जब लड़के का दर्द अपने भी न समझे !
जब लड़के का दर्द अपने भी न समझे !
दोस्तों, मेरा नाम विजय है और मैं 25 साल का हूं । मैं एक गांव में रहता हूं जो कि शहर से बिल्कुल लगा हुआ है । और मैं उसी शहर के एक बैंक में नौकरी भी करता हूं । मेरा अपना घर है और मैं अपने पिता के साथ रहता हूं ।मेरे घर में मेरे पिता के साथ उनकी पत्नी और उनकी एक बेटी भी रहती है । आज से लगभग 20 साल पहले किसी बीमारी के कारण मेरी मां चल बसी ।आज भी जब मैं अपने पुराने दिनों के बारे में सोचता हूं तो आंसू अपने आप निकल आते हैं । मैंने बचपन में अपनी मां को हमेशा परेशान और बीमार रहते हुए भी देखा था । उनका शरीर बहुत कमजोर था ।उस कमजोर शरीर और बीमारी के साथ भी मेरी मां घर की सभी काम किया करती थी । मेरे पिता मेरी मां को हमेशा डांटते रहते थे और काम करवाया करते थे । यह जानते हुए भी कि मेरी मां बीमार है गुस्सा आने पर वह मेरी मां को मार भी दिया करते थे ।
मुझे अपने पिता पर बहुत गुस्सा आता था लेकिन उस उम्र में मैं कुछ नहीं कर सकता था । मैंने मां को हमेशा रोते हुए ही देखा था । मेरी मां एक गरीब परिवार से थी , जिसके कारण मेरे पिता मेरी मां को बिल्कुल पसंद नहीं करते थे । लेकिन घर वालों के कहने पर मेरी मां से शादी कर ली थी ।
एक दिन मां की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई, मां ने दिनभर कुछ नहीं खाया था । उनका शरीर काफी गर्म था, उनको बहुत तेज बुखार था । मां बस एक जगह चुपचाप बैठ कर और मुझे अपने सीने से लगा कर रो रही थी ।मुझे उस दिन तो कुछ समझ में नहीं आया लेकिन आज समझ आ रहा है कि उस दिन मां को यह पता चल गया था की यह उनका आखरी दिन होगा । इसलिए मां मुझे अपने सीने से लगा कर रो रही थी । मां मुझसे सबसे ज्यादा प्यार करती थी । मैं भी मां से सबसे ज्यादा प्यार करता था ।
अगले दिन जब मेरी नींद खुली, तब मुझे पता चला कि मेरी मां मुझे छोड़कर हमेशा के लिए चली गई है । मैं उस दिन बहुत रोया! मेरे आंसू रुक ही नहीं रहे थे । मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरा सब कुछ चला गया है । क्योंकि सिर्फ एक मां थी जो मुझे सबसे ज्यादा प्यार करती थी ।मेरे पिता को इस बात का बिल्कुल भी पता नहीं पड़ा । मैं बहुत अकेला महसूस करने लगा । मुझे ऐसा लगने लगा था कि मानो पूरी दुनिया में मेरा कोई है ही नहीं, और मैं पूरी दुनिया में अकेला हो गया हूं ।
तीन-चार महीनों बाद मेरे पिता ने दूसरी शादी कर ली । मुझे यार बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा, लेकिन मैं कुछ नहीं कह सकता था । उनकी दूसरी पत्नी आने के बाद मुझे ऐसा लगने लगा था कि जैसे मैं उस घर का हिस्सा हूं ही नहीं!क्योंकि मुझे यह पूछने वाला है कि क्या तुमने खाना खाया? और मेरा ख्याल रखने वाला कोई नहीं था । बस मुझे टाइम पर खाना दे दिया जाता था उसके बाद ना कोई मेरे पास आता था और ना ही कोई मुझसे बात करता था
बल्कि मेरे पिता मेरे ऊपर गुस्सा करते थे और मुझे मारा भी करते थे । उनको मेरे ऊपर दया बिल्कुल भी नहीं आती थी । वह मुझसे घर की कई काम कर आते थे और जब मैं किसी काम को करने के लिए मना कर रहा था तब मुझे मार पड़ती थी ।धीरे धीरे मुझे किन चीजों की आदत पड़ने लगी । क्योंकि मुझे एक चीज समझ में आ गई थी कि अब मुझे ऐसे जीना पड़ेगा जैसे कि मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है! और मेहनत करनी पड़ेगी और अपनी जिंदगी खुद बनानी पड़ेगी ।
