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Omdeep Verma

Inspirational

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Omdeep Verma

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जब एक से एक मिलकर ग्यारह हुए

जब एक से एक मिलकर ग्यारह हुए

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तीन दिन पहले मोहल्ले में पानी की सप्लाई देने वाली पाइप जो कि सड़क के नीचे से गुजरती है मेरे घर के आगे से टूट गई और उसके प्रेशर के कारण सड़क में भी गड्ढा बन चुका था, जो पानी के निकलने कारण और भी बढ़ता जा रहा था, जो वहां से आने जाने वाले वाहनों के लिए परेशानी का कारण बन चुका था। रात के अंधेरे में इसके कोई भी आदमी है पशु गिर सकता था।

मैं सुबह ऑफ़िस जाते रास्ते में नगर निगम के दफ्तर पर ठीक करवाने का कहने चला गया। जब मैं उनको समस्या बताई तो उन्होंने खास ध्यान नहीं दिया और बोले हो जाएगा। जब मैं शाम को घर पहुंचा तो देखा कि पाइप और गड्ढा वैसे के वैसे ही थे। कोई ठीक करने वाला आया ही नहीं। फिर अगली सुबह मैं फिर शिकायत लेकर गया कि आपने शाम का बोला था तो ठीक हुआ नहीं। वह बोले कि हमारे सभी कर्मचारी छुट्टी पर है कोई 1-2 है जो दूसरी कॉलोनी बिजली के पोल गिर गया तो उनको ठीक करवाने गए है, इसलिए आपकी कॉलोनी में काम नहीं हो पाया आज पक्का हो जाएगा।'

मैने सोचा चलो कोई नहीं आज हो जाएगा। जब शाम को घर आकर देखा तो फिर वही नज़ारा। मुझे यकीन हो गया कि ये लोग बहानेबाजी कर रहे हैं और अपने कर्तव्यों से जी चुरा रहे हैं। आज सुबह मैंने कॉलोनी के 7-8 जिम्मेवार लोगों को इसके बारे में बताया और उनको लेकर निगम के ऑफ़िस पहुँचकर फिर उन्हें अवगत कराया और घर आ गए। दो-तीन घंटे बाद जब मैं घर से बाहर निकला देखा कि निगम के तीन- चार कर्मचारी पाइप और सड़क को ठीक कर रहे हैं।


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