STORYMIRROR

Omdeep Verma

Children Stories

3  

Omdeep Verma

Children Stories

हत्यारे कौन

हत्यारे कौन

3 mins
208

मेरी बेटी विनया जो कि थर्ड स्टैंडर्ड में पढ़ती है उसके स्कूल से फोन आया कि आप जल्दी से स्कूल में आइये कुछ काम है। मैं फटाफट स्कूल गया कि आखिर ऐसा क्या काम है जो इस तरह बुलाया गया। मैं स्कूल गया तो ऑफिस में प्रिंसिपल के पास मेरी बेटी भी खड़ी थी। जाते ही मैंने सर से पूछा कि क्या हुआ क्या किया है मेरी बेटी ने। वो बोले घबराइये मत बैठिये कुछ नहीं किया आपकी बेटी ने किया तो आपने है। मुझे कुछ समझ नहीं आया कि ऐसा क्या किया। वो बोले कि हमने बच्चों को कानून की सीख देने के लिए प्रतियोगिता रखी थी जिसका शीर्षक था 'हत्यारे कौन होते है एवं उन्हें क्या सजा मिलनी चाहिए' तो सभी बच्चों के जवाब अलग-अलग थे। किसी ने कहा जो मनुष्य को मारते हैं जो पशुओं को मारते है उन्हें सजा मिलनी चाहिए। परंतु आपकी बेटी ने इन सबसे अलग जवाब दिया है।

मैंने पूछा ऐसा क्या जवाब दिया मेरे मेरी बेटी ने? उन्होंने एक पेज मुझे थमाया और बोले इसे पढ़िए। उसमें लिखा था - 'हत्यारे मेरे मम्मी पापा है वह मेरे सारे सपनों को मेरे मन की बातों को मार देते हैं, जब मैं चॉकलेट व मिठाई खाती हूँ तो मम्मी डांट देती है कि दांत खराब हो जाएंगे, मुझे खेलना अच्छा लगता है मुझे बरसात अच्छी लगती है मगर ना तो मम्मी खेलने देती है और ना ही बरसात में भीगने देती है, मम्मी कहती है तुम रौनक से बात मत किया करो उसकी मम्मी से हमारी लड़ाई हुई है रौनक मेरी बेस्ट फ्रैंड है और मेरी लड़ाई हुई नहीं तो फिर मैं क्यों नहीं उससे बात करूँ, पूरा दिन पढ़ाई में रखते हैं टीवी देखती हूं वीडियो गेम खेलती हूं मम्मी बोलती है आँखें खराब हो जाएगी, और पापा ने वादा किया था कि गर्मियों में घूमने जाएंगे मगर नहीं गए। वैसे मेरे मम्मी पापा बुरे तो नहीं है परंतु जब वह मुझे अपने मन की नहीं करने देते तो मुझे अच्छा भी नहीं लगता। उन्हें सजा मिलनी चाहिए कि वह मेरी हर बात को माने मैं जो करना चाहती हूं मुझे करने दें। और मेरे दादाजी जरा भी बुरे नहीं है वह मुझे कभी किसी चीज के लिए मना नहीं करते, कभी कभी तो मेरे पापा को डांट देते तो पापा मुझे मेरा कहना नहीं मानते उन्हें कोई सजा मिलनी चाहिए। मेरे पापा तो मुझे रोज डांटते रहते हैं। मुझे तो लगता है कि पापा तभी इतने बड़े बन पाए कि दादाजी उन्हें डाटंते नहीं थे मेरे पापा तो मुझे रोज टोकते है फिर मैं उनकी जैसी कैसे बन पाऊंगी। पढ़ते-पढ़ते मेरी आँखों में आँसू आ गए कि हम इन छोटी-छोटी बातों पर मना करते जिनका कोई मतलब नहीं।मैने अपनी बेटी और प्रिंसिपल सर से माफ़ी मांगी और विनया की हर बात पूरी करने का वादा किया।


Rate this content
Log in