धीरे धीरे मेरी उम्र बढ़ने लगी, और मैंने एक चीज ठान ली थी कि 1 दिन अपने पैरों पर खड़ा जरूर होगा । मैंने सोच लिया था कि मैं अपनी पढ़ाई अच्छे से करूंगा और एक अच्छी नौकरी लगूंगा । पढ़ाई के लिए पैसे तो मिल जाते थे ।लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती गई और मेरी पढ़ाई की फीस भी बढ़ती गई वैसे-वैसे मेरे घर में पैसों के लिए लड़ाई भी होती गई । मेरे पिता की पत्नी मुझे पढ़ाई के लिए भी पैसा देने से कतराती थी । जिसके कारण मेरे पिता भी मुझ पर पढ़ाई के लिए भी पैसा मांगने पर गुस्सा करते थे ।
इसलिए मुझे अपने गांव के एक दुकान में काम करना पड़ता था । ताकि पैसे भी मिल जाए और मैं पढ़ाई भी पूरी कर सकूं । जैसे तैसे मेरी जिंदगी चल ही रही थी । और 1 दिन ऐसा आया जब मेरी पढ़ाई पूरी हो गई और मैं नौकरी की तलाश में यहां वहां घूमने लगा ।नौकरी मिलने के लिए कुछ महीने लगे, लेकिन अंत में मुझे एक बैंक में नौकरी मिल गई । अब मुझे कुछ बैंक में काम करते हुए 4 साल हो चुके हैं । और मेरी पोस्ट भी अच्छी खासी है जिसके कारण मेरी तनख्वाह भी अच्छी है ।इसलिए अब मुझे घर वालों से पैसे मांगने की जरूरत बिल्कुल नहीं पड़ती है । मेरे पिता अपने सारे पैसे अपनी दूसरी पत्नी और अपनी एक बेटी के ऊपर खर्च करते । लेकिन मुझे किसी भी चीज के लिए कभी भी नहीं पूछते हैं ।
मैं रहता तो उनके साथ ही हूं लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं लगता है कि हम सभी एक परिवार है । मुझे हमेशा ऐसा लगता है कि मैं अकेला हूं और मैं किसी अलग परिवार के साथ रहता हूं ।खैर, अब मेरी उम्र हो रही है शादी की । मुझे लगा था मेरे घर वालों को तो मेरी चिंता है नहीं है तो मुझे अपने लिए लड़की खुद ढूंढनी पड़ेगी । वैसे मैं इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रहा था लेकिन एक दिन मेरे पिता मेरे पास आते हैं और बोलते हैं कि -
"हमने तुम्हारे लिए लड़की पसंद की है, लड़की अच्छी है, सुंदर है और बड़े घर की है । मुझे कुछ समझ तो नहीं आ रहा था कि अचानक से मेरे पिता को मेरी इतनी चिंता क्यों होने लगी? लेकिन मेरे पिता ने इतने दिनों बाद मेरे से इतने अच्छे से बात की थी"
तो मैंने कहा "है मैं लड़की से मिल लेता हूं ।" अगले दिन में लड़की से मिलने जाता हूं अपने पिता के साथ । वहां जाकर मैं देखता हूं कि उनका लड़की काफी अच्छी है, सुंदर है लेकिन उसे देख नहीं लग रहा था कि वह अपनी शादी से खुश है ।
मेरे पिता और लड़की के पिता कि एक दूसरे से जान पहचान थी जिसके कारण यह रिश्ता मान लो कि पक्का हो ही गया था ।थोड़े दिनों में हमारी शादी हो जाती है । शादी में मुझको यह पता चलता है कि मेरे पिता को मेरी इतनी चिंता क्यों हो रही थी । मेरे पिता और उनकी दूसरी पत्नी को मेरी शादी से मिलने वाले दहेज से मतलब था ।मेरी पत्नी यानि राधा । अच्छे घर से है, जिसके कारण दहेज भी अच्छा मिलने वाला है यही सोचकर मेरी पिता और उनकी दूसरी पत्नी ने यह शादी तय कर ली थी ।यह सब बातें जानने के बाद भी मैं खुश था क्योंकि मेरी जिंदगी में ऐसा कोई इंसान आया जो मेरा अपना होगा । जो मेरा ख्याल रखेगी और मुझसे प्यार भी करेगी ।
