वक़्त और लफ्जों के खेल वक़्त और लफ्जों के खेल
हाथ-पैर मार रहे थे पानी में खूब मगर आगे और ना पीछे जा पा रहे थे हाथ-पैर मार रहे थे पानी में खूब मगर आगे और ना पीछे जा पा रहे थे
वो बेटा जो बुढ़ापे में माँ को प्यार न दे से , सेवा न कर सके वो महलों में रहते हुए भी सबसे ग़रीब है वो बेटा जो बुढ़ापे में माँ को प्यार न दे से , सेवा न कर सके वो महलों में रहते हुए...
हत्यारे मेरे मम्मी पापा है वह मेरे सारे सपनों को मेरे मन की बातों को मार देते हैं, जब हत्यारे मेरे मम्मी पापा है वह मेरे सारे सपनों को मेरे मन की बातों को मार देते है...
मां भी जाने क्यों जब देखो तब उसे डांट देती हैं चाहे वो शैतानी करे न करे मां भी जाने क्यों जब देखो तब उसे डांट देती हैं चाहे वो शैतानी करे न करे
और दूसरा खत यह खत मैंने दसवीं परीक्षा के बाद लिखीं थी और दूसरा खत यह खत मैंने दसवीं परीक्षा के बाद लिखीं थी