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Nandini Singh

Abstract Action Inspirational

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Nandini Singh

Abstract Action Inspirational

हवा और मच्छर का मुकदमा

हवा और मच्छर का मुकदमा

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एक बार एक मच्छर ने न्यायी राज सुलेमान के दरबार में आकर प्रार्थना की, "हवा ने हमपर ऐसे-ऐसे जुल्म किये हैं कि हम गरीब बाग की सैर भी नहीं कर सकते। जब फूलों के पास जाते हैं तो हवा आकर हमें उड़ा ले जाती है।, जिससे हमारे सुख-साम्राज्य पर हवा के अन्याय की बिजली गिर पड़ती है और हम गरीब आनन्द से वंचित कर दिये जाते हैं। हे पशु-पक्षियों तथा दीनों के दु:ख हरनेवाले, दोनों लोकों में तेरे न्याय-शासन की धूम है। हम तेरे पास इसलिए आये हैं कि तू हमारा इन्साफ करें।"

पैगम्बर सुलेमान ने मच्छर की जब यह प्रार्थना सुनी तो कहने लगे, "ऐ इंसान चाहने वाले मच्छर! तुझको पता नहीं कि मेरे शासनकाल में अन्याय का कहीं भी नामोनिशान नहीं है। मेरे राज्य में जालिम का काम ही क्या! तुझको मालूम नहीं कि जिस दिन मैं पैदा हुआ था, अन्याय की जड़ उसी दिन खोद दी गयी थी। प्रकाश के सामने अंधेरा कब ठहर सकता है?"

मच्छर ने कहा, "बेशक, आपका कथन सत्य है, पर हमारे ऊपर कृपा-दृष्टि रखना भी तो श्रीमान ही का काम है। दया कीजिए और दुष्ट वायु के अत्याचारों से हमारी जाति को बचाइए।"

सुलेमान ने कहा, "बहुत अच्छा, हम तुम्हारा इंसाफ करते हैं, मगर दूसरे पक्ष का होना भी जरूरी है! जबतक प्रतिवादी उपस्थित न हो और दोनों ओर के बयान न लिखे जाये तबतक तहकीकात नहीं हो सकती, इसलिए हवा को बुलाना जरूरी है।"

सुलमान के दरबार से जब वायु के नाम हुक्म पहुंचा तो वह बड़े वेग से दौड़ता हुआ हाजिर हो गया। वायु के आते ही मच्छर ठहर नहीं सके। उन्हें भागते ही बना। जब मच्छर भाग रहे थे उस समय उनसे सुलेमान ने कहा, "यदि तुम न्याय चाहते हो तो भाग क्यों रहे हो? क्या इसी बलबूते पर न्याय की पुकार कर रहे हो?"

मच्छर बोला, "महाराज, हवा से हमारा जीवन ही नहीं रहता। जब वह आता है तो हमें भागना पड़ता हैं यदि इस तरह न भागें तो जान नहीं बच सकती।"

[यही दशा मनुष्य की है। जब मनुष्य आता है अर्थात जबतक उसमें अहंभाव विद्यमान रहता है, उसे ईश्वर नहीं मिलता और जब ईश्वर मिलता है तो मनुष्य की गन्ध नहीं रहती अर्थात उसका अहंभव बिलकुल मिट जाता है।]



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