लेकिन शादी की पहली रात को ही राधा बहुत गुस्से में थी । उससे बात करके यह पता चला कि उसकी शादी जबरदस्ती करा दी गई है । उसे अभी शादी नहीं करनी थी । राधा ने अपनी सारी भड़ास मेरे ऊपर ही निकाल दी । मैंने राधा को बहुत समझाने की कोशिश करी लेकिन वह मानने को तैयार ही नहीं थी । और फिर वह गुस्से में दूसरी तरफ मुंह करके सो जाती है । मुझे राधा पर गुस्सा बिल्कुल भी नहीं आ रहा था, बल्कि उसके लिए बुरा लग रहा था कि उसकी शादी उसके बिना मर्जी के हो गई ।लेकिन मैंने इस बात पर इतना ध्यान नहीं दिया कि आज नहीं तो कल राधा का गुस्सा ठंडा हो ही जाएगा । इसलिए मैं रोज राधा को मनाने की कोशिश करता था, उसे खुश करने की कोशिश करता था, हंसाने की कोशिश करता था ।लेकिन राधा मानने को तैयार ही नहीं थी । राधा मुझसे हर बार यही कहती थी कि तुम मेरे पास आया मत करो, और मुझे छोड़ने की कोशिश मत किया करो । यह कुछ वाक्य में बार बार सुन चुका था लेकिन फिर भी राधा को मनाने की कोशिश करता रहता था ।
राधा अच्छे घर से थी जिसके कारण मेरे पिता की दूसरी पत्नी पैसों के लालच में आकर मेरी पत्नी को मेरे खिलाफ भड़काने की कोशिश किया करती थी । वह राधा को मेरे बारे में हमेशा बुरी बुरी चीजें ही बताया करते थे । और राधा भी उसकी बातों पर विश्वास कर लेती थी ।फिर भी मैं राधा को मनाने की कोशिश करता था लेकिन राधा हर बार मेरे पर गुस्सा ही करती थी । लेकिन फिर भी मैं राधा पर कभी गुस्सा नहीं करता था । क्योंकि मुझे उम्मीद थी कि राधा को एक दिन जरूर समझ में आ जाएगा । क्योंकि मेरी जिंदगी में अब वही एक है जिसे मैं बहुत प्यार करता हूं ।खैर यह अब रोज की बात हो गई थी । और ऐसे ही करते-करते लगभग एक महीना पूरा होने ही वाला था । राधा अब भी मेरे से गुस्सा थी और अब तो वह मुझसे ज्यादा विश्वास मेरे घर वालों पर करती थी ।
एक दिन मैंने राधा को पूछ लिया कि आखिर तुम चाहती क्या हो? तुमने ना तो अभी तक मुझे खुद को छूने दिया है, और ना ही खुद से कभी मेरे से बात की है ! तुम मेरे ऊपर तो गुस्सा करती हो लेकिन मेरे घर वालों के साथ हस हस के बातें करती हो!
राधा ने बड़े गुस्से में कहा की - "तुम से मेरी शादी मेरे बिना मर्जी के हुई है, मुझे तुम बिल्कुल भी पसंद नहीं हूं । ना तो मुझे तुम्हारी हरकत पसंद है और ना ही तुम्हारी शक्ल! और तुम यह जो बार-बार मुझे छोटे रहते हो और मुझे मनाने की कोशिश करते रहते हो इस पर मुझे तुम्हारे लिए बहुत गुस्सा आता है ।"और ऐसी बहुत सी बातें राधा ने उस दिन मुझे कह दी । राधा ने अपनी सारी भड़ास मुझ पर उस दिन उतार दी ।
अब यह सब सुनकर मेरा मन बहुत उदास हो गया, वापस से मुझे ऐसा लगने लगा कि जैसे मेरा अपना अब कोई नहीं है । मैं वापस से अकेला हो गया था । उस दिन मुझे अपनी मां की बहुत याद आ रही थी । लेकिन जैसे तैसे मैंने खुद को संभाल लिया और वापस से पहले जैसा हो गया ।वैसे तो मैंने अपने पिता की दूसरी पत्नी के मुंह से यह कई बार कहते हुए सुना था कि अगर विजय इस घर में नहीं रहता तो बहुत अच्छा होता । और कई बार तो उसने मुझे मेरे मुंह पर ही यह बात कह दी थी । लेकिन तब मुझे इतना फर्क नहीं पड़ता था ।लेकिन एक दिन जब मुझे सुबह भूख लग रही थी तब मैं किचन की तरफ जा रहा था । वहां पर राधा और मेरे पिता की दूसरी पत्नी कुछ बात कर रहे थे । उस बात में अचानक मेरी बात शुरू हो गई । और उसने कहा कि अगर तुम्हारे पति इस घर में नहीं रहता तो यह घर बहुत अच्छा होता !
