" हृदय परिवर्तन "
" हृदय परिवर्तन "
आइसक्रीम कार्नर के पास एक बड़ी सी कार आकर रुकी । दो प्यारे - प्यारे बच्चे कार से बाहर आए । चाॅकलेट काॅरनेटो , वनीला आइसक्रीम चाहिए । अपनी तोतली आवाज़ में बोल रहे थे। साथ में है एक शालीन , सुंदर सी स्त्री। जो श्याम की पत्नी है । श्याम जो कार बंद करके उतर रहा है ।
अभी कल ही की बात है। श्याम एक अच्छे घर का लड़का था। अच्छी सोसायटी में रहता था । अच्छे स्कूल में पढ़ता था। पता नहीं कैसे उसकी संगति बिगड़ गई। वह पढ़ाई - लिखाई छोड़ गुंडा गर्दी करने लगा । उसे उसमें मज़ा भी आने लगा । अपने माता - पिता से झूठ भी बोलने लगा ।गुंडा गर्दी की दुनिया में उसकी तूती बोलने लगी । माता - पिता को अपने बेटे पर पूरा विश्वास था कि वह कोई ग़लत काम कर ही नहीं सकता।
श्याम को तो जैसे जुनून सवार था। सही ग़लत का पहचान ही भूल गया था । एक तरह से वह अत्याचारी बन गया था। मार - पीट छोड़ अब उसका नाम रेप केस के साथ भी जुड़ने लगा था। अब उसका नाम श्याम से श्यामु हो गया।
एक दिन अखबार में श्याम की खबर देखकर तो श्याम के पिता के होश ही उड़ गए । उसे जेल हो गई। ताज्जुब यह कि जिस लड़की के साथ उसने गलत हरकत की थी, वह उसी के सोसायटी में रहती थी।
माता- पिता को तो उसने सर उठाने के काबिल नहीं छोड़ा। सबूत न मिलने की वजह से उसे जेल से छोड़ दिया गया। घर तो आ वह पर वह पछतावे की जगह , बदले की भावना से वह जल रहा था । जिस माता - पिता ने उसे छुड़ाने में जी जान लगा दी, उसने उनसे सही ढंग से बात तक नहीं की ।
फिर से वह उसी रंग ढंग में ढल गया। एक दिन श्यामु घर से निकला तो तीन दिन तक घर नहीं आया। माता को चिंता हो रही थी तो, पिता ने कहा चिंता मत करो किसी काम में फॅंस गया होगा। माॅं ने कहा कि उसका काम ही ऐसा है , इसलिए तो डर लग रहा है।
तीसरे दिन अस्पताल से फोन आया कि श्यामु का सिरीयस एक्सीडेंट हो गया है। दौड़े - दौड़े माता - पिता अस्पताल पहुॅंचे। डाॅक्टर ने कहा काफी हालत खराब है। बचने की उम्मीद कम है।
दूसरे दिन डाॅक्टर ने बताया कि उसकी हालत काफी गंभीर है। उसे बचाने के लिए हृदय प्रत्यारोपण की जरूरत है। अभिभावक बहुत चिंतित हो गए । फिर भी अपने को ढाढस बंधा कर डाॅक्टर से बोले कि, जितना पैसा लगेगा हम देंगे। आप हृदय प्रत्यारोपण की व्यवस्था करवाइए ।
अगले दिन डोनर की व्यवस्था हो गई। ऑपरेशन भी सही से हो गया। श्यामु को होश भी आ गया। डाॅक्टर और अभिभावक दोनों बहुत खुश हुए। लेकिन ,साथ -साथ डरे भी हुए थे कि अब वह उन लोगों के साथ कैसा बर्ताव करेगा।
परन्तु आश्चर्य , श्यामु तो बहुत बदला -बदला दिख रहा था। बहुत ही शांत,सोबर । बातें भी सलीके और अदब से कर रहा था। अभिभावक तो समझ नहीं पा रहे थे कि बदलाव कैसे हुआ।
अस्पताल से छुट्टी मिली तो घर आकर भी अपने सभी कार्य सलीके से करना लगा । अपने मित्रों से भी सलीके से बात करना और उनसे दूरी बनाए रखना। उसने अपनी पढ़ाई पूरी करने इच्छा जाहिर की तो अभिभावक की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। पढ़ाई पूरी करके उसने अपने पिताजी के बिजनेस में साथ देना शुरू कर दिया। जल्दी ही बड़ा बिजनेस मैन बन गया। पुराने मित्रों से अब उसके ताल्लुकात नहीं रहे। अभिभावक अब उसकी शादी की बात चलाने लगे। तब उसने कहा कि उस लड़की का पता लगाओ जिसके कारण मैं जेल गया था। पता चला कि उसकी शादी तो हुई थी पर, उसकी ही हरकत का पता चलने पर उसके ससुराल वाले उसे दोषी समझ उसे छोड़ दिया है और वह समाज से अपना मुॅंह छिपाए गाॅंव में जाकर रह रही है।
श्यामु ने अपनी माॅं से कि वह अपनी भूल सुधारना चाहता है। वह उस लड़की से शादी कर ,उसे सम्मान की जिंदगी देना चाहता है। अभिभावक ने उसका साथ दिया। लड़की वाले को तो मुॅंह माॅंगी मुराद मिल गई । आज वही लड़की जो आइसक्रीम कार्नर में आई है सुशीला ,श्यामु की पत्नी तथा उसके दो बच्चों की माॅं बन चुकी है। श्यामु जो अब प्यारा सा श्याम बन चुका है।
अभिभावक और समाज सभी को इस आश्चर्यजनक परिवर्तन का कारण जानना था। कारण यह था कि श्यामु को जो हृदय प्रत्यारोपण हुआ था ,वह एक नेक दिल , सुंदर , सुशील, समझदार, सच्ची और सुलझी लड़की का दिल था जिसने श्यामु को, श्यामु से श्याम बनाने में जादुई करिश्मा दिखाया। उन दोनों की जिंदगी को खुशियों से भर दिया।