Anjali Sharma

Inspirational

2.5  

Anjali Sharma

Inspirational

सुकून

सुकून

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रचना और साहिल। नए दौर का युवा युगल। दोनों महानगर में नौकरीपेशा और तेज़ रफ्तार से भागती उनकी मशीनी ज़िन्दगी। जो कामयाबी पिछली पीढ़ी जीवन भर बाद पाती वो कामयाबी इन्होंने पांच छह साल में पा ली थी। आफिस की नियमित दिनचर्या से अलग अक्सर दोनों घूमने फिरने की योजना बनाया करते। इस बार यूरोप जाने की योजना बनाते लैपटॉप लिए कॉफ़ी शॉप में बैठे थे। मगर रचना को इस सबके बावजूद सुकून नहीं। "सब ठीक है मगर न जाने क्यों इस सब से ऊब होने लगी है साहिल।" " घूमने जा रहे हैं न मैडम, वहां जाकर सब अच्छा लगेगा, मन भी बदल जायेगा, डोंट वरी।"

तभी उन्हें कांच के दूसरी तरफ से अंदर झांकती हुई एक लड़की दिखाई दी। आंखों में कौतूहल और भूख साफ झलक रहे थे।

"उस तरफ मत देखो, ये सब गैंग के लोग..." इससे पहले कि साहिल बात पूरी कर पाता, रचना उठकर बाहर पहुंच गई। साहिल दोनों को अंदर बैठा देखता रहा। रचना उस लड़की को साथ अंदर ले आयी और काउंटर से कुछ खाने का सामान दिलवा दिया। लड़की आश्चर्य से चारों ओर देखती, खाते हुए चली गयी।

"वाह रचना, किसी की मदद करना बहुत अच्छी बात है।" साहिल झेंपता हुआ बोला।

"साहिल, पता नहीं मैंने मदद उसकी की या अपनी। मन को अजीब सा सुकून मिला उसे खाना दिलाकर।"

रचना के चेहरे पर कभी खुशी और कभी ग्लानि के आते जाते मिश्रित भाव साहिल शाम भर पढ़ने की कोशिश करता रहा।


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