STORYMIRROR

Anjali Sharma

Tragedy

3  

Anjali Sharma

Tragedy

इस्कूल

इस्कूल

2 mins
482

"अरी मुनिया तू आज इतनी जल्दी कैसे आ गयी? और चूड़ी के डब्बे ले आयी बाजार से?"

"नहीं माई आज वहां की सड़क बंद है, हवलदार ने जाने नहीं दिया।"

"हाय राम! आज हाट में क्या लगायेंगे अब? तेरा बापू तो शाम से नशा किये न जाने कहाँ पड़ा है, अब कल क्या खिलाऊँगी तुम दोनों को? कामचोर नासपीटी पता नहीं क्यों भगवान ने मुझे इस नरक में धकेल दिया।" मुनिया की माई ने अपना पूरा गुस्सा मुनिया पर उतार दिया। गाल सहलाते हुए मुनिया एक कोने में जा बैठ गयी। उसे रोता देख भोलू भी सहम कर उसके पीछे दुबक गया। दिल का गुबार ठंडा हुआ तो माई ने आकर दोनों को गले लगा लिया।

"तू अब बड़ी हो रही है मुनिया मेरा सहारा बस तू ही है, फिर क्यों नहीं समझती, काम नहीं करेंगे तो भूखों मरेंगे हम सब। "सच बता क्यों लौट आयी आधे रास्ते से?"

मुनिया सुबकते हुए बोली "माँ वहां जो इस्कूल है वहां कोई नेता आ रहा, राधा जा रही थी रिक्शा में, बोली मिठाई बंटेगी, ये सुनकर हम भी ठेले संग रिक्शे के पीछे लग लिए। इस्कूल के बाहर खड़े थे, वहां सब बच्चों की दौड़ हुई, कुछ बच्चे कम थे तो मास्साब हमें भी गेट से अंदर बुला लिए। जब हम दौड़े तो सबसे आगे निकल गए। सबने ताली बजायी। नेताजी पूछे कौन सी किलास में हो। हम बोले हम इस्कूल में नहीं हैं। नेताजी मास्साब से कुछ बोले। मास्साब उनके सामने प्यार से बोले कल से इस्कूल में आना, तुम्हारा दाखिला हो जायेगा। बाद में घुड़क दिए कि क्या जरूरत थी बोलने की यहाँ नहीं पढ़ती? मिठाई भी नहीं दी और इनाम के बीस रूपए भी वापिस ले लिए। हमें भी इस्कूल जाना है माई, नेताजी बोले थे।"

"नेताजी बहुत कुछ बोलते हैं पगली, और बोलकर चले जाते हैं। गरीब का इस्कूल जिंदगी की तपती सड़क पर ही चलता है, भूख प्यास बहुत कुछ सिखा देती है। चल अब जल्दी कर, ठेला लेकर जा नहीं तो आज का काम हाथ से निकल जाएगा।"

छोटी सी मुनिया नम आँखों में इस्कूल और बजती तालियों के बड़े सपने लिए ठेला लेकर फिर चल दी।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy