जायज है
जायज है
मुनाफाखोरी
भाई लोगों एक-एक करके लाइन से खड़े रहिए,, दूरी बनाए रखिए,, सबको नंबर आने पर, राशन दिया जाएगा।
जब से शहर में फिर से लाॅकडाउन की घोषणा हुई,,
गली-गली के हर किराने की दुकान पर लोगों का हुजूम ऐसे उमड़ा,, जैसे मक्खियां भिनभिना रही हों।
हर कोई अपनी-अपनी लिस्ट लिए,, जल्दी से जल्दी
सामान पाने को उत्सुक।
महेश बाबू अपने लड़कों दुकान पर कार्यरत सोनू, दीपक और रवि से,जल्दी-जल्दी हाथ चलाने को कह रहे थे,,और दीपक को पास बुला कर हौले से निर्देश देते हुए कहने लगे, अंदर गोदाम में जो रखी पहले वाली,, बोरिंया हैं उन्हें भी निकाल लाओ ,, और पहले उन्हीं बोरियों को खत्म करो।
पर भाई,, वो बोरियां तो ,, पूरी की पूरी कीड़े वाली है और वो तो थोक व्यापारी से बात भी हो गई थी,, बदलने के लिए,, वो मान भी गये थे,, तो फिर अब ये।
हां बात तो हुई थीं पर अब परसों से ही लाॅकडाउन, चालू हैं,, और अभी तो 10 दिन का बताया गया है ,, पर बाजार से जानकारी आयी है कि अगले 20-25 दिन की तो छुट्टी समझो,, और आगे जब हालात काबू में व सामान्य ना हुए तब तक का क्या भरोसा।
अब एक दिन में तो चना बाढ़ नहीं फोड़ लेगा ना।
पूरी बोरियां खराब करने से अच्छा है कि,, नयी बोरियों
का माल मिला-जुला कर आज कल का निपटाओ,,
अभी हाल की बची वाली आगे लाॅक में काम लग ही जायेंगी।
वैसे भी किराना,, डेयरी को तो थोड़ी ही देर की छूट तो मिलेगी ही मिलेगी।
दीपक खुद भी समझ गया और बाकी लड़कों को भी कान ही कान में फुसफुसा भी दिया।।
और सोचने लगा,, "" आखिर,, पापी पेट का सवाल है,, मुनाफाखोरी जायज है,, सबको चलना जो है।।