड़ने लगती है! हॉस्पिटल जाकर भी हॉस्पिटल वाले उसका इलाज सीधे-सीधे ना करके उसे कई तरीके के काम बता कर यहां वहां घूम आते रहते हैं।

जिसके कारण शांति की हालत और ज्यादा खराब होने लगती है। डॉक्टर शांति से कहते हैं कि हम आपको कुछ दवाइयां लिखकर दे रहे हैं आपको सामने की दवाइयों की दुकान से यह दवाइयां लेकर आनी पड़ेगी। शांति दवाइयां लेने के लिए दवाइयों की दुकान पर जाने लगती है लेकिन बीच में उसकी हालत बहुत ज्यादा खराब हो जाती है।


वह बिल्कुल भी सांस नहीं ले पा रही थी। उससे कुछ भी नहीं हो पा रहा था वह जहां खड़ी थी उसी जगह गिर जाती है। लोग उसे देख रहे होते हैं लेकिन कोई कुछ नहीं कर रहा होता है एक आदमी दौड़ कर हॉस्पिटल के एक आदमी को लेकर आता है।

लेकिन उसके आने तक बहुत ज्यादा देर हो जाती है और सांस नहीं ले पाने के कारण शांति की वहीं पर मृत्यु हो जाती है। शांति के पास मिले सामान से हॉस्पिटल वाले राहुल को फोन करते हैं और उसे बताते हैं कि आपकी पत्नी की मृत्यु हो चुकी है।


राहुल दौड़ता हुआ हॉस्पिटल आता है। यह जान के उसे बहुत बड़ा झटका लगता है। उसे यह बात सहन ही नहीं हो पा रही थी कि उसकी शांति अब इस दुनिया में नहीं है। राहुल अपना सारा काम सारे सपने भूल जाता है। और शांति की याद में रोने लगता है।

अब राहुल अकेले रहने लगता है। उसे लगता है कि अब मेरी जिंदगी का कोई मकसद ही नहीं है। शांति के जाने के बाद राहुल के सारे सपने और उसका लक्ष्य चूर चूर हो जाता है। जब शांति थी तब राहुल को उसकी परवाह नहीं थी, लेकिन जब शांति चली गई है तब राहुल को लग रहा है कि अब उसका जीना भी व्यर्थ है।


तो दोस्तों राहुल अब अकेले गुमसुम रहने लगता है। जिसके पास कोई नहीं था। अब किसी को कुछ नहीं पता कि राहुल की हालत कैसी है? राहुल न तो अपने काम पर जाता है और ना ही किसी को दिखाई देता है!


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