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Lokanath Rath

Inspirational

3  

Lokanath Rath

Inspirational

इंसानियत.......

इंसानियत.......

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एक छोटे से शहर मे सब मिलजुल के शांति से रह रहे थे । बस यहाँ सब एक दूसरे की इज्जत करते थे और प्यार बांटते थे । उनमे ऐसे दो परिबार थे जो बहुत सालों से एक दूसरे का साथ देते आ रहे थे ।

एक मनोज मिश्रा और एक असलम खान । दोनों बचपन से साथ पले, पढ़े और बड़े हुए हैं । मनोज पेशे से वकील है और असलम पेसे से कपड़ो का ब्यापारी । दोनों की पढ़ाई एकहि बिद्यालय और महाबिद्यालय मे हुआ है ।दोनों की शादी हो चुकी है ।मनोज की पत्नी सुनीता है और असलम के पत्नी जरीना बीबी है । मनोज की एक ही बेटी है ममता और बहुत खूबसूरत है । असलम का एक ही बेटा है अरबाज़ । दरअसल असलम की शादी पहेले हुआ था और उसके चार साल बाद मनोज की शादी हुई थी ।सुनीता से मनोज की मुलाक़ात असलम के शादी के दौरान हुआ था और धीरे धीरे जान पहचान बढ़ी और रिश्ते मे बदल गया ।और उनकी एक ही बेटी ममता है ।दोनों परिबार के बीच मानो बहुत गहरा सम्बन्ध था । हर त्योहार मिलके मनाते थे । भले दोनों का मजहब अलग अलग है पर कोई बोलेगा नहीं की वो अलग अलग है ।कभी कभी ममता असलम के घर मे तीन चार दिन के रुक जाती थी ।बड़े प्यार से असलम और जरीना उसकी ख्याल रखते थे । जब कभी मनोज को काम के लिए बाहर जाना होता था तो सुनीता और ममता को असलम के घर छोड़ जाता था ।

मनोज पढ़ने के समय से अच्छा बैडमिंटन खेलता था । और अभी भी रोज अपनी घरमे एक घंटे के लिए अभ्यास करते रहते ।बचपन से मनोज को खेलते देख कर अरबाज़ बैडमिंटन खेलने की मन बना लिया और वो मनोज के साथ अभ्यास करने लगा ।देखते देखते फोनो ममता और अरबाज़ बड़े होने लगे । अब तो अरबाज़ महाबिद्यालय जाने लगा है । और ममता अभी आठवी कख्या मे पढ़ती है ।

इस बीच उस शहर मे थोड़ी थोड़ी कुछ बदलाव नज़र आने लगा । सड़के अच्छे होने लगे । ब्यापार भी बढ़ने लगा । उसके साथ साथ राजनैतिक स्तर पर भी बदलाव आने लगा । कुछ लोग जाती के नाम पर और कुछ लोग धर्म के नाम पर लोगो को बांटने मे सुरु करदिये । कुछ आसामाजिक लोग इसके फायदे ले के लूट मार भी करने लगे । शहर की हालात भी कुछ बिगड़ने लगा था । पर मनोज और असलम के रिश्ता दिन ब दिन और अच्छा और मजबूत हो रहा था । उनकी पड़ोसियों को उनके रिश्ते के बारे मे अच्छे से मालूम था । कभी कभी तो लोग उनको दो भाई बोलके बोलते थे ।

फिर एक शनिवार को ममता असलम के घर गयी थी और अरबाज शाम को मनोज के घर खेलने आया था, अचानक से दो गुट के बीच लड़ाई हुई और ये घंटे भर मे सारे शहर मे फ़ैल गया । उसको राजनेता लोग हिन्दू मुस्लमान की लड़ाई के रंग दे के और बढ़ा दिए । शहर मे हिंसा बढ़ते गया । बहुत खून खराबा हुआ । लोगो की जाने गयी । घर और दुकानों मे आग लगा दी गयी । और सारे शहर के कर्फ्यू लगा दी गयी अनिश्चित काल के लिए ।इधर मनोज और असलम बहुत परेशान होते गये, कियुं की दोनों के बच्चे अपने घर मे नहीं थे । अभी दोनों को वापस आना भी बड़ा ज़ोखिम भरा था । फिर दोनों ने बात की और बोले, जबतक हालत ठीक नहीं होता बच्चे जहाँ है वहाँ रहे तो अच्छा होगा ।इस बीच मनोज और असलम के रिस्तेदार लोग बहुत डराया करते थे ।

यहाँ तक की दोनों की कुछ पड़ोसियों ने धमकी भी दे डाला । पर ये सब को मनोज और असलम नज़र अंदाज़ करते थे ।

अरबाज़ का खाने से लेकर पढ़ाई तक की पुरे ख्याल मनोज अपने बेटा जैसे रखते थे । दुनिता उसके पास बैठ के प्यारी प्यारी बाते करते थे और अपनी हाथो से खिलाते थे ।यहाँ तक मनोज अरबाज़ को एक कुरान की किताब लाके दिए और बोले घरमे जैसे नवाज पढ़ते थे यहाँ रोज पढ़लिया करो ।

वहाँ ममता को जब रोना आती था तो परबीन ने पास बैठक आदर करती थी । वो ममता को अपने पास सुलाती थी । असलम ममता को घरमे रखे हुएरामजी के तस्वीर के सामने प्रार्थना करने बोलती थे और कभी कभी वो भी माथा टेकते थे ।

इस दौरान ऐसा भी दिन आया कुछ लोग आके असलम के घर पे जबरदस्त घुसने कोशिश किये ममता को मरने के लिए । उनसे कुछ हाता पाई मे असलम के सर पे और हात मे गहेरा चोट आया । खून बहने लगा । ममता ये देख के बेहोश हो गई । परबीन पहेले ममता को घर मे छुपा दि और मुँह मे पानी डाल के होश मे लाके बोली, बेटा यही रहना मैं आती हूँ । फिर वो जाके असलम का चोट को साफ करके दवा लगा दी । तब असलम पूछे ममता कैसी है । जाओ अभी उसके पास रहो ।ऐसे एक महीने बीत गया हालत मे सुधार आया ।

असलम और मनोज पुरे परिबार सहित मनोज की गांव चले गये । कुछ दिन वहाँ रुकने के बाद फिर शहर वापस आये । सबकुछ अब ठीक होने लगा था । बहुत कुछ बदल भी गया था, पर मनोज और असलम के बीच इंसानियत की रिश्ता और मजबूत हो गया था । ज़िन्दगी मे इंसानियत की रिश्ता प्यार को कितने गहरा कर देता सबको समझ आ गया । लोग उनको देखके अब कुछ सीखेंगे या नहीं ये उनकी इंसानियत पे अभी भी एक सवाल है ।


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