मुझे लगा राधा इस बात पर कुछ तो कहेगी लेकिन उसने कुछ भी नहीं कहा । उस दिन मुझे पता चला कि राधा मुझे किस हद तक ना पसंद करती है
लेकिन मेरे से यह बात उस दिन सहन नहीं हो पाई और मैंने तुरंत किचन में जाकर मेरे पिता की दूसरी पत्नी को सुनाना चालू कर दिया कि "आखिर तुम मेरी बीवी के सामने ऐसी बातें कैसे कर सकती हो? तुम्हें किसी बात की शर्म है या नहीं?मैंने तुमको कभी कुछ नहीं कहा! लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि तुम मेरी बीवी के सामने मेरी बुराई करती रहोगी?"
बस इतनी सी बात पर उसने चिल्लाना शुरू कर दियाऔर चिल्ला चिल्ला कर मेरे पिता को किचन के अंदर ले आई । वह रोने का नाटक कर रही थी यह मुझे साफ दिखाई दे रहा था, और रो-रोकर मेरे पिता से ही झूठ बोल रही थी कि मैंने उसे बहुत कुछ सुना दीया ।उसका नाटक इस हद तक बढ़ गया कि अब वह घर छोड़कर जाने की भी बात करने लगी, और इससे बहुत ज्यादा गुस्सा हो कर मेरे पिता ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे किचन से बाहर ले गए । एक डंडी उठा कर लाई और अपने सारा गुस्सा मुझ पर उतार दिया ।उस दिन उन्होंने मुझे वापस से बहुत ज्यादा मारा, मेरे कंधों पर, मेरे हाथों पर, मेरे पैरों को और मेरी पीठ पर डंडी से इतना जोर से मारा की सभी जगह निशान पड़ गए थे । और मुझे काफी जोरों से दर्द भी हो रहा था ।
शादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ था । मुझे ऐसा लग रहा था कि शायद शादी के बाद मेरे पिता मेरे साथ ऐसा फिर कभी नहीं करेंगे । लेकिन अपनी दूसरी बीवी के नाटक के कारण उन्होंने सबके सामने मुझे बुरी तरह मारा ।वह औरत यही चाहती थी कि मेरे पिता मुझे बुरी तरीके से मारे, और ऐसा वह हमेशा करती है । अगर मैं कुछ भी कह दूं तो बस घर छोड़ने की बात करती है और मुझे गाली या फिर मार खानी पड़ती है । इसलिए मैं उस औरत से बात भी नहीं करता था ।मुझे उस दिन बहुत मार पड़ी थी, इसलिए बहुत दर्द हो रहा था । मुझे चलने में थोड़ी सी परेशानी हो गई थी । इसलिए मैं तुरंत अपने कमरे में जाकर सीधे सो गया ।अगले दिन मुझे राधा के पिता यानी मेरे ससुर जी का फोन आता है । बात यह थी कि राधा के बड़े भाई के घर में एक छोटा सा मेहमान आया था यानी राधा के बड़े भाई को लड़का हुआ था ।
उनके घर में ऐसा पहली बार हुआ था इसलिए उन्होंने अपने घर में पूजा रखी थी । इसलिए हमें बुलाने के लिए मेरे ससुर जी ने मुझे फोन किया था । मुझे लगा कि हमें जाना चाहिए । हो सकता है इस बहाने राधा का भी मन अच्छा हो जाए, क्योंकि अब तो वह मुझसे बात भी नहीं कर रही थी ।मैंने राधा को बताया और कहा कि हम दोनों कल चलेंगे! राधा इस बात से खुश थी । अगले दिन हम दोनों वहां पहुंच गए । उस माहौल में मेरा मन बहुत खुश था । सभी लोग बहुत खुश थे और पूजा भी अच्छे से हो गई ।
पूजा समाप्त होने के बाद हम सब लोग यानी उस दिन जितने भी मेहमान आए थे उस घर में, वे सभी लोग छत में बैठकर एक दूसरे से बात कर रहे थे और मस्ती मजाक कर रहे थे । हम सबका मन काफी खुश था और मजा किया था । हम सभी एक दूसरे से बातें कर रहे थे और मजाक भी कर रहे थे ।तभी वहां पर राधा आती है । मुझे उस समय यह बात पता नहीं थी कि राधा किसी कारण से उस समय गुस्से में थी । तो मैंने जब उसको देखा तो मुझे लगा कि सब को देख कर भी राधा खुश होगी । इसलिए मैंने राधा से मजाक करने के लिए उसका हाथ पकड़ा और उसके साथ नाचने लगा ।
