इज्ज़त पार्ट - 1

इज्ज़त पार्ट - 1

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"पापा, कल स्कूल में पैरेंट्स-टीचर मीटिंग है और सबके मम्मी-पापा को बुलाया है; आप चलोगे ना?" बारह साल के विहान ने अपने पापा सुहास से पूछा।


"ओह! बेटा कल तो मेरी बहुत इंपॉर्टेंट मीटिंग है, सुबह ही जल्दी ऑफिस निकलना है।" सुहास ने आने में असमर्थता जताई।


"तो पापा, फिर कौन आएगा, मीटिंग में; मम्मी को तो ले नहीं जाऊंगा, इंग्लिश बोलनी भी नहीं आती उन्हें और बात करते समय बोलने में बहुत हिचक होती है उन्हें, सो आई फील इंसल्टेड इन फ्रंट ऑफ एवरीवन।" विहान ने कहा।


"उसे ले जाने का तो कोई फायदा नहीं है, बहुत इंसल्ट ही कराती है, हर जगह; चल कोई नहीं, तू कल अपनी मानसी बुआ को ले जा; उससे कह दूंगा, की कल अपने कॉलेज थोड़ा लेट चली जाए, बहुत इंपॉर्टेंट मीटिंग नहीं होती, तो मैं जरूर चलता, सॉरी बेटा।" सुहास ने कहा।


"इट्स ओके पापा, आई अंडरस्टैंड; मेरी स्कूल बस आ गई है, बाय पापा।" विहान ने सुहास को बोला।


"बाय बेटा।" सुहास ने कहा।


कमरे के अंदर से सुहानी सब सुन रही थी और सोच रही थी, की पति ने तो कभी इज्ज़त की नहीं और ना ही उसे कुछ समझा; हमेशा नीचा ही दिखाया है और अब बेटे को भी अपने जैसा बना लिया है और सुहानी की आंखों में आंसू आ गए।

दोपहर के समय दरवाजे की बेल बजी, सुहानी ने दरवाजा खोला, तो देखा कि कोई औरत खड़ी थी, जिसे देखकर सुहानी बहुत खुश हुई, क्यूंकि वो कोई और नहीं, बल्कि सुहानी की क्लास टीचर रीता मैडम थी, जो उसकी पड़ोसन की सास है और कुछ दिन अपने बहू - बेटे के पास रहने आई है।


"अरे! मैडम आप यहां?" खुश होते हुए सुहानी ने पूछा।


"हां, सुहानी; यहां कुछ दिन बहू - बेटे के पास आई थी, कल रात तुम्हें देखा था मैंने; पहले लगा की वहम है, फिर लगा एक बार जाकर देख लेती हूं, तुम्हीं हो कि नहीं।" मुस्कुराते हुए नीता मैडम ने जवाब दिया।


"अरे! अंदर आइए ना, मैं भी कितनी पागल हूं, अब तक अंदर ही नहीं बुलाया था आपको, पर क्या करूं आपको देखकर इतनी खुशी हुई, की सब भूल गई; अरे मैम! खड़ी क्यों है आप, बैठिए ना।" सुहानी खुश होते हुए बोली।


"और बताओ सुहानी, कैसी हो?" नीता मैडम ने पूछा।


सुहानी कुछ बोलती दरवाजे की बेल फिर बजी, सुहानी का बेटा विहान स्कूल से आ चुका था और उसने नीता मैडम को नहीं देखा और अपनी मम्मी से कहना शुरू किया, "बाहर तो जाकर आप किसी से बात कर नहीं सकती, कम से कम खाना तो अच्छा बना दिया करो, सारा खाना फेंकना पड़ा, बिल्कुल बेकार; कोई टेस्ट नहीं था।" विहान ने कहा।


"कोई नहीं बेटा, मैं कल कुछ और अच्छा बना दूंगी, अभी कोई गेस्ट है, चलकर मिलो उनसे।" सुहानी ने कहा।


"मुझे किसी से नहीं मिलना और ना ही कुछ खाना है; बाहर से खाकर आया हूं, सो टायर्ड, डोंट डिस्टर्ब मी टिल इवनिंग सिक्स।" 


और विहान चला जाता है, हिचकते हुए सुहानी वापस नीता मैम के पास आती है और कहती है, "वो थोड़ा थक गया है, इसलिए सोने चला गया।" सुहानी हकलाते हुए बोली।


"बेटा, पति को शायद समझाना मुश्किल हो, पर तुम अपने बेटे को अभी भी सही राह पर ला सकती हो, क्यूंकि अभी उसका कुछ कहना तुम्हें इतना बुरा ना लगे, पर जब वो और बड़ा हो जाएगा, उसकी बातों से तुम्हारी तकलीफ भी बढ़ती जाएगी, उसका ऐसा व्यवहार ना सिर्फ तुम्हारे लिए, बल्कि खुद उसके लिए भी ठीक नहीं है, अभी तुम्हारी इज्ज़त नहीं करता, कल को अपनी पत्नी या किसी भी औरत की इज्जत नहीं करेगा; तो उसकी लाइफ में प्रॉब्लम्स आएंगी, जो लोग औरतों की इज्जत नहीं करते, हमेशा वो दुखी रहते हैं, इसलिए उसे अच्छा इंसान बनाओ, जो सबकी इज्ज़त करे।" नीता मैम ने कहा।


"मैं क्या करूं मैम, मैं इसे इतना समझाती हूं, पर समझता नहीं है, और मेरा भी कॉन्फिडेंस लेवल बहुत कम हो गया है, शादी से पहले हर चीज में आगे थी, पर शादी के बाद सुहास को मेरी कोई चीज अच्छी नहीं लगी, हमेशा तुम्हें कुछ नहीं आता या तुम्हें परफेक्टली इंग्लिश बोलनी नहीं आती, इसलिए बाहर ले जाने में शर्म आती है, और कभी कहते की खाना भी कितना बेकार बनाती हो, पर खाना मेरा उंगलियां चाटकर खाएंगे, फिर भी यही बोलेंगे और भी जाने क्या क्या, ये सब सुनते सुनते मुझमें हीन भावना आती गई और सच में मैं खुद को ऐसा ही समझने लगी हूं।" आंखो में आंसू लाते हुए बोली।


"ये वक़्त दुखी होने या कमजोर समझने का नहीं, खुद को मजबूत बनाने का है, क्यूंकि अभी कदम नहीं उठाया; तो कल बहुत पछताओगी, अब सुनो, तुम्हे करना क्या है।" और नीता मैम सब समझा देती है।


To be continued


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