" पथ प्रदर्शन "
" पथ प्रदर्शन "
किसी ने घंटी बजाई। मैंने दरवाजा खोला। सामने साधारण सा आदमी खड़ा था। मैंने पूछा - क्या काम है ? उसने कहा - साहब हैं, उन्होंने मुझे बुलाया था। मैंने पूछा - किस लिए ?
मैं सोसाइटी का माली हूँ। आपको कौन- कौन से पौधे चाहिए ? मैं दो- तीन दिनों में लाकर दे दूॅंगा। मैंने बोला - अभी तो मुझे तुलसी और केले के पौधे चाहिए। इस वृहस्पतिवार को ला देना। उसने कुछ पैसे मांगे। मैंने दे दिए। नाम पूछा तो उसने 'रवि ' बताया। वह पैसे लेकर चला गया।
वृहस्पतिवार को वह नहीं आया। मैंने सोचा बीमार पड़ गया होगा। एक सप्ताह और निकल गया।
मैंने फोन किया तब उसने कहा - मैं गाॅंव आया हूँ। रिश्तेदार का देहांत हो गया है। मैं इस शनिवार को पौधे लेकर
आता हूँ।
परन्तु , शनिवार को भी नहीं आया। फोन लगाया तो , फोन बंद था। तब मुझे शंका हुई कि वह मुझे
धोखा दे गया। मैंने अपनी कुक मौसी से बोला पता लगाने के लिए। उसने नाम पूछा। मैंने बताया, उसका नाम ' ' 'रवि ' है। अच्छा पता करती हूँ। पतिदेव बिगड़ने लगे मुझ पर ,क्यों तुम थोड़े से पैसे के लिए इतना परेशान हो। गया तो गया। अरे बिगड़ते क्यों हैं आप ! मैं बस कारण जानना चाहती थी कि उसने ऐसा किया क्यों ? इन्होंने ब़ोला और जानकर करोगी क्या ? मैंने कहा - कारण का निराकरण। दूसरे दिन कुक मौसी ने बताया कि माली नौकरी छोड़ कर जा चुका है।
अब मुझे समझ आ गया कि उसे पैसों की जरूरत थी इसलिए वह ठग कर ले गया।
मुझे बहुत बुरा लगा मैं सोचती रही ...। आखिर उसने ऐसा किया क्यों? जरूरत थी तो माॅंग लेता। मेरा मन व्याकुल हो गया। मैंने सोसाइटी के सेक्रेटरी से बात की कि कहीं से उसका फोन नम्बर दे जिससे मैं उससे बात कर सकूॅं।
उन्होंने फोन नम्बर दिया तब मैंने बात की तो फिर उसने कहा कि मैं परेशान हूँ थोड़े दिनों में आपके पौधे देता हूँ। मैंने कहा - पहले तुम आकर मिलो मुझसे बाद में पौधे लाना।
दो दिन बाद वह आया। मैंने पूछा - अपनी परेशानी बताओ। जिसकी वजह से तुमने ऐसा किया। उसने कहा - मेरी पत्नी को बच्चा होने वाला है उस बच्चे के लिए मैं कुछ करना चाहता हूँ। इसलिए मैं एक दुकान खोलना चाहता हूँ।
मैंने कहा - अरे ! तुम ठगी के रास्ते पर चलकर क्या कर लोगे ? वह बच्चा बड़ा होकर ठगी ही सीखेगा तुमसे। अब तो वह रोने लगा। बोला - मैं अपने बच्चे को अच्छा इन्सान बनाना चाहता हूँ। जो पढ़ - लिख कर खूब तरक्की करे। मैंने कहा - ठीक है।तब तुम्हें अपना ठगी का रास्ता बदलना होगा।
तुम यदि कुछ छोटा बिजनेस करना चाहते हो तो , सरकार से लोन लेकर शुरू करो। अगर वो संभव नहीं होता है तो , एक निवेदन पत्र लिखो , जिसमें लिखा होगा तुम लोगों से उधार लेकर बिजनेस करोगे और बिजनेस बढ़ने पर उससे धीरे-धीरे लोगों के उधार चुका दोगे। नीचे अपना हस्ताक्षर करना। फोन नम्बर और पता जरूर लिखना।
ऐसा करके देखो। तुम्हारे बच्चे को सही रास्ता मिल जाएगा। मैंने उसकी तरफ से एक निवेदन पत्र लिखा। उस पर उसके हस्ताक्षर लिए और कुछ पैसे देकर अपना नाम, पता लिख दिया। फिर उससे कहा - अन्य लोगों के पास जाओ। बच्चे होने पर खुशखबरी अवश्य देना मुझे। मैंने उस पत्र का फोटो अपने पास रख लिया।
लगभग आठ महीने बाद वह आया। बताया कि उसे बेटा हुआ है। मैंने उसे बिठाया और मिठाई खिलाई। तब उसने एक लड्डू का डब्बा दिया। बोला भगवान को प्रसाद चढ़ा कर लाया हूँ। मैंने उसमें से एक लड्डू निकाल लिया। बाकी और लोगों में बाॅंट देना यह कहकर डब्बा वापस कर
दिया।
मैंने पूछा - बिजनेस कैसा चल रहा है। उसने कहा - घर खर्च के बाद थोड़े पैसे बचते हैं उससे मैं उधार चुकाना शुरु करूॅंगा। मैंने कहा- चलो ये तो अच्छी बात है। पर , इसके साथ - साथ तुम अपने बच्चे की पढ़ाई के लिए भी पैसे अभी से जमा करो। उसने कहा - हाॅं मेमसाब , वो तो मैं
जरूर करूॅंगा। अब तो मेरी पत्नी भी बिजनेस में हाथ बटाएगी। चलते - चलते उसने मुझे मेरे पैसे का कुछ हिस्सा वापस करना चाहा। मैंने कहा- नहीं , नहीं मुझे मेरे पैसे वापस नहीं चाहिए। तुम उसे मेरी तरफ से बेटे की पढ़ाई के लिए जमा कर दो।
अब रवि अक्सर फोन करता। बीच- बीच में घर भी आता हमारा हाल- चाल लेने। क्योंकि हम दोनों पति- पत्नी अकेले रहा करते थे। बच्चे दूसरे शहर में नौकरी करते थे ,सो आया - जाता करते थे।
लगभग ढाई साल में उसका बिजनेस काफी अच्छा चल निकला। उसने तरक्की कर ली। उसने सारे उधार चुका दिए।
एक दिन उसने मुझे फोन किया। मेमसाब, मैं कल आपके घर परिवार सहित आऊॅंगा। आप घर पर हों न कल। मैंने कहा - कल ... , कल क्या है ? उसने कहा - घर आकर बताता हूँ। मैंने कहा - ठीक है आओ।
मैं थोड़ी सोच में पड़ गई। कल तो सरस्वती पूजा है। मैं बचपन से ही यह पूजा करती आई हूँ। खैर कोई बात नहीं। कल जल्दी ही पूजा कर लूॅंगी।
दूसरे दिन रवि परिवार और पंडित सहित फल, फूल लेकर पहुंचा। मैंने कहा - अरे, ये सब क्यों लाए हो ?
मैंने तो पूजा कर ली। उसने कहा - ये सब मेरे बेटे के लिए है। आज सरस्वती पूजा है। मैं चाहता हूँ कि , मेरे बेटे का विद्या -आरंभ की विधि ,पंडित के मंत्रोच्चारण के साथ आपके शुभ हाथों से हो। मैंने कहा - मेरे द्वारा क्यों ? तब उसने कहा - मेमसाब, मेरे जीवन को सुधारने का कार्य आपने किया है और मैं जान चुका हूँ कि आप ' रिटायर्ड शिक्षिका 'हैं , तो आपसे बढ़कर मेरे बेटे का सही पथ प्रदर्शक कौन हो सकता है?
ये तो तुमने सही कहा! शिक्षिका का कार्य , केवल बच्चों को पढ़ाना नहीं बल्कि, हर मोड़ पर, हर गुमराह को सही राह दिखाना है और मैं इस कार्य को करने में , उम्र के किसी भी पड़ाव पर , जीवन के किसी मोड़ पर चुकूंगी नहीं।