लेकिन राधा ने मेरा हाथ ने थोड़ा और मुझे धक्का देकर पीछे कर दिया । राधा ने वापस से वही काम किया, यानी उसने अपना पूरा गुस्सा फिर से मेरे ऊपर ही उतार दिया ।
उसने कहां की - "मैंने तुम्हें कई बार मना किया है, फिर तुम क्यों बार-बार मेरे पास आते हो । तुम मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं हो ! तुम्हें तुम्हारे घर के ही लोग पसंद नहीं करते हैं तुम मैं तुमको पसंद क्यों करूंगी?तुम्हारी इन्हीं हरकतों के कारण तुम को कोई पसंद नहीं करता है । इसीलिए तुम्हारे घरवाले चाहते हैं कि तुम अपना घर छोड़कर चले जाओ ।"
और राधा ने उस दिन हमारे घर की सारी बातें सबके सामने कह दी, और मुझे काफी बुरा भला भी कहा । उसने यह तक कह दिया कि मुझे तुम्हारे साथ रहना बिल्कुल पसंद नहीं है ।अब मेरा आत्मविश्वास पूरी तरीके से टूट चुका था । क्योंकि राधा ने सबके सामने मेरा अपमान कर दिया था । मुझे लगा कि अब मेरी इन सबके सामने क्या इज्जत बची होगी? इसलिए मैं तुरंत वहां से अपने घर जाने के लिए अपनी गाड़ी के पास आ गया! सब लोग मुझे मनाने की कोशिश कर रहे थे!लेकिन मेरे आंखों से आंसू निकलने वाले थे और मैं यह नहीं चाहता था कि मुझे कोई भी रोता हुआ देखें इसलिए मैं तुरंत वहां से अपने घर आ गया । अपने घर पहुंचते ही मैं अपने कमरे में चला गया और अपने बिस्तर पर लेट गया ।
उस वक्त मेरे दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था, मुझे मेरी मां की बहुत याद आ रही थी, आंखों से आंसू निकले जा रहे थे । और मुझे अकेलापन बहुत ज्यादा महसूस हो रहा था । वह शाम का समय था । मैंने तुरंत ही एक निश्चय किया की - अब मैं सब कुछ छोड़ कर यहां से चला जाऊंगा!मैंने एक बैग उठाया, उसमें अपने कपड़े डाले । अपने जरूरी चीजें उस बैग में रखी और अपनी गाड़ी लेकर अपनी एक दोस्त के यहां आ गया! जोकि मेरे गांव से कुछ दूर एक शहर में रहता था ।उसकी मदद से मुझे किराए पर एक घर मिल गया । जो कि मेरे बजट में था, इसलिए मैंने वहां रहने का निश्चय कर लिया । और अब मुझे बिल्कुल नहीं पता है कि मेरे घर वाले क्या कर रहे हैं? और राधा क्या कर रही है?
मुझे राधा की बहुत ज्यादा याद आती है! उसकी याद में आंसू अपने आप निकल आते हैं । मुझे उससे दूर रहना बिल्कुल पसंद नहीं है । भले ही वह मुझ पर गुस्सा करती है, मुझे खुद को छूने नहीं देती है । लेकिन फिर भी मैं उसे बहुत प्यार करता हूं ।खैर आज मुझे 3 दिन हो गए हैं यहां रहते हुए । अपने घर को छोड़े हुए आज मुझे 3 दिन हो चुके हैं । मुझे यहां अकेलापन महसूस जरूर होता है, लेकिन मन में एक शांति होती है की यहां ऐसा कोई नहीं है जो मुझ पर गुस्सा करें, और जो मुझसे यह कहे कि निकल जाओ मेरे घर से ।
अभी मैं काफी खुश हूं! सुबह से शाम अपना काम करता हूं और रात में अकेलापन महसूस करता हूं । लेकिन फिर भी मुझे काफी अच्छा लगता है । बस राधा की बहुत ज्यादा याद आती है ।
