STORYMIRROR

Priyanka Shrivastava "शुभ्र"

Drama

3  

Priyanka Shrivastava "शुभ्र"

Drama

जब जागो

जब जागो

2 mins
489

आज फिर कमली नहीं आई और अपनी बेटी को भेज दी। दस साल की चन्द्रिका से मुझे काम करवाने की इच्छा नहीं होती। हम पढ़ाई की महत्ता समझने वाले, पढ़ने के उम्र में उसे पढ़ने को प्रेरित न कर उससे काम करवाऐं ये मुझे नहीं भाता। मैं अभी सोच ही रही थी कि क्या करूँ तब तक अम्माजी चंद्रिका को बुलाकर पूजा के बर्तन धो कर झाड़ू लगाने को कह स्नान करने चली।    

मुझे चंद्रिका के मासूम चेहरे को देख दिल भर आया। कोमल हाथ जिसमें अभी कलम होनी चाहिए थी वह झाड़ू पकड़े थी। जी में आया झाड़ू इसके हाथ से ले उसे कुछ खाने को दे विदा कर दूँ पर ऐसा करना अम्माजी का सरासर अपमान होता। तो क्या मैं उसे काम करने दूँ, इसी उहा पोह में थी कि फोन की घँटी बजी। उधर से बड़ी ननद थी। उनकी बेटी आठवीं क्लास में पढ़ती थी।

वो बेटी को ले हमेशा परेशान रहती। दादी उसे हमेशा घर के कामों में उलझाना चाहती थी। उनके नजर में पढ़ने की महत्ता ही नहीं थी। मैं फोन पर अभी औपचारिक बात ही की थी कि अम्माजी स्नान कर के निकल आई। दीदी से बातें करने लगी। दीदी की दुःखित आवाज सुन उसमे खो गई। तब तक चन्द्रिका झाड़ू लेकर उनके निकट पहुंची। उन्होंने चन्द्रिका को देखा फिर झाड़ू पर नजर डाली और उससे कहा जाओ झाड़ू जगह पर रख दो। कल तुम्हारी माँ आएगी तो झाड़ू लगेगा और तुम स्कूल जाओ। तुम्हारे स्कूल का समय है।     

मैं हदप्रभ हो अम्माजी को देखने लगी। तभी दीदी से बातें करते-करते अम्माजी ने कहा अब तुम्हारी सास को मैं समझाऊँगी। हमलोग दाई की बेटी को भी पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं उससे काम नहीं करवाते और वो कैसी हैं जो पढ़ी लिखी हो कर भी पोती की पढ़ाई में बाधक है।      

मैं मन ही मन मुस्करा दी। चलो जो होता है भले के लिए ही होता है। 'जब जागो तब सवेरा।